रिजर्व सीट पर महिलाओं को बिठाना ही होगा

By: Jan 10th, 2020 12:01 am

बस में खड़े-खड़े सफर करने पर सरकार तल्ख, परिचालकों को दिए सीट देने के आदेश

हमीरपुर – बसों में सीटें आरक्षित होने के बावजूद खड़े-खड़े सफर करने को मजबूर महिला यात्रियों की शिकायतों और समस्या को देखते हुए सरकार ने कड़ा संज्ञान लिया है। हिमाचल पथ परिवहन निगम को निर्देश जारी किए गए हैं कि यह सुनिश्चित करें कि महिलाओं बसों में खड़े होकर सफर न करना पड़े। निगम की ओर से इस बारे में सभी परिचालकों को आदेश जारी कर दिए हैं कि महिला यात्री को आरक्षित सीट पर बिठाना उनकी जिम्मेदारी होगी। बता दें कि परिवहन विभाग ने यह व्यवस्था कर रखी है कि बसों में महिलाओं, दिव्यांगों और फ्रिडम फाइटर के लिए सीटें आरक्षित की हुई हैं। पहले एक्स एमएलए और एमपी के लिए भी सीटें आरक्षित होती थीं, लेकिन अब उनका आरक्षण खत्म कर दिया गया है। बता दें कि बसों में परिवहन विभाग की ओर से स्पेशल पैसेंजर के लिए सीटें आरक्षित रखी गई हैं, लेकिन अकसर देखा गया है कि निजी तो दूर की बात एचआरटीसी की बसों में भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। ऐसे में बसों में सीटों के आरक्षित होने की लिखी गई बातें कोरे जुमले लगती हैं। बाईं ओर की जो दो-दो सीटें होती हैं, वे सब स्पेशल पैसेंजर के लिए होती हैं। इनमें दिव्यांग, महिलाएं और फ्रीडम फाइटर शामिल हैं। महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित हैं, लेकिन होता यह है कि कभी किसी बुजुर्ग या फिर बच्चा लेकर खड़ी महिला को तो सीट दे दी जाती है, जबकि वैसे महिलाएं खड़े-खड़े सफर करती हैं। उनकी सीटों पर पुरुष यात्री आराम से बैठे रहते हैं। इसे लेकर हाईकोर्ट भी काफी पहले आदेश जारी कर चुका है कि जो सीटें जिनके लिए आरक्षित हैं वे उन्हें ही मिलनी चाहिएं। अब एक बार फिर सरकार की ओर से यह आदेश निगम को जारी हुए हैं। इसमें साफ कहा गया है कि कम दूरी वाले मार्गों पर यदि कोई महिला यात्री बस में खड़ी है तो उसे आरक्षित सीट पर बैठाएं।

लांग रूट्स पर संभव नहीं

महिलाओं के लिए बसों में सीटों के आरक्षण के यह आदेश लंबे रूट पर लागू नहीं हो सकते। क्योंकि यदि कोई सवारी कांगड़ा में बैठती है और उसने दिल्ली जाना है तो उसकी बुक हुई सीट पर रास्ते में किसी महिला सवारी को नहीं बिठाया जा सकता।


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