पाइन नीडल उद्योगों को सिंगल विंडो से छूट
50 लाख तक की यूनिट लगाने को नहीं लेनी होगी क्लीयरेंस, पालिसी बदली
शिमला – राज्य सरकार ने जंगलों से चीड़ की पत्तियां उठाकर उन पर आधारित उद्योग में प्रयोग करने के लिए जो पालिसी बनाई है, उसमें संशोधन किया है। बुधवार को इस संशोधन को लेकर संशोधित अधिसूचना जारी हुई, जिसमें कहा गया है कि 50 लाख रुपए तक के यूनिट स्थापित करने के लिए संबंधित उद्योगपतियों को सिंगल विंडो की क्लीयरेंस लेने की जरूरत नहीं रहेगी। इससे पहले यह प्रावधान नहीं था और सभी तरह के उद्योगों को सिंगल विंडो की कलीयरेंस जरूरी रखी गई थी। सरकार ने उद्योगपतियों को इसमें राहत दी है। क्योंकि हिमाचल प्रदेश में चीड़ के जंगल काफी हैं और इससे झड़ने वाली पत्तियों से जंगलों में आग फैलती है। ऐसे में सरकार चाहती है कि न केवल जंगलों से यह चीड़ की पत्तियां साफ हों, बल्कि इनका सदुपयोग भी किया जा सके। बायोगैस में इसका इस्तेमाल हो सकता है, वहीं ईंट बनाने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है। सीमेंट कंपनियों के प्रयोग में यह चीड़ की पत्तियां आती हैं लिहाजा ऐसी ही कंपनियां यहां पर छोटे-छोटे उद्योग धंधे स्थापित कर सकते हैं। पच्चास लाख रूपए तक के यूनिट को स्थापित करने के लिए सरकार ने सिंगल विंडो से छूट दे दी है वहीं इससे अधिक की लागत के उद्योगों की वैल्यूवेशन उद्योग विभाग के महाप्रबंधक करेंगे। ऐसे उद्योगों को सिंगल विंडो से मंजूरी लेनी होगी और उद्योग विभाग इनके मामलों को सिंगल विंडो में भेजेगा। प्रदेश के निचले हिमाचल में इस पर आधारित उद्योग धंधे स्थापित हो सकते हैं। कुछ कंपनियों ने यहां पर छोटे उद्योग लगाने के लिए इच्छा भी जताई है, जिनमें सीमेंट कंपनियों के साथ बातचीत भी हुई है। राहत देने के लिए संशोधित अधिसूचना अतिरिक्त मुख्य सचिव वन राम सुभग सिंह की ओर से जारी की गई है।
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