दिल्ली में पहुंचा पीले रतुए का डर, केंद्र की टीम ने किया नालागढ़ के खेतों का दौरा, जल्द भेजी जाएगी रपट

By: Feb 23rd, 2020 12:10 am

हिमाचल में बेहद अहम गेहूं की फसल अभी अपने अच्छे दिनों के सपने ले ही रही थी कि पीले रतुए ने सारा खेल बिगाड़ दिया। समूचे प्रदेश से पीले रतुए की शिकायतों ने किसानों के साथ कृषि विभाग को बेहाल कर दिया है। हजारों किसान अपनी फूटी किस्मत के साथ प्रदेश सरकार को कोस रहे हैं। खैर, सरकार भी अपनी ओर से प्रयास कर रही है। इन्हीं प्रयासों के चलते हिमाचल के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन से सटे क्षेत्रों में कृषि एवं कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की अनुश्रवण टीम ने दौरा कर लिया है। टीम ने नालागढ़ के प्लासड़ा, जोघों, कटीरडू़माजरा, पंजैहरा, जगतपुर, बरूणा आदि गांवों में किसानों से चर्चा कर ली है। किसानों को डर है कि कहीं पीले रतुए की मार सरसों और चने की फसल पर भी न पड़ जाए। उधर विशेषज्ञों का कहना है कि पीले रतुए को प्रोपीकोनेजोल के छिड़काव से ठीक किया जा सकता है। फिलहाल बीबीएन से तैयार रिपोर्ट केंद्रीय मंत्रालय को सौंपी जाएगी। उम्मीद है कि इस पर मोदी सरकार कोई राहत भरा कदम उठाए।

क्रॉल के लिए

हिमाचल में गेहूं का गणित 70 फीसदी किसान किसी न किसी तरह गेहूं उगाते हैं। हिमाचल में खेत से अंवाछनीय घास को हटाने के लिए गेहूं की फसल बड़ी कारगर साबित होती  है।  साल 1951-52 में हिमाचल 67 हजार टन गेहूं उगाता था। आज यह पैदावार 644 हजार टन पहुंच गई है।

क्या है पीला रतुआ

गेहूं के पत्ते पीले पड़ना पीला रतुआ नहीं है। पीला रतुआ वह स्टेज है जब गेहूं के पत्ते तो पीले पड़ते ही हैं, लेकिन उनसे पीला पाउडर भी निकलता है।

गोमूत्र और नीम के तेल के छिड़काव से भी पीला रतुआ काबू में आ जाता है, लेकिन ज्यादातर किसान प्रोपीकोनेजोल के छिड़काव को तवज्जो देते हैं।

सात माह में तैयार होने वाली सब्जी दो महीने में, देश  में एयरोपोनिक तकनीक का जमाना

सात माह में तैयार होने वाली सब्जी दो महीने में,देश में एयरोपोनिक तकनीक का जमाना

पौधों को देखकर आपके मन में भी सवाल उठ रहा होगा कि आखिर इनकी जड़ें कहां हैं, तो इसका जवाब यह है कि जमीन में तो नहीं हैं। जी हां, यही तो है खेती की एयरोपोनिक और हाइड्रोपोनिक तकनीक। यह वीडियो सीएसआईआर पालमपुर का है,जहां वैज्ञानिक इस तकनीक पर काम कर रहे हैं। यही नहीं, प्रदेश में कई प्रगतिशील किसान इसे अपना भी चुके हैं। इस तकनीक का बड़ा फायदा यह है कि 6 माह में तैयार हाने वाली सब्जियां महज दो माह में तैयार हो जाती हैं,वहीं पैदावार भी खूब होती है।  कीटनाशकों का प्रयोग न किए जाने से खाने को सेफ है। ऐरोपोनिक में जड़ें हवा में लटकी रहती हैं। इसमें छोटे से फव्वारे से पानी का छिड़काव किया जाता है। उस पानी में न्यूट्रियंट भी शामिल होता है और जड़ों को जितना जरूरत हो वह न्यूट्रियंट उन तक पहुंच जाता है, जो पानी बचता है वह नीचे ट्रे में एकत्रित होता है और पुनः उपयोग में आता है। डा. संजय कुमार, निदेशक, आईएचबीटी ने बताया कि जनसंख्या बढ़ने से लगातार घट रही खेती योग्य भूमि की समस्या से निपटने में यह तकनीक भविष्य में बड़ी कारगर होगी।                                                     जयदीप रिहान, पालमपुर

केजरीवाल लागू करेंगे स्वामीनाथन रिपोर्ट किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा

