दूध नहीं होगा महंगा

By: Feb 14th, 2020 12:07 am

साख निर्धारण कंपनी क्रिसिल की रिपोर्ट में उत्पादन बढ़ने का दावा

नई दिल्ली – साख निर्धारण एवं बाजार अध्ययन कंपनी क्रिसिल ने अगले वित्त वर्ष में अच्छे मानसून और दूध उत्पादन बढ़ने की संभावना के मद्देनजर दूध की कीमतों में फिलहाल वृद्धि नहीं होने की बात कही है। कंपनी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीने में दिसंबर तक दूध का उत्पादन छह प्रतिशत कम रहा तथा पूरे वित्त वर्ष के दौरान इसके पांच से छह प्रतिशत के बीच घटकर करीब 17.6 करोड़ टन रहने का अनुमान है। उसने बताया कि पिछले साल मई से दूध उत्पादन में कमी आने के कारण पहले नौ महीने में डेयरी कंपनियों का दूध का खरीद मूल्य 19 प्रतिशत बढ़ा। इस कारण उन्होंने दूध के खुदरा मूल्य तीन से चार प्रतिशत बढ़ा दिए। पहले जबरदस्त गर्मी, फिर मानसून के आने में देरी और बाद में ज्यादा बारिश से बाढ़ के कारण दुधारू पशुओं को सही चारा नहीं मिल पाया। इस कारण दुग्ध उत्पादन कम रहा। क्रिसिल की गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल फरवरी से पशुओं के लिए पर्याप्त चारा उपलब्ध है। साथ पिछले साल मानसूनी बारिश दीर्घावधि औसत से 10 प्रतिशत ज्यादा होने के कारण जलाशयों में इस बार 10 साल के औसत से 41 प्रतिशत ज्यादा पानी उपलब्ध है। साथ ही मानसून भी सामान्य रहने का अनुमान है। इन सभी कारकों से यह उम्मीद की जा रही है कि इस कैलेंडर वर्ष रबी और खरीफ फसलों का अच्छा उत्पादन होगा, जिससे पशुओं को पर्याप्त चारा मिलेगा। इससे दुग्ध उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। क्रिसिल के अनुसार आने वाली कुछ तिमाहियों में दूध के दाम बढ़ने की आशंका नहीं है। दूध के साथ ही दूध पाउडर के दाम भी इस दौरान स्थिर रहने की संभावना है। इसकी कीमत कैलेंडर वर्ष 2019 में 100 प्रतिशत बढ़कर 2018 के 150 रुपए प्रति किलोग्राम से 300 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई है।

सुस्ती पर ग्रामीण इलाके दिलाएंगे राहत

नई दिल्ली – भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर लगातार बुरी खबरें आ रही हैं। जनवरी में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.59 फीसदी पर पहुंच गई जो पिछले छह सालों का उच्चतम स्तर है। हालांकि इसमें कुछ अच्छी खबर भी है। एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक 19 महीने के बाद जनवरी में यह पहली बार हुआ है जब ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई शहरी क्षेत्रों के मुकाबले तेजी से बढ़ी है। आर्थिक जानकार इसे सकारात्मक संकेत बता रहे हैं, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था मांग में कमी की समस्या से ही जूझ रही है। भारत की दो तिहाई आबादी रूरल सेक्टर पर निर्भर है और 2.8 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था में खेती का योगदान 15 फीसदी है। महंगाई दर में तेजी का मतलब है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की मांग और खर्च में तेजी आई है।


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