गीता रहस्य

By: Feb 15th, 2020 12:18 am

स्वामी रामस्वरूप

श्लोक 9/27 में श्रीकृष्ण महाराज अर्जुन से कह रहे हैं कि हे कुंती पुत्र अर्जुन! जो भी तू कर्म करता है, जो भी तू खाता है, जो भी तू यज्ञ करता है और जो भी तू दान करता है और जो भी तू तपस्या करता है, वह सब मेरे अर्पण कर। भावः श्रीकृष्ण महाराज ने सुदामा सखा के साथ संदीपन  गुरु के आश्रम में रहकर वेद एवं योग विद्या प्राप्त की थी…

गतांक से आगे…

यह यज्ञ रूप ‘‘प्रयतात्मनः भक्तयुपहतम’’ सेवा भक्ति युक्त साधकों के द्वारा ही जाती है। स्पष्ट है कि ऐसी भक्ति के लिए विद्वान से चारों वेदों के रहस्य,ज्ञान,कर्म और उपासना रूप तीनों विद्याओं को समझना आवश्यक है और यह अति उतम बात है कि जब जीव वेदों को सुनने लगता है, यज्ञ इत्यादि करने लगता है, तो उस समय से ही उस साधक का तप,रूप शुभ कर्म शुरू हो जाता है। जिसे शास्त्रों में इस प्रकार  कहा‘श्रुतं तपः स्वाहा तपः’ इत्यादि अर्थात सुनना,यज्ञ करना,स्वाहा का उदघोष करके  जलती अग्नि में वेद मंत्रों के साथ आहुति डालना। यह सब साधक के तप हैं और यह तप कभी भी व्यर्थ नहीं जाते अपितु शुभ पुण्य फल देकर जीव को सदा सुख देते रहते हैं। आओ हम पुनः पुरातन युगों की भांति इन तीनों को प्रारंभ करें और वेद सुनें। श्लोक 9/27 में श्रीकृष्ण महाराज अर्जुन से कह रहे हैं कि हे कुंती पुत्र अर्जुन! जो भी तू कर्म करता है, जो भी तू खाता है, जो भी तू यज्ञ करता है और जो भी तू दान करता है और जो भी तू तपस्या करता है, वह सब मेरे अर्पण कर। भावः श्रीकृष्ण महाराज ने सुदामा सखा के साथ संदीपन  गुरु के आश्रम में रहकर वेद एवं योग विद्या प्राप्त की थी।

शात्र में कहा यज्ञो वै श्रेष्ठतमम कर्मः अर्थात यज्ञ को ही सर्वश्रेष्ठ शुभ कर्म एवं ईश्वर की पूजा कहा है। अर्थववेद मंत्र 12/3/6 में कहा, यज्ञे निधनम कि वेद विद्या यज्ञकी  ही निधि है। अथर्ववेद मंत्र 19/42/2 में कहा (ब्रह्म-ब्रह्मणा) वेद द्वारा होता अर्थात हवनकर्ता(ब्रह्म) वेद के द्वारा यज्ञ होते हैं। भाव यह है कि वेद न होते तो कोई भी हवन कर्ता यज्ञमान आज इस संसार में न होता। वेद न होते तो यज्ञ भी न होते। अतः वेद विद्या के ज्ञाता न हों और कोई वेद के बिना यज्ञ/हवन करता हो, तो ईश्वर उस यज्ञ/हवन को अप्रमाणिक होेने के कारण स्वीकार नहीं करता। कारण यह है कि यज्ञ में निश्चित ही चारों वेदों का ज्ञाता, ब्रह्म आसन पर स्थित होता है और वेद मंत्रों की आहुतियों के पश्चात नित्य वेदमंत्रों के अर्थ व भाव समझता है।       – क्रमशः


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App