आम आदमी पार्टी ने किसानों को लेकर बड़ी बात कही है। पार्टी के नेता के नेता गोपाल राय ने कहा है कि भाजपा और कांग्रेस में से किसी पार्टी ने स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू नहीं किया, लेकिन दिल्ली सरकार ने फैसला किया है कि  यह रिपोर्ट राजधानी में लागू की जाएगी। इस रिपोर्ट के अनुसार ही केजरीवाल सरकार किसानों की फसल का दाम निर्धारित करने की तरफ बढ़ेगी।  देश के अंदर किसान सबसे बड़ी आबादी है। बार बार आवाजें उठती रही हैं कि हजारों किसान आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों के आत्महत्या के समाधान के लिए कांग्रेस सरकार के समय स्वामीनाथन रिपोर्ट तैयार की गई और 2006 में सौंप दी गई। इस रिपोर्ट में किसानों की भलाई के लिए किसानों के खर्च के अनुसार 50 प्रतिशत जुड़ कर न्यूनतम समर्थन मूल्य उनको मिलना चाहिए। ऐसा कहा तो गया, लेकिन कांग्रेस और भाजपा दोनों सरकारों ने इस रिपोर्ट को लागू नहीं किया। अब दिल्ली सरकार ने यह फैसला किया है कि दिल्ली के अंदर स्वामीनाथन रिपोर्ट के अनुसार किसानों की फसल का दाम निर्धारित करने की तरफ बढ़ेंगे। गौर रहे कि दिल्ली में 75000 एकड़ जमीन में कृषि होती है और 20000 किसान कृषि से अपना पेट पालते हैं तो ये कदम किसानों के लिए एक अच्छा मॉडल साबित होगा। बहरहाल अरविंद केजरीवाल सरकार की इस पहल का पूरे देश के किसानों ने स्वागत किया है। साथ ही दूसरी राज्य सरकारों पर भी इसे लागू करने का दबाव बढ़ जाएगा।

मटर में सिंचाई का रखें  विशेष ध्यान

बागबानों को सलाह दी जाती है कि गुठलीदार फलों में पता मरोड़तेला की रोकथाम के  लिए डाइमेथोएट 0.03 प्रतिशत 200 मिली रोगोर 30 इसी प्रति 200 लीटर पानी में घोल बनाकर फूल खिलने से 7-10 दिन पहले गलाबी कली अवस्था में छिड़काव करें। सभी फल पौधों में अगर अभी तक गली सड़ी गोबर की खाद व उर्वरक सुपर फास्फेट व पोटाश दिसंबर व जनवरी में न डाली हो तो नमी को ध्यान में रखते हुए अब तुरंत डाल दें। वर्षा की संभावना को देखते हुए किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि अपने किसी भी फसल में सिंचाई न दें जब तक बहुत अवश्यक  न हो। प्याज व लहसुन में नत्रजन की आदी मात्रा डाल कर निराई गुढ़ाई करें। मटर में फलीयां बननी शुरू हो गई हैं, इसलिए इसमें सिंचाई का विशेष ध्यान रखें तथा साथ में जंबें भी लगाना शुरू करें। मटर में यदि पाउडरी मिल्उयू का प्रकोप हो तो, कैराथीन (50 मिली/100 लीटर) या सल्फैक्स (250 ग्राम /100 लीटर) का छिड़काव करें। गर्मी में लगाई जाने वाली सब्जियां जैसे टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च आदि के लिए खेत तैयार करें। नींबू प्रजातीय फलों से विभिन्न उत्पाद जैसे रस, स्क्वैश, कार्डियल, मार्म लेड इत्यादि बनाकर परिरक्षित किए जा सकते हैं। गलगल व माल्टा के  छिलके  से कैंडी बनाई जा सकती हैं।

पशुधन संबंधित कार्य:

छोटे पशुधन को ठंड से बचाए रखें तथा धूप  अवश्य दें। गर्भावस्था की अंतिम तिमाही के दौरान गर्भवती पशुओं की विशेष देखभाल अति आवश्यक है। व्यस्क गायों तथा भैसों को 2.5-3.0 किलो दाना तथा 30 ग्राम खनिज मिश्रण प्रतिदिन दें।

