बिना साफ किए दाल-चावल खा रहे छात्र

By: Jan 23rd, 2020 12:01 am

सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील के राशन की नहीं हो रही छंटाई, सफाई व्यवस्था पर फोकस नहीं

शिमला  – हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील पकाने के लिए अलग से किचन की सुविधा तो दे दी, लेकिन किचन में साफ-सफाई की कोई व्यवस्था ही नहीं है। इस वजह से सरकारी स्कूलों के लाखों छात्रों को बिना छंटाई के ही दाल व चावल खाने को मजबूर होना पड़ रहा है। यह खुलासा भारत सरकार की मिड-डे मील की टीम ने हिमाचल में पांच जिलों के सर्वे रिपोर्ट से किया है। दरअसल अक्तूबर, 2019 में भारत सरकार की टीम हिमाचल के पांच जिलों के सरकारी स्कूलों में गई। इस दौरान स्कूलों में जाकर पता चला कि किचन में मिड-डे मील के लिए राशन का जो भंडारण किया जा रहा है, उसे साफ कर नहीं रखा जा रहा है। दाल व चावल में मिट्टी व पत्थर तक कई स्कूलों में देखे गए। सिरमौर जिले के सरकारी स्कूलों में ज्यादा शिकायतें सामने आई हैं। एमएचआरडी की टीम ने सिरमौर के सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील पकाने वाले कर्मियों को भी सफाई व्यवस्था का विशेष ध्यान रखने के आदेश दिए। इसके साथ ही कहा कि सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील की स्वच्छता पर विशेष ध्यान न देने की वजह से छात्रों को पौष्टिक खाना नहीं मिल पा रहा है। इस वजह से मानसिक व शारीरिक विकास छात्रों का करना बेहद ही मुश्किल हो रहा है। हैरानी इस बात की है कि सोलन, बिलासपुर व शिमला में भी यही हाल मिड-डे मील के किचन में है। भारत सरकार ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि अगर हिमाचल में मिड-डे मील को बनाते वक्त सफाई का ध्यान नहीं रखा गया व छात्रों को पौष्टिक आहार नहीं दिया गया, तो ऐसे में मिड-डे मील के बजट में कटौती भी की जा सकती है। फिलहाल पिछले साल अक्तूबर में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की टीम ने स्कूलों का निरीक्षण कर शिक्षा विभाग को रिपोर्ट सौंप दी है। यह रिपोर्ट सौंपने के बाद शिक्षा विभाग को आदेश दिए गए हैं कि मार्च से पहले मिड-डे मील के लिए स्कूलों में अलग से किचन की व्यवस्था की जाए। गौर हो कि प्रदेश सरकार ने राज्य के पांच शिक्षण संस्थानों के साथ एमओयू साइन किया था, लेकिन राज्य के इन पांच शिक्षण संस्थानों ने सर्वे करने से इनकार कर दिया है। बजट की कमी से जूझ रहे निजी शिक्षण संस्थानों ने सर्वे को मना कर दिया है।

मिड-डे मील पर कोई क्वालिटी चैक नहीं

बता दें कि सरकारी स्कूलों में छात्र मिड-डे मील के तहत पौष्टिक खाना खा रहे हैं या नहीं, इस पर कोई क्वालिटी चैक  नहीं है। सरकारी स्कूलों में खाने की क्वालिटी जांचने के लिए फूड वेन व लैब तक की खरीद नहीं की गई है।

 


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