CAA, NRC, NPR: गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- इनमें दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं

By: Dec 24th, 2019 7:46 pm

नई दिल्ली –  केंद्र सरकार नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (NPR) और नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) के बीच संबंध जोड़कर किसी तरह की अफवाह न फैलाई जाए, इसकी आशंका खारिज करने के लिए सक्रिय हो गई है। इसी क्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए साक्षात्कार में स्पष्ट कहा कि दोनों के बीच दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा, ‘दोनों में मूलभूत अंतर है। एनपीआर जनसंख्या का रजिस्टर है। इसके आधार पर अलग-अलग योजनाओं के आकार बनते हैं। लेकिन, एनआरसी में हर व्यक्ति से प्रूफ मांगा जाता है कि आप किस आधार पर भारत के नागरिक हैं।’ अमित शाह ने और क्या-क्या कहा दोनों प्रक्रिया का एक-दूसरे से कोई लेनदेन नहीं है और न दोनों प्रक्रिया का एक-दूसरे के सर्वे में उपयोग हो सकता है। एनपीआर के लिए अभी जो प्रक्रिया चलेगी, उसका उपयोग कभी भी एनआरसी के लिए नहीं हो सकता है। दोनों कानून भी अलग हैं। उन्होंने कहा कि एनपीआर की जरूरत इसलिए है कि हर 10 साल में अंतरराज्यीय स्तर पर जनगणना में जबर्दस्त उथल-पुथल होती है। एक राज्य के लोग दूसरे राज्य में जाकर बस जाते हैं। जो लोग दूसरे राज्य में बसे हैं, उनकी जरूरतों के मुताबिक योजनाओं का आधार एनपीआर होगा। ये प्रक्रिया बीजेपी सरकार ने शुरू नहीं की। यूपीए सरकार ने 2004 में एक कानून बनाया और 2010 की जनगणना के साथ एनपीआर सर्वे हुआ। इस बार फिर जनगणना के साथ एनपीआर की प्रक्रिया भी पूरी की जाएगी। इसके अंदर देश में रहने वाला हर कोई भी व्यक्ति एक ऐप में अपनी जानकारी देगा। दी गई जानकारी के सपॉर्ट में कोई दस्तावेज नहीं देना होगा। अगर आपके पास कुछ जानकारी नहीं है तो आप उसे कोष्ठक को खाली छोड़ सकते हैं। इस बार घर का क्षेत्रफल कितना है, आपके घर में पशुधन कितना है? ऐसी जानकारी इस बार नहीं मांगी जा रही है। इसमें एक भी सवाल ऐसा नहीं है कि क्या आप भारत के नागरिक हैं? इमसें यह पूछा जा रहा है कि आप यहां कब से रह रहे हैं? शाह ने कहा कि नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) और नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (NPR) के बीच कोई संबंध नहीं है। मैं आज स्पष्ट तौर पर बता रहा हूं। देशव्यापी एनआरसी पर बहस की कोई जरूरत ही नहीं है क्योंकि अभी इस पर कोई चर्चा ही नहीं हो रही है। इस पर न कोई कैबिनेट में चर्चा हुई और न ही संसद में। 31 जुलाई, 2019 को नोटिफिकेशन आ गया था। तब सीएए आया ही नहीं था। अब तक कई राज्यों ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। उन्होंने प. बंगाल और केरल के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया कि वे अपने राज्यों की गरीब आबादी को सरकारी योजनाओं से दूर नहीं रखें। इन दोनों राज्यों ने एनपीआर की प्रक्रिया रोक दी है। पॉलिटिक्स और कम्यूनिकेशन में अंतर होता है। हमने नोटिफेकेशन निकाला 31 जुलाई, 2019 को। सारे राज्य भी नोटिफिकेशन निकाल चुके हैं। यह कम्यूनिकेशन है। पॉलिटिक्स यह है कि सीएए के कारण बवाल खड़ा हुआ, अब यह बवाल थमता जा रहा है क्योंकि सबलोग इसे समझने लगे हैं तो अब एनपीआर का बवाल खड़ा करो। दरअसल, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी के बीच संबंध होने की अफवाह फैलने से पूरा देश जल उठा। हर राज्य में सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन हुए और कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी, आगजनी, तोड़फोड़ के जरिए भारी तबाही मचाई।


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