दुनिया देखेगी फाइलों में बंद शॉर्ट आर्ट फिल्में

By: Jan 18th, 2020 12:01 am

शिमला  – प्रदेश भाषा विभाग की फाइलों में कैद शॉर्ट आर्ट फिल्में अब जल्द सार्वजनिक हो पाएंगी। प्रदेश सरकार ने भाषा विभाग से शॉर्ट फिल्मों की रिपोर्ट मांगी है। इसमें ये पूछा गया है कि विभाग काफी समय से इन फिल्मों को सार्वजनिक क्यों नहीं कर पाया है? बताया जा रहा है कि प्रदेश की संस्कृति को आर्ट फिल्मों के माध्यम से भाषा विभाग प्रदर्शित करने में फेल ही साबित हुआ है। भाषा संस्कृति विभाग की फाइलों में ये नामी शॉर्ट फिल्में बनकर तैयार तो हुईं, लेकिन तीन साल से फाइलों में कैद होकर रह गईं। इसमें एक कलाकार ने अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में पिछले साल भाषा विभाग से फिल्म को दिखाने के लिए स्वीकृति भी मांगी थी, जिसे भी भाषा विभाग ने रिजेक्ट कर दिया था। इन सभी परेशानियों से गुजरने के बाद संबंधित निर्देशक ने प्रदेश भाषा विभाग को पत्र लिखा था। इस पर प्रदेश सरकार ने विभाग से संबंधित शॉर्ट फिल्मों के बारे में पूछा। गौर हो कि तीन साल पहले भाषा कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा प्रदेश में लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए लोक फिल्मों को बनाने के लिए कलाकारों को आमंत्रित किया गया था। इसमें 70 में से पांच लोगों को लोक संस्कृति पर आधारित फिल्मों को बनाने के लिए उनका चयन भी किया गया। शर्त के मुताबिक, कम से कम एक साल में ये फिल्म बनाकर भाषा विभाग को सौंपनी थी। अब न तो इन फिल्मों को विभाग द्वारा प्रदर्शित किया जा रहा है और न ही संबंधित कलाकारों को इन फिल्मों को अन्य मंच पर प्रदर्शित करने की मंजूरी प्रदान की जा रही है, जिससे ये फिल्में कागजों में ही सिमट कर रह गईं। अब संबंधित निर्देशकों द्वारा मामला प्रकाश में लाने के बाद प्रदेश सरकार ने भी इस पर गंभीरता जाहिर की है। सवाल ये उठ रहे हैं कि इन फिल्मों का निर्माण ही आखिर क्यों किया गया, जब इसे आगे प्रदर्शित करने के लिए तीन वर्ष भाषा विभाग ने लगा दिए? कलाकारों का ये भी आरोप है कि विभाग में अधिकारी जल्द बदलते रहते हैं, जिसमें उनके प्रोजेक्ट का आखिर क्या हुआ है, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दे पा रहा है?

लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए बनाई थीं शॉर्ट फिल्में

गौर हो कि इसमें एक क लाकार ने तो महज़ पांच महीने के भीतर शॉर्ट फिल्म को बनाकर विभाग को सौंप भी दिया था। बाकी तीन कलाकारों ने भी फिल्म बनाक र विभाग को सौंप दी। बहरहाल इन फिल्मों के  प्रोड्यूसर बन बैठे भाषा विभाग इन फिल्मों को प्रदर्शित अभी तक नहीं कर पाया है। गौर हो कि भाषा विभाग की योजना ये थी कि हर वर्ष प्रदेश क ी लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए शॉर्ट फिल्में बनाई जानी तय की गई थी, लेकिन इस वर्ष भी ये फिल्में नहीं बन पाई है।


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