बीजेपी-जेडीयू अलायंस तोड़ना चाहते थे प्रशांत किशोर

By: Jan 31st, 2020 7:39 pm

पटना – तारीख, 16 सितंबर, 2018। स्थान- पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आधिकारिक आवास। उसी दिन जनता दल यूनाईटेड की राज्य कार्यकारिणी की बैठक होनी थी। भनक पहले से थी कि आज प्रशांत किशोर जेडीयू जॉइन करेंगे। वहीं मौजूद केसी त्यागी ने इसकी पुष्टि भी कर दी। उस दिन पार्टी के तीन बड़े नेताओं ने कहा कि कुछ नहीं बस सोशल मीडिया देखेंगे। ठीक एक महीने बाद 16 अक्टूबर को नीतीश ने प्रशांत किशोर को जेडीयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष घोषित कर दिया। इस फैसले ने नीतीश के करीबियों को भी चौंका दिया। पीके को पार्टी में नंबर टू बताया जाने लगा। खबरें आने लगीं कि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ सीट शेयरिंग पीके ही करेंगे। पटना के राजनीतिक गलियारों में कहा जाता है कि जब प्रशांत किशोर 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद दिल्ली रवाना हुए तो एक बैग सीएम हाउस में ही छोड़ गए थे। जल्दी ही प्रशांत किशोर के नीतीश का उत्तराधिकारी बनने की भी खबरें आने लगीं। ये तलवे घिस कर पार्टी में ऊपर उठे लोगों को नागवार गुजरी। नीतीश के करीबी आरसीपी सिंह, संजय झा, ललन सिंह जैसे नेता भी असहज थे। दूसरी ओर नीतीश कुमार ने पीके पर भरोसा बनाए रखा। हालांकि बीजेपी के साथ सीट शेयरिंग में भी पीके की कोई भूमिका नहीं रही। जेडीयू के एक बड़े नेता ने बताया, ‘लोकसभा चुनाव के समय से ही प्रशांत किशोर ने गड़बड़ियां शुरू कीं। यह ट्वीट भी करते थे। इन्होंने खुद नीतीश कुमार से कहा कि बीजेपी के लोग जेडीयू वाली सीटों पर हेल्प नहीं करेंगे। तभी कुछ भनक लग गई थी लेकिन चुनावी नतीजे कुछ और आए फिर बता चला कि प्रशांत किशोर अलायंस तोड़ने के पीछे पड़े हैं। इसका मुख्य कारण यही था कि पीके के लिए इस अलायंस में कोई रोल था ही नहीं। उन्हें लग गया कि यहां दाल गलने वाली नहीं है तभी वो ममता और केजरीवाल की तरफ भागे।’


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