इच्छाओं से लड़ना

By: Feb 8th, 2020 12:20 am

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव

इच्छाओं और वासनाओं से लड़ना महिषासुर से लड़ने जैसा है अगर आप अपने जीवन का लक्ष्य तय कर लेते हैं, फिर आप कुछ खोएंगे नहीं। हरेक व्यक्ति के अंदर प्रवृत्तियां मौजूद हैं। आप के ऊपर पूर्व कर्मों का प्रभाव है, वे आपको इधर-उधर ढकेलते हैं। अपनी सारी इच्छाओं और वासनाओं से आप लड़ नहीं सकते। अपनी इच्छाओं और वासनाओं के साथ कभी लड़ने का प्रयास भी मत कीजिएगा। उनके साथ लड़ना महिषासुर राक्षस से लड़ने जैसा है। अगर उसके खून की एक बूंद गिरती है, तो हजारों महिषासुर उठ खड़े होंगे। आपकी इच्छाएं और वासनाएं ठीक वैसी ही हैं। इच्छाओं को सही दिशा दें- जीवन में सिर्फ  सर्वोच्च की इच्छा करें। अपनी सभी वासनाओं को सर्वोच्च की ओर मोड़ दें। अगर आप क्रोध भी करते हैं, उसे भी सर्वोच्च की दिशा में लगाएं। अपनी वासनाओं के साथ पेश आने का भी यही तरीका है। ऊर्जा का हर अंश जो अभी आपके पास है, उसे आप इच्छा, वासना, भय, क्रोध तथा कई दूसरी चीजों में खर्च कर देते हैं। हो सकता है ये भावनाएं अभी आपके हाथ में न हों, लेकिन इन्हें एक दिशा देना आपके हाथ में है। हो सकता है जब आप क्रोध में हैं, आप प्रेम नहीं कर सकते, आप अचानक अपने क्रोध को प्रेम में नहीं बदल सकते, लेकिन स्वयं क्रोध को तो मोड़ा जा सकता है। क्रोध बहुत बड़ी ऊर्जा है, है कि नहीं? उसे सही दिशा दीजिए बस। आपकी ऊर्जा का हरेक अंश, आपकी हरेक आकांक्षा, भावना, विचार यदि सभी एक दिशा में केंद्रित हो जाएं तो परिणाम बहुत शीघ्र मिलेगा। चीजें घटित होंगी। एक बार जब आप जान लेते हैं कि कुछ बेहतरीन है और आप वहां पहुंचना चाहते हैं, फिर उस संबंध में कोई प्रश्न नहीं होना चाहिए। अधूरी कोशिशों से आत्मज्ञान नहीं मिलता – अब, आपके साथ यह बार-बार हो रहा है। यह आध्यात्मिकता, आत्मज्ञान, ईश्वर साक्षात्कार बहुत दूर दिखाई देता है। एक क्षण के लिए यह बहुत करीब तो दूसरे ही क्षण करोड़ों मील दूर दिखाई देता है। फिर एक खास तरह की संतुष्टि आ जाती है। आपको हमेशा यह सिखाया गया है कि हाथ में आई एक चिडि़या झाड़ी पर बैठी दो चिडि़यों से ज्यादा कीमती है। अभी जो यहां है, वो कहीं और की, किसी अन्य चीज से बेहतर है। आपको यह समझने की जरूरत है। यह कहीं दूसरी जगह नहीं है, यह अभी और यहीं है। क्योंकि आप खुद यहां नहीं हैं इसलिए आपको ऐसा दिखता है। ईश्वर कहीं और नहीं हैं, वे बस यहीं हैं। गैर हाजिर तो आप हैं। यही एकमात्र समस्या है। यह कठिन नहीं है, लेकिन निश्चित रूप से यह आसान भी नहीं है। यह बिलकुल सहज है। जहां आप अभी हैं, यहां से अनंत की ओर चलना बहुत आसान है, क्योंकि यह ठीक यहीं है। यह जान लें कि जो सहज है, जरूरी नहीं कि वो आसान भी हो। यह बहुत सूक्ष्म और नाजुक है। जब तक कि आप अपनी पूरी जीवन ऊर्जा इसमें नहीं लगा देते, यह नहीं खुलेगा। आधी-अधूरी पुकारों से ईश्वर कभी नहीं आता। आधे मन से कोशिश करने पर आत्म ज्ञान कभी नहीं होता। यह पल भर में घटित हो सकता है। इसमें बारह वर्ष लगेंगे ऐसा नहीं है। एक मूर्ख को अपने अंदर तीव्रता पैदा करने में भले ही बारह वर्ष लगे, यह अलग बात है। अगर आप अपने अंदर खूब तीव्रता पैदा करते हैं तो बस एक पल में घटित होगा। उसके बाद जीवन धन्य हो जाता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App