आईटी सेक्टर के लिए अलग से लैंड बैंक

By: Feb 1st, 2020 12:01 am

शिमला  – प्रदेश में आईटी सेक्टर के लिए अगल से लैंड बैंक बनाया जाएगा। सरकार ने शुक्रवार को आईटी पालिसी के लिए अधिसूचना जारी कर दी। देखा जाए तो नई आईटी नीति को अधिसूचित करते हुए सरकार ने इस क्षेत्र में निवेश करने वाले उद्यमियों को एक के बाद एक कई रियायतें देने की घोषणा की है। वाकनाघाट व गगल में आईटी पार्क बनने से प्रदेश में निवेश बढ़ा कर रोजगार सृजन के कई अवसर प्राप्त होंगें, जिसमें सरकार ने खासतौर पर  नीति में प्रदेश में आईटी सेक्टर के लिए अलग से लैंड बैंक बनाने की घोषणा भी की है। अभी सरकार की थीम देखें तो प्रदेश में निवेश बढ़ाने की कोशिश में जयराम सरकार लगी हुई है।  इस बात को निवेशक भी मान चुके हैं कि हिमाचल का वातावरण आईटी सेक्टर के अनुकूल है। लिहाजा सरकार ने न सिर्फ  सोलन जिला के वाकनाघाट, बल्कि कांगड़ा के गगल में आईटी पार्क स्थापित करने की योजना बनाई गई है। दोनों ही जगहों पर आईटी पार्क के लिए भूमि भी चिन्हित की गई है। नीति के तहत ये भी सामने आया है कि सरकार प्रदेश में कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की स्थापना की कोशिश में भी है। इसके लिए सरकार उपयुक्त स्थल की तलाश भी की जा रही है।

इतना उपदान मिलेगा

आईटी नीति के मसौदे के मुताबिक सरकार प्रदेश में आईटी सेक्टर में निवेश करने वाले उद्यमियों को मार्केट डिवेलेपमेंट सपोर्ट प्रदान केगी। इसके तहत अधिकतम पांच लाख तक का उपदान सरकार देगी। मार्केट डिवलेपमेंट सपोर्ट प्रदेश में 2016 में घोषित मुख्यमंत्री स्टार्टअप योजना के तहत दिया जाएगा। इसके लिए अलावा सरकार आईटी व ग्रीन डाटा सेंटर स्थापित करने वाले निवेशकों को पांच साल तक निवेश में उपदान भी देगी। उपदान की अधिकतम सीमा 25 लाख तय की गई है। यह उपदान ग्रीन डाटा सेंटर की स्थापना के लिए अधिकतम 30 लाख होगा। आईटी व ग्रीन डाटा सेंटर को प्लांट एंड मशीनरी पर परिवहन उपदान भी मिलेगा।

चक्करों से छुटकारा

बताया जा रहा है कि एक हजार किलोवाट तक के बिजली के लोड  से कम लोड लेने वालों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चक्कर काटने से रियायत देने की घोषणा भी आईटी नीति में की गई है। आईटी सेक्टर में निवेशकों के पर्यावरण संरक्षण के मकसद से उठाए जाने वाले कार्यों अर्थात ईटीपी की स्थापनाए, वर्षा जल संग्रहण टैंक जैसे कदम उठाने पर अधिकतम तीन लाख रुपए तक की आपरेशनल कॉस्ट पर सबसिडी मिलेगी।


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