पाक को सुधरने के लिए चार महीने की मोहलत

By: Feb 22nd, 2020 12:08 am

नई दिल्ली – आतंकवाद के पनाहगार पाकिस्तान की तमाम पैंतरेबाजी एक बार फिर विफल साबित हुई है। वैश्विक आतंकवाद वित्तपोषण पर नजर रखने वाले निकाय फायनांशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने आतंकवाद के वित्तपोषण पर काबू पाने में नाकामी के कारण पाकिस्तान को अगले चार महीने तक संदिग्ध सूची ‘ग्रे लिस्ट‘’ में ही रखने का फैसला किया है। चीन ने आतंकवाद पर अपने पुराने दोस्त को फटकार तो लगाई, लेकिन ब्लैक लिस्ट करने के मामले में मलेशिया और तुर्की के साथ वह भी पाकिस्तान को बचाने में लग गया। हालांकि इन तीनों देशों की वजह से पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट होने से तो बच गया, लेकिन उसे ग्रे लिस्ट से बचने के लिए 13 देशों के समर्थन की दरकार थी, जो उसे नहीं मिला। एफएटीएफ  ने साथ ही पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि अगर वह आतंकवाद समेत 25 सूत्री ऐक्शन प्लान को पूरा नहीं करता है, तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। यह निर्णय एफएटीएफ  के अंतरराष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (आईसीआरजी) की बैठक में लिया गया। यह बैठक पेरिस में पूर्ण सत्र के दौरान हुई। बैठक में राजनयिक और एफएटीएफ के सदस्यों ने इस बात पर ध्यान देने को कहा है कि किस तरह पाकिस्तान एफएटीएफ की तकनीकी प्रक्रिया का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहा है। राजनयिक सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान आगामी जून तक संदिग्ध सूची में बना रहेगा। एफएटीएफ  ने अपने सदस्यों से पाकिस्तान के तमाम कारोबारी रिश्ते और वित्तीय लेन-देन पर नजर रखने को भी कहा है। पाकिस्तान की इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार ने अपनी जनता से वादा किया था कि वह फरवरी में एफएटीएफ  की संदिग्ध सूची से बाहर निकल जाएगा। पाकिस्तान ने ग्रे लिस्ट से बचने के लिए पूरा तिकड़म लगाया और कई देशों ने उसके समर्थन में बोला भी, लेकिन तकनीकी ग्राउंड और सबूतों ने उसे बेदम कर दिया और एफएटीएफ  ने पाया कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं रखा जा सकता है। पाकिस्तान को अब जून में एफएटीएफ  की ग्रे लिस्ट से बचने के लिए सभी 1267 वित्तीय संस्थानों और 1373 आतंकियों के खिलाफ  कार्रवाई करनी होगी। इस्लामाबाद को इन आतंकियों और संगठनों को टेरर फंड जुटाने से रोकना होगा। साथ ही उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए उनकी संपत्तियों को भी जब्त करना होगा। एफएटीएफ  पेरिस स्थित अंतरसरकारी संस्था है। इसका काम गैर-कानूनी आर्थिक मदद को रोकने के लिए नियम बनाना है। इसका गठन वर्ष 1989 में किया गया था। एफएटीएफ  की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर देश को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है।


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