हिमाचल ब्रिटिश काल से जारी है जीवाश्म मिलने का सिलसिला का इतिहास

By: Jan 15th, 2020 12:16 am

कसौली व आसपास के क्षेत्रों में जीवाश्म मिलने का सिलसिला ब्रिटिश काल से जारी है। सन् 1864 में अंग्रेज वैज्ञानिकों ने कसौली के अपर माल पर कसौली क्लब के पास जीवाश्मों को ढूंढा था। वहीं, जल, भू- वैज्ञानिक डा. रितेश आर्य ने 1989 में कसौली में डाक्टरेट रिसर्च शुरू की और उन्हें काफी संख्या में जीवाश्म भी मिले…

गतांक से आगे

भारतीय द्वीप जब चीन से टकराया तो इस स्थान पर टेथिस समुद्र था। भारतीय द्वीप के चीन से टकराने पर हिमालय की उत्पत्ति हुई और भारत के एक तरफ अरब सागर और दूसरी तरफ बंगाल की खाड़ी का निर्माण हुआ। इस विषय पर समस-समय पर अध्ययन के साथ अनुसंधान भी होते हैं, लेकिन इन जीवाश्मों के मिलने से वैज्ञानिकों को जो तथ्य हासिल हुए हैं, वह हिमालय की उत्पत्ति को लेकर काफी महत्त्वपूर्ण तथ्य माने जा रहे हैं। 21 जुलाई 2018 को शाम करीब चार बजे धर्मपुर के समीप हुए भू- स्खलन के कारण जहां आम लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी थी,  वहीं इस भू-स्खलन ने वैज्ञानिकों के चेहरे खिला दिए। इस स्थान पर गिरे मलबे के नीचे मॉलस्क मिले। इनमें सीपियों, ऑयस्टर, गैस्ट्रोपोड व बाइवाल्व व पेड़ों के जीवाश्म शामिल हैं। इसके आधार पर उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि ये जीवाश्म करीब साढ़े चार करोड़ वर्ष पुराने हैं। इनमें से कई जीवाश्म पेड़ व सीपियों का मिश्रण हैं। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है। कि  इस स्थान पर लगभग साढ़े चार करोड़ वर्ष पूर्व समुद्र था। जीवाश्म कितने वर्ष पुराने हैं इसके  लिए पैरामीटर स्ट्रेटग्राफिक कोरिलेशन द्वारा तय किए जाते हैं। स्ट्रेटीग्राफी जियोलॉजी विज्ञान कितने वर्ष पुराने हैं इसके लिए पैरामीटर स्ट्रेटग्राफिक कोरिलेशन द्वारा तय किए जाते हैं। स्ट्रेटग्राफी जियोलॉजी विज्ञान की एक ब्रांच है जिसमें रॉक्स (चट्टानों) के स्तरों की फॉरमेशन,  कंपोजिशन, स्किवेंस व कोरिलेशन का अध्ययन किया जाता है। कसौली व आसपास के क्षेत्रों में जीवाश्म मिलने का सिलसिला ब्रिटिश काल से जारी है। सन् 1864 में अंग्रेज वैज्ञानिकों ने कसौली के अपर माल पर कसौली क्लब के पास जीवाश्मों को ढूंढा था। वहीं, जल, भू- वैज्ञानिक डा. रितेश आर्य ने 1989 में कसौली में डाक्टरेट रिसर्च शुरू की और उन्हें काफी संख्या में जीवाश्म भी मिले। कसौली में  मिलने वाले करोड़ों वर्ष पुराने जीवाश्म उन पेड़- पौधों के हैं, जो अंडमान निकोबार द्वीप सहित मलेशिया व  इंडोनेशिया में पाए जाते हैं। इनमें गार्सिन, गलुटा, कोमब्रिटम व पाम मुख्य है और ये पेड़-पौधे कसौली व आसपास के क्षेत्रों में नहीं पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों का तर्क है कि कसौली व आसपास मिलने वाले यह जीवाश्म उस समय के है जब कसौली की पोजिशन इक्वेटर  (भूमिध्य रेखा) के समीप हुआ करती थी।

पुरालिपियां

पुरालिपियां भी हिमाचल प्रदेश के प्राचीन इतिहास की कडि़यों की जोड़ने में बहुत महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुई है। ये पुरालिपियां धातु, काष्ठ और शिलाओं पर उत्कीर्ण की गई हैं। अतः मानव की फेर-बदल की मनोवृत्ति से मुक्त रही है। क्योंकि भोज पत्र और कागज आदि गलने वाली सामग्री में फेर बदल की संभावना रहती है। क्रमशः

 


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