जनमंच के लिए हो बजट का प्रावधान

By: Feb 27th, 2020 12:08 am

कंचन शर्मा

लेखिका, शिमला से हैं

‘जनमंच’ हिमाचल प्रदेश सरकार का एक अनूठा कार्यक्रम है, जो आमजन, सरकार के प्रतिनिधि व हर विभाग के अधिकारियों से सीधा संपर्क करने का पारदर्शी माध्यम बना है। कहने में अतिशयोक्ति नहीं कि ‘जनमंच’ ने किसी न किसी स्तर पर हर विभाग को जहां मुस्तैदी से कार्य करने के लिए अग्रसर किया है, वहीं आमजन को मौके पर ही अपनी समस्याओं के निवारण का मंच भी प्रदान किया है…

जल शक्ति विभाग के अर्की जल शक्ति मंडल की अधिशाषी अभियंता होने के नाते मुझे पहली बार पांच जनवरी को अर्की के भूमति  में हुए जनमंच  की  कार्यवाही व रूपरेखा देखने व कार्यान्वित करने का सुअवसर मिला। उक्त जनमंच माननीय टीसीपी व शहरी विकास मंत्री आदरणीय सरवीण चौधरी की अध्यक्षता में हुआ जिसमें उपायुक्त सोलन व अर्की के माननीय जनप्रतिनिधि शामिल थे। अपार भीड़ में जनमंच का खुला दरबार बड़ी शालीनता से संपन्न हुआ जहां यदा-कदा कुछ एक अधिकारियों को जनसाधारण की समस्याओं को मुस्तैदी से न निपटाने के लिए लताड़ा भी गया। कुल मिलाकर अधिकारी  होने के अलावा एक प्रबुद्ध नागरिक होने के नाते प्रत्यक्ष रूप से जनमंच की सार्थकता का विश्लेषण करने का भी मुझे मौका मिला। ‘जनमंच’ हिमाचल प्रदेश सरकार का एक अनूठा कार्यक्रम है, जो आमजन, सरकार के प्रतिनिधि व हर विभाग के अधिकारियों से सीधा संपर्क करने का पारदर्शी माध्यम बना है। कहने में अतिशयोक्ति नहीं कि ‘जनमंच’ ने किसी न किसी स्तर पर हर विभाग को जहां मुस्तैदी से कार्य करने के लिए अग्रसर किया है, वहीं आमजन को मौके पर ही अपनी समस्याओं के निवारण का मंच भी प्रदान किया है। मैंने प्रत्यक्ष महसूस किया है कि सरकार के इस महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम का लाभ हर वर्ग को मिला है व अपनी समस्याओं के चलते सरकारी कार्यालयों व जनप्रतिनिधियों तक पहुंचने की मुश्किलों से जन साधारण को राहत मिली है। यही नहीं जनमंच के साथ ‘मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन-1100 नंबर’ सेवा भी आमजन में प्रचलित हो रही है जिसके माध्यम से अधिकारियों को निश्चित समय पर जवाबदेही देनी होती है। इस सेवा के माध्यम से भी जनसाधारण अपनी शिकायतें व मांगें रखते हैं, जिसका संज्ञान लेवल दर लेवल लिया जाता है। इस तरह से जनमंच व मुख्यमंत्री सेवा संकल्प के तहत अब तक हजारों जनसमस्याओं का निवारण किया जा चुका है। परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश में जनमंच की अनूठी पहल अब दूसरे प्रदेशों के लिए भी प्रेरणा बन रही है।

ये तो थी बात जनसाधारण की राहत व उनकी समस्याओं के निवारण की तो किसी न किसी स्तर पर अधिकारियों की मुश्किलें भी बढ़ी हैं, हालांकि वे बावजूद इसके जनसमस्याओं को निपटाने में जुटे हुए हैं। कहने में गुरेज नहीं कि जनमंच में बहुत बार जनता अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार करने पर उतारू हो जाती है, जिससे अधिकारियों को कई बार बहुत शर्मिंदगी भी उठानी पड़ती है क्योंकि उनके प्रति शिकायत को कुछ इस ढंग से पेश किया जाता है कि जनप्रतिनिधियों को भी सख्त रवैया अपनाना पड़ता है, हालांकि यह स्थिति कभी-कभी ही बनती है। क्योंकि हर बार जनता ही सही हो और अधिकारी गलत हों यह भी नहीं होता और अधिकारी हमेशा ही सही हो यह भी नहीं होता। यही नहीं कईर् शिकायतें ऐसी भी आती  हैं, जो शिकायतकर्ता के गांव, शहर  या फिर परिवार के निजी झगड़ों के तहत पनपी होती हैं व  संबंधित विभाग उसमें निवारण न होने की स्थिति में  पिसता रहता है। खैर,जनता खुश है क्योंकि उनकी शिकायत के लिए उन्हें खुला मंच मिला है जिसके माध्यम से सचमुच गरीब, बेबस की गुहार सुनी, समझी और निपटाई जा रही है जो उनका मौलिक अधिकार भी है। रही बात संबंधित विभागों की तो कर्मचारियों की कमी,पर्याप्त बजट का न होना भी कई बार जन शिकायतों का समय पर निवारण न होने का कहीं न कहीं कारण बनता है, क्योंकि जनमंच में बहुत सी जनशिकायतें  ‘मांग’ के रूप में सामने आती हैं व ऐसे में अधिकारी बजट न होने का रोना रोते हैं। अधिकारी ऐसी मांगों का प्रारूप बनाकर उक्त जिले के जिलाधीश को भेज देते हैं। देखने वाली बात यह है कि एक जिलाधीश कितने विभागों की जनमंच की समस्याओं के लिए फंड देंगे और वे भी किसी हैड के तहत। उधर दूसरी ओर अधिकारियों के ऊपर आगामी जनमंच की तलवार लटकी रहती है और वह दबाव में रहने को मजबूर हो जाते हैं। यही मुश्किल भिन्न-भिन्न विभागों को मुख्यमंत्री सेवा संकल्प योजना में आ रही है क्योंकि इस माध्यम से जब शिकायतकर्ता अगर कोई मांग रखता है व उक्त डिमांड को पूरा करने के लिए संबंधित अधिकारी के किसी हैड में फंड न हो तो स्पष्ट जवाबदेही के बाद भी वह शिकायतकर्ता अपनी शिकायतों को तब तक वापस न लेने के लिए अड़ जाता है जब तक उसकी समस्या का निवारण न हो जाए और उसकी असंतुष्टि पर उक्त शिकायत लंबित रहती है व संबंधित विभाग असहाय हो जाता है क्योंकि उस मांग के निवारण हेतु उनके पास फंड नहीं है। ऐसे में बहुत जरूरी हो जाता है कि इस वर्ष के बजट सत्र में जनमंच व मुख्यमंत्री संकल्प सेवा के जनहित कार्यों, शिकायतों के निवारण व अधिकारियों द्वारा त्वरित कार्रवाई के लिए अलग से बजट का प्रावधान हो जिससे विभिन्न विभाग जनसाधारण की समस्याओं के निवारण व मांगों को त्वरित गति से  समय पर पूरा कर सकें ताकि जनमंच की सार्थकता व मुख्यमंत्री सेवा संकल्प की लोकप्रियता व सार्थकता बनी रहे।


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