3500 करोड़ बकाया, 670 करोड़ मिलने की उम्मीद

By: Jan 18th, 2020 12:30 am

तीन लाख डिफाल्टर्ज से वसूला जाना है वैट, सरकार ने मंजूर की वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी

शिमला – हिमाचल में वैट की बकाया राशि करीब 3500 करोड़ रुपए की वसूल की जानी है, जिसके लिए सरकार ने वन टाइम सैटलमेंट की पालिसी बनाई है। इससे 670 करोड़ रुपए की राशि सरकार को प्राप्त हो सकती है। वैट डिफाल्टरों के करीब तीन लाख के मूल्यांकन के मामले सुलझाए जाने हैं। जीएसटी लागू होने से पहले वैट वसूला जाता था और इतनी बड़ी संख्या में कारोबारियों ने वैट नहीं दिया। ऐसे में अब सरकार ने वन टाइम सेटलमेंट पालिसी को अपनी मंजूरी दे दी है। गुरुवार को हुई कैबिनेट में इस पर फैसला हुआ, जिसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बताया कि केंद्र सरकार के साथ सात बड़े राज्यों ने इस तरह की पालिसी बनाई है, जिसका फायदा हुआ है। मुख्यमंत्री ने बताया कि आबकारी एवं कराधान विभाग के अन्तर्गत हिमाचल प्रदेश के लीगेसी मामलों के समाधान को मंजूरी प्रदान की गई। उन्होंने यहां बताया कि योजना के अंतर्गत वस्तु एवं सेवा कर में सामान्य विक्रय कर, वैट, केंद्रीय बिक्री कर और अन्य कराधान कानूनों के अंर्तगत लंबित मामलों का समाधान किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना लंबित एरियर के समाधान के साथ-साथ वस्तु एवं सेवा कर के तहत निर्धारित कराधान कानूनों के लंबित आकलनों के निपटान के लिए जमा होने वाले किसी भी बकाया के लिए लागू होगी। गुजरात, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों ने जीएसटी लागू करने के पश्चात लंबित मामलों के समाधान के लिए बंदोबस्त योजना शुरू की है। इन राज्यों ने कुछ मौजूदा कानूनों के तहत बंदोबस्त योजना को रखा है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर के लंबित मामलों के निपटारे के लिए सबका विकास योजना-2019 लीगेसी विवाद समाधान शुरू की है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में लगभग 3500 करोड़ के बकाया और तीन लाख मूल्यांकन के मामले लंबित पड़े हैं। इस योजना से लगभग 620 से 670 करोड़ तक का राजस्व प्राप्त होगा तथा यह योजना वर्तमान के सभी डिफॉल्टर्स के लिए लागू होगी।

30 अप्रैल तक आवेदन

घोषक को कर भुगतान के लिए निपटान शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता होती है तथा रिटर्न या कर के भुगतान में जहां देरी होती है, वहां 10 प्रतिशत की दर से भुगतान किया जाता है, जहां कोई रिटर्न दाखिल नहीं किया गया है तथा वैधानिक रूप सीएफएच शामिल हैं और प्रस्तुत नहीं किए गए हैं, उन मामलों में 110 प्रतिशत कर देना होता है। उन्होंने कहा कि सेटलमेंट योजना के तहत घोषणा पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल होगी।


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