नासिर को देखने के लिए रोमांचित थीं सहेलियां

By: Jan 11th, 2020 12:20 am

सौंदर्य के क्षेत्र में शहनाज हुसैन एक बड़ी शख्सियत हैं। सौंदर्य के भीतर उनके जीवन संघर्ष की एक लंबी गाथा है। हर किसी के लिए प्रेरणा का काम करने वाला उनका जीवन-वृत्त वास्तव में खुद को संवारने की यात्रा सरीखा भी है। शहनाज हुसैन की बेटी नीलोफर करीमबॉय ने अपनी मां को समर्पित करते हुए जो किताब ‘शहनाज हुसैन : एक खूबसूरत जिंदगी’ में लिखा है, उसे हम यहां शृंखलाबद्ध कर रहे हैं। पेश है उनतालीसवीं किस्त…

-गतांक से आगे…

‘अब टाइम नहीं है। मुझे सबके सामने शर्मिंदा होना ही पड़ेगा।’ नासिर बेहद हताश-परेशान थे। दुकानें बंद थीं और ऐसी कोई रहा नहीं दिख रही थी कि मामला किसी तरह संभल जाए। ‘मुझे लगता है कि क्यों न सब सजावट हटा दें’, सईदा बेगम ने मामले को संभालते हुए कहा। लेकिन शहनाज की ऐसी योजना नहीं थी। ‘नहीं, मम्मी, उन्हें ऐसे ही रहने दो। कम से कम मैं अपनी सहेलियों से कह तो पाऊंगी कि उन्होंने मेरे लिए यह किया, भले ही सब बर्बाद हो गया हो।’ कुछ घंटों बाद शहनाज की सहेलियां आ पहुंचीं, सब अपने बेस्ट कपड़ों में सजी हुई थीं, एक से एक हेयर स्टाइल बनाए हुए – गुथ, फें्रच और कर्ल। वे सब अपनी दोस्त के मंगेतर से मिलने को रोमांचित थीं। लड़कियां आई और देखकर कुछ कशमकश में पड़ गईं। वे पेपर के लटके हुए टुकड़ों को देखकर पूछने लगीं, ‘क्या हुआ?’ ‘उन्होंने खुद सीढ़ी पर चढ़कर यह सब लगाया’, शहनाज ने गर्व से अपने मंगेतर का काम दिखाते हुए कहा। ‘बस उन्हें अहसास नहीं था कि इलाहाबाद में इतनी ठंड पड़ती है और ओस ने सब गीला कर दिया।’ ‘ओह, बेचारी शहनाज’, उनकी सहेलियों ने रहम जताते हुए कहा। ‘नहीं, मुझे बेचारी मत कहो। आखिरकार, जरूरी यह है कि उन्होंने मेरे लिए कुछ किया। देखो यह सब, पूरी रात जागकर उन्होंने मेरे लिए यह सब किया।’ उनके चेहरों पर फिर से ईर्ष्या दिखाई दे रही थी। आखिरकार, अपनी सहेलियों में एक शहनाज ही थीं, जिन्हें प्यार हुआ था, उनमें से काफी तो अभी उसका मतलब भी नहीं जानती थीं। नासिर स्कूल की लड़कियों के सामने आने से झिझक रहे थे, लेकिन शहनाज ने उनसे वादा लिया था कि वह उनसे मिलेंगे। बगीचे में उनके आते ही सारी अटकलें थम गईं। सब के मुंह खुले के खुले रह गए। ‘हैलो, मैं नासिर हूं’, उन्होंने कहा, वहां पसर आई खामोशी को तोड़ते हुए। लड़कियां उन्हें ऐसे देख रही थीं मानो वह किसी दूसरी दुनिया से आए हों। ‘ठीक है, आप लोग मजे करिए’, धीरे से यह कहकर, वह वहां से निकल लिए। ‘ओह माई गॉड! शहनाज, तुम कितनी लक्की हो। वह बहुत हैंडसम हैं। अब हम समझे कि तुम क्यों ऐसे पढ़ाई छोड़कर निकाह के लिए तैयार हो गईं।’ शहनाज बगीचे के बीच खड़ी हुई, किसी रानी के जैसे महसूस कर रही थीं, वह सेंटर आफ आकर्षण बन गई थीं, जबकि ग्रामोफोन पर एंजलबर्ट का रोमांटिक गाना बज रहा था। ‘वैसे, किसी ने ध्यान दिया’, उन्होंने कहा, अपनी उंगलियां नचाकर अंगूठी दिखाते हुए। ‘वह टोनी कर्टिस जैसे लगते हैं न?’ 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App