कांगड़ा के फतेहपुर हलके में  नाकारा बने नलकूप

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर सरकार की और से हिमाचल प्रदेश में हरित क्रांति लाए जाने का प्रयास सराहनीय है। बेमौसमी हो रही बारिशों की वजह से जरूरी बन चुका की हर खेत को समय पर फसलों की सिंचाई के लिए पानी भी मिले। जिला कांगड़ा फतेहपुर हल्के में स्टाफ अभाव के चलते पिछले अठारह वर्षों से दर्जनों नलकूपों का जनता को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरकारों की लापरवाही की वजह से शोपीस बने इन नलकूपों की मशीनरी गलना, सड़ना शुरू हो चुकी है। नलकूपों की खिड़कियां, दरवाजे और चार दिवारी की हालत भी जर्जर बन चुकी है। ज्यादातर नलकूपों में स्टाफ की तैनाती न होने के बावजूद भी नलकूपों का पानी ओवरफ्लो होने की वजह से चौबीस घंटे बेकार बहता जा रहा है। ‘जल की बूंद-बूंद कीमती इसे व्यर्थ न गवाएं’ की पंक्तियां इस हल्के में फिट नहीं बैठती हैं। सन् 2002-03 में प्रदेश में भाजपा की सरकार ने नाबार्ड के तहत फतेहपुर हल्के के विभिन्न स्थानों में करीब चालीस नलकूप लगाने का काम शुरू करवाया था। नावार्ड ने अपने हिस्से का बजट नलकूपों के लिए वितरित कर दिया, मगर प्रदेश सरकारों की और से अपने हिस्से का बजट खर्च न किए जाने की वजह से इन नलकूपों का काम अधर में लटककर रह गया था।  नलकूपों का बिजली बिल ही इतना बन चुका जिसका भुगतान कैसे किया जाए यह भी बड़ा सवाल है। नलकूपों में मोटरें इतनी अत्यधिक पावर की लगी हुई हैं कि जब वह चलती तो पानी के तेज बहाव के कारण खेतों की बाड़ तक टूट जाती है। विधानसभा चुनावों में नेताओं ने ऐसे नलकूपों के अधूरे पड़े काम को पूरा करके उन्हें जनता को सपुर्द किए जाने की घोषणाएं की थी जो कोरी साबित हुई।

सुखदेव, नूरपुर

शिमला में लगा पहला सोलर वाटर लिफ्ट पंप

 शड़ी पंचायत 30 हजार लीटर पानी की स्टोरेज

सूरज से निकली किरणों से जमीन से 650 मीटर की ऊंचाई पर पानी उठाकर शिमला जिला की शड़ी पंचायत ने कमाल कर दिया है। इस पंचायत में जिला का पहला सोलर वाटर लिफ्ट पंप लगा है। इसमें 35 हजार लीटर तक पानी स्टोर हो रहा है। शड़ी मतियाना का कोग गांव सिंचाई की समस्या झेल रहा था। ऐसे में भू संरक्षण विभाग ने पंचायत के जरिए 15 लाख रुपए खर्च करके यह पंप स्थापित किया है। खास बात यह कि  धूप से चार्ज होने वाली 30 प्लेटों के माध्यम से यह पंप  650  मीटर ऊंचाई तक बड़ी आसानी से पानी लिफ्ट कर रहा है। पंप के पास 35 हजार लीटर की क्षमता का भंडारण टैंक बनाया गया है और ऊपर कोग गावं में 30 हजार लीटर की क्षमता का टैंक मनाया गया है, जहां से खेतों में पानी का वितरण किया जा रहा है। ग्राम पंचायत शड़ी मतियाना की प्रधान शीला चंदेल ने बताया कि यह सोलर पंप बेहद फायदेमंद साबित होगा। उधर भू संरक्षण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कम्युनिटी बेस पर इस पंप पर 85 जबकि निजी तौर पर 80 फीसदी सबसिडी का प्रावधान है, तो किसान भाइयों अगर आपके खेतों में पानी नहीं पहुंचता और ऊं चाई पर बने खेतों से खड्ड या नाला काफी नीचे बह रहा है, तो देर न करें। सरकार की इस योजना का लाभ उठाएं ।                       

  रिपोर्ट: सुधीर शर्मा, मतियाना

सरकाघाट के बिंगा गांव में किसानों की  आय डबल करने की सौगंध

मंडी जिला में कृषि विभाग धर्मपुर ने बिंगा गांव में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के बारे में किसानों को जानकारी दी और उन्होंने कहा कि सन् 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की प्रतिज्ञा ली गई है। इस योजना में आरंभ की गई सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती में जिस संकल्प दृढ़ता और अपने कठोर परिश्रम से आपने कृषि में प्रयोग होने वाले मंहगे रसायनों को तिलांजलि देकर प्राकृतिक खेती प्रारंभ की है। गौर रहे कि  प्रदेश सरकार का प्राकृतिक कृषि में 50000 किसान परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इस अवसर पर पूर्व उप कृषि निदेशक डा. रामनाथ ठाकुर भी उपस्थित रहे।

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