निचले हिमाचल में सियासी हलचल तेज़

By: Jan 7th, 2020 12:30 am

कांगड़ा-हमीरपुर संसदीय क्षेत्रों के कार्यकर्ता अपने ही गृह क्षेत्र में तवज्जो न मिलने से नाराज़, सरकार के लिए चुनौती बन गया बैलेंस

धर्मशाला   –  भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की घोषणा व मंत्रिमंडल विस्तार से पहले पार्टी के भीतर सियासी उठापटक बढ़ने लगी है। कांगड़ा व हमीरपुर संसदीय क्षेत्रों की सियासी बयार को पार्टी समय रहते नहीं संभाल पाई, तो आने वाले समय में बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है। पूर्व में हुए घटनाक्रम के बाद मामला कुछ हद तक शांत हो गया था, लेकिन अब फिर निचले हिमाचल के दो संसदीय क्षेत्रों के कई नेता दिल्ली से लेकर हिमाचल तक अपनी सियासी लड़ाई लड़ने को तैयार हो गए हैं। केंद्र की राजनीति में जाने वाले नेता अपने प्रदेश व अपने अपने गृह क्षेत्रों में भी प्रदेश द्वारा तवज्जो न देने से नाराज हैं। इतना ही नहीं, कुछ विधानसभा क्षेत्रों में वर्षों से पार्टी का झंडा उठाने वाले नेताओं एवं कार्यकर्ताओं पर सरकार में नजदीकियां बनाने वालों के हावी होने से हालात बिगड़ रहे हैं। सत्ता में होते हुए पुराने पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की पूछ न होने के चलते वे अपनों के खिलाफ सियासी तलवारें खींचने को तैयार हैं। हिमाचल में सत्ताधारी दल के कार्यकर्ता सरकार व संगठन में ओहदा पाने को बेताब हैं। प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति के साथ-साथ मंत्रिमंडल व बोर्ड निगमों में स्थान पाने के इंतजार में बैठे लोगों का सब्र टूटने लगा है। पार्टी को सत्ता में आए दो वर्ष का समय हो गया है। बावजूद इसके कई नेता बिना ओहदे के बनवास की स्थिति में हैं। इतना ही नहीं, बिना ओहदे के पुराने कार्यकर्ता इसलिए अधिक परेशान हैं कि कई जगह पैराशूटी नेता ही संबंधित क्षेत्रों में सत्ता का केंद्र बन गए हैं, जिससे पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं की पूछ नहीं हो पा रही है। ऐसे हालत में अब वह मौका देख अपना सियासी दांव खेलने को तैयार हैं। यही वजह है कि प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा के कई विधानसभा क्षेत्रों में सियासी जंग की आहट सुनाई देने लगी है। नेता अपनों के खिलाफ ही मोर्चा खोल रहे हैं। कुछ सांसद भी कई वार नाराजगी जता चुके हैं। प्रदेश की सियासत में उन्हें तवज्जो न मिलने का भी मलाल है।

शीतकालीन प्रवास की तैयारियां

प्रदेश सरकार भले ही अपने पहले वर्ष में शीतकालीन प्रवास के दौरान होने वाली कल्याण बोर्डों की बैठकों व प्रवास को पूरा नहीं कर पाई थी, लेकिन इस बार सरकार पूर्व की तरह ही धर्मशाला में करीब एक दर्जन से अधिक बड़ी बैठकें करने वाली है। इसके लिए एजेंडा आइटम से लेकर तमाम तरह के प्रबंध शुरू हो गए हैं। गौरतलब है कि ओबीसी, एससी, एसटी सहित विभिन्न कल्याण बोर्डों की बैठकें धर्मशाला कालेज के प्रयास भवन में पहली बार विधानसभा सत्र के दौरान तैयार किए कमरे में होती हैं। इस बार सरकार शीतकालीन प्रवास के साथ-साथ इन बैठकों के माध्यमों से संबंधित वगर्ोें को महत्त्व देते हुए उनके हितों में निर्णय लेगी।


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