142 साल बाद आज रिटायर हो जाएगा मंडी का विक्टोरिया पुल

By: Dec 7th, 2019 12:06 am

25 करोड़ से ब्यास पर बने नए पुल का मुख्यमंत्री जयराम करेंगे उद्घाटन

मंडी –अधिकारी हों या कर्मचारी या फिर अपना काम धंधा करने वाले लोग, सभी उम्र के एक पड़ाव पर आकर रिटायर हो ही जाते हैं। सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए तो एक निश्चित अवधि तय है, लेकिन तीन सदियां देख चुका मंडी का ऐतिहासिक विक्टोरिया पुल 142 वर्ष बाद रिटायर्ड होने जा रहा है। यह जानकर हैरानी जरूर होगी, लेकिन यह सत्य है कि प्रदेश में शायद ही ऐसा कोई दूसरा पुल होगा, जिस पर वाहनों का आवागमन 142 बाद बंद होगा। मंडी शहर के साथ लगती ब्यास पर अब नया पुल विक्टोरिया पुल के पास बनाकर तैयार किया जा चुका है और रविवार को मुख्यमंत्री नए पुल का उदघाटन करेंगे। नए पुल के उद्घाटन के साथ ही विक्टोरिया पुल पर से वाहनों  का आवागमन हमेशा के लिए बंद कर  दिया जाएगा। यहां यह भी खास है कि 1877 में मंडी के राजा विजय सेन ने एक लाख रुपय देकर विक्टोरिया पुल का निर्माण करवाया था और आज इसी पुल के पास ब्यास पर सरकार ने 25 करोड़ रुपए खर्च कर नया पुल बनाया है। विक्टोरिया पुल की उस समय मियांद 100 वर्ष रखी गई थी और 1977 में ही इस पुल को बंद कर दिया जाना था, लेकिन तब तक ब्यास पर सरकारें नया पुल नहीं बना सकी थी और विक्टोरिया पुल को सरकारी अधिकारियों की तरह सेवा विस्तार दे दिया गया, लेकिन यह विस्तार एक या दो वर्ष नहीं रहा, बल्कि विक्टोरिया पुल अपनी मियाद पूरी होने के बाद भी 42 वर्षों से भार ढोता आ रहा है। उधर, उपायुक्त मंडी ऋगदेव ठाकुर का कहना है कि नया पुल का उदघाटन रविवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करेंगे।

राजा विजय सेन ने बनवाया

पुरानी मंडी और मंडी शहर को जोड़ने के लिए ब्यास पर कोई पुल नहीं था। इसलिए लोगों की दिक्कतों को देखते हुए विजय सेन ने अंग्रेजी हकूमत को एक लाख रुपए देकर इस पुल का निर्माण करवाया था।

लंदन की तर्ज पर निर्माण

18वीं शाताब्दी में इंजीनियरिंग और कारीगिरी का यह बेजोड़ सेतु शायद ही प्रदेश में किसी दूसरी जगह पर देखने को मिले। उस समय मंडी के विक्टोरिया पुल का निर्माण लंदन के विक्टोरिया ब्रिज की तरह ही किया गया।

सिर्फ धरोहर बन कर रह जाएगा

एक समय था तो पुल से बड़े भरकम वाहन व बसें भी गुजरती थी, लेकिन अब इस पुल से सिर्फ छोटे वाहन ही आते जाते हैं, लेकिन अब नय पुल के शुरू होने के साथ ही विक्टोरिया पुल को छोटे वाहनों के लिए भी बंद कर दिया जाएगा और यह सिर्फ ऐतिहासिक धरोहर बन कर रह जाएगा।

केसरी नाम रखना चाहते थे राजा

पुल का निर्माण उस समय लंदन और कलकत्ता (कोलकाता) के इंजीनियरों ने किया। पुल का सारा सामान भी लंदन से मंगवाया गया। पुल को राजा केसरी पुल का नाम देना चाहते थे, लेकिन अंग्रेजी हकूमत ने इसे विक्टोरिया पुल का नाम देने की शर्त लगा दी।

जर्मनी की भट्ठी में तपाया लोहा

कहते हैं कि पुल के लिए जर्मन की भट्टियों में तपा कर लोहे के रस्से बनाये गए। इस पुल की लंबाई 76 मीटर है और पुल दो टॉवरों की मदद से लोहे के 12 रस्सों के सहारे टिका हुआ है। दो चट्टानों को कई फुट अंदर तक काट कर लोहे के रस्सों को बांधा गया है।


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