इंडो-इजराइल कृषि परियोजना लाई क्रांति

By: Jan 30th, 2020 12:02 am

पंचकूला – भारत में इजराइल के राजदूत डा. रोम मलका ने कहा कि इंडो-इजराइल कृषि परियोजना पूरी दुनिया में कृषि क्रांति लेकर आ रही है। यह परियोजना इजराइल के लिए ही नहीं बल्कि भारत को वैश्विक की ओर बढ़ने का इशारा कर रही है। दोनों देशों के आपसी सहयोग से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का सपना भी साकार होगा। राजदूत डा. रोम मलका मंगलवार को घरौंडा स्थित इंडो-इजराइल सब्जी उत्कृष्टता केंद्र में आयोजित तीन दिवसीय सब्जी मेला के समापन अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि करनाल स्थित सब्जी उत्कृष्टता केंद्र इंडो-इजराइल के सहयोग से बना देश का सबसे पहला केंद्र है। एक दशक में इस संस्थान में लाखों किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने कहा कि इंडो-इजराइल कृषि परियोजना जैसे सैंटरों से बढि़या दुनिया का कोई सैंटर नहीं है। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य है कि आने वाले समय में सैटेलाइट ड्रोन की सहायता से खेती की जाए। इसके अतिरिक्त इंडो.इजराईल के सहयोग से करीब 27 केंद्र फल और सब्जियों के चलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन केन्द्रों के माध्यम से वर्ष 2018 में करीब दस लाख किसानों को कृषि का प्रशिक्षण दिया गया, जोकि एक गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि कृषि को बढ़ावा देने के लिए किसानों के साथ-साथ हर समुदाय की पहचान करके उन्हें कृषि से जोडऩा होगा। उन्होंने कहा कि सैंटर बनाने का उद्देश्य किसानों को लाभ देना है ना कि इनकी संख्या बढ़ाना और यह कार्य हरियाणा में कृषि वैज्ञानिक बखूबी निभा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि क्त्रांति लाने के लिए जहां भी सैंटर स्थापित किए गए हैं वहां के नजदीक के गांव को इससे जोड़ा जाए। इससे और इंडो-इजराइल के समझौतों को बढ़ावा मिलेगा। यह कोशिश भारत.इजराईल और हरियाणा के सहयोग से हो सकती है। इस अवसर पर कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री जयप्रकाश दलाल ने कहा कि हरियाणा सदा से ही हरा-भरा प्रदेश रहा है। देश का क्षेत्रफल छोटा होने के बावजूद देश के अन्न, फल, सब्जी के पोल में हरियाणा का विशेष स्थान है। हरियाणा सरकार ने अच्छे साधन उपलब्ध करवाकर किसानों की आय को वर्ष 2022 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे अपनी आय को बढ़ाने के लिए परंपरागत खेती को छोडक़र बागबानी अपनाएं और पैक हाऊस, नेट हाऊस बनाकर उच्च किस्म की खेती को अपनाएं। उन्होंने कहा कि हमने पेहवा में पहला पैक हाऊस खोला है जिसकी लागत 6 करोड़ रुपये है और आज घरौंडा में भी इंटीग्रेटिड पैक हाऊस की स्थापना की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 200 एस्प्रो सैंटर खोले गए हैं जिनसे करीब पांच हजार किसान जुड़ चुके हैं।


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