जयराम सरकार के मंत्री नहीं चाहते विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी
संगठनात्मक चुनावों के बाद मंत्रिमंडल विस्तार पर टिकी निगाहें, जबरदस्त लॉबिंग शुरू
शिमला-संगठनात्मक चुनावों के बाद अब सबकी निगाहें मंत्रिमंडल विस्तार पर टिक गई हैं। इसके अलावा नए विधानसभा अध्यक्ष का चयन भी रोचकता के साथ रहस्य बन गया है। रोचकता इसलिए है, क्योंकि जयराम सरकार का कोई भी मंत्री अध्यक्ष पद की कुर्सी संभालने को तैयार नहीं है। इसके लिए संभावित मंत्री जबरदस्त लॉबिंग में जुट गए हैं, ताकि उन्हें विधानसभा अध्यक्ष पद न सौंपा जाए। कि क्या जयराम सरकार के किसी मंत्री को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जाएगा या नहीं? हालांकि शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज का नाम इस रेस में सबसे ज्यादा सुर्खियों में है। शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी को भी विधानसभा अध्यक्ष का दायित्व सौंपे जाने की सियासी गलियारों में चर्चा है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा. राजीव सहजल का नाम भी इस चर्चा में उठ रहा है। इन तीनों मंत्रियों से किसी एक को अध्यक्ष बनाए जाने पर मंत्रिमंडल में तीन पद भरने की आस जगेगी। इतना तय है कि किसी भी मंत्री को ड्रॉप करना संभव नहीं है। क्षेत्रीय तथा जातीय समीकरणों के पाले में पल रहे मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर करना प्रदेश व केंद्रीय नेतृत्व दोनों के लिए मुश्किल है। ऐसे में सुरेश भारद्वाज, सरवीण चौधरी या डा. राजीव सहजल में से किसी एक को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इस सूरत में मंत्री पद के लिए सबसे प्रबल दावेदारी नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया की है। राकेश पठानिया का मंत्री बनना लगभग तय है। कैबिनेट में जगह बनाने के लिए दूसरा सबसे मजबूत दावा अब सिरमौर का होगा। विधानसभा अध्यक्ष पद पर अगर किसी विधायक का राजतिलक होता है, तो पांवटा के विधायक सुखराम चौधरी भी इसके प्रबल दावेदार हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सुखराम चौधरी को विधानसभा अध्यक्ष या मंत्री पद मिलना करीब-करीब तय है। मंडी में भी अध्यक्ष पद की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। सरकाघाट के विधायक कर्नल इंद्र सिंह का नाम भी चर्चा में है। कमोवेश यही फार्मूला शिमला जिला पर भी लागू हो सकता है।
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