मैनी-मैनी थैंक्स गुरु

By: Feb 12th, 2020 12:05 am

अशोक गौतम

ashokgautam001@Ugmail.com

ज्यों ही मित्र का फोन उठाया तो उसका फोन कान से लगाते ही उसे बिना सुने मैं भांप गया कि मित्र दिखावे को नहीं, सच्ची परेशान है। ‘और क्या हाल हैं तेरे फेसबुकिए? बड़े महीनों बाद फोन किया! क्या बात, आभासी दुनिया के दोस्तों से मन भर गया जो महीनों का भूला महीनों बाद दोस्त के पास लौट आया?’ ‘नहीं यार! आभासी दुनिया कंबख्त है ही ऐसी दुनिया कि एक बार जो इस दुनिया में प्रवेश कर ले वह मरने के बाद भी इस दुनिया में बना रहे। न कोई एनआरसी का लफड़ा और न  कोई…. पूरा बा्रहंड हमारा!’ ‘तो आज फोन क्यों लगा दिया फिर? गलती से तो नहीं लग गया कहीं?’ मैंने उसके ही मुख से स्थिति स्पष्ट करवानी चाही तो उसने कांपते हुए से कहा, ‘यार! सुबह से बहुत परेशान हूं!’ ‘क्यों? क्या है परेशानी वाली बात? यथार्थ की दुनिया में गलती से कदम तो नहीं पड़ गया कहीं?’ ‘नहीं यार! सुबह से फेसबुक पर कुछ डाला नहीं। बस, इसलिए परेशान हूं। समझ नहीं आ रहा फेसबुक पर आज क्या डालूं़’ ‘मतलब?’ अब दोस्त के बदले मैं परेशान। हाय! कैसी विवशता से गुजर रहा है बेचारा! खुदा कसम! दोस्त की मजबूरी उस वक्त मुझसे देखी न गई सो मैं उससे भी अधिक सोच में पड़ गया। कहीं ऐसा न हो कि दोस्त सोचते-सोचते ही…. उस वक्त दोस्त के बारे में पता नहीं मेरा मन क्या-क्या भला सोचने लगा कि तभी दूसरी ओर से उसने पूछा, ‘क्यों? किस सोच में पड़ गया तू भी?’ ‘नहीं यार! कुछ नहीं! बस तेरे बारे में ही सोच रहा था कि….. ‘तो बता क्या डालूं फेसबुक पर आज जो लीक से हट कर हो?’ ‘अपनी और भाभी के विवाह से पहले हुए बच्चे वाली फोटो डाल दे, ‘मैंने डरते हुए सलाह दी तो उसने हंसते हुए कहा, ‘वह तो मैं बहुत पहले ही डाल चुका हूं यार! और तुझे पता है उस पर हमें इतने लाइक्स मिले थे कि पत्नी ने जब वह लाइक्स देखे थे तो उसने मुझसे कहा था कि अगले जन्म में भी जो हम आदर्श पत्नी पति बने तो विवाह से पहले कई बार और इस इतिहास को दोहराएंगे।’ ’तो ऐसा कर, अपनी वह बनियान डाल दे जो पहली बार तूने किसी के छत पर से उठाकर पहनी थी और फिर शान से नंगी टांगों के उस खुशी में पूरे मोहल्ले में घूमा था।‘ ‘यार! वह भी मैं डाल चुका हूं।’ ‘तो अपनी दादी के साथ दूसरे के दादा वाली तस्वीर डाल दे।’ ‘वह होती तो उसे कभी का फेसबुक पर डाल चुका होता। यार! कुछ नया दे न?’ लगा ज्यों उसके दिमाग में खुरक शुरू हो गई थी। ‘तो??’ मैं  हाउस हसबेंड से अरस्तू होने लगा धीरे धीरे, ‘तो ऐसा कर, घर में पड़े दादा का थूकदान अपने फेसबुक पोस्ट में पेस्ट कर दे। ‘वह तो यार पिछले हफ्ते प्याज खरीदने को कबाड़ी को कबाड़ में बेच दिया था, ‘वह मायूस हुआ फोन पर ही। ‘तो ऐसा कर, दादी के वक्त का चिमटा फेसबुक की पीठ पर दे मार।’ ‘यार! वह पता नहीं कहां होगा! मेरे पास इतना वक्त कहां है जो…. मुझे तो बस इसी वक्त फेसबुक पर कुछ डालना है तो बस डालना है, ताकि मैं आज का अपना फेसबुकी धर्म निभा सकूं। कुछ जल्दी बता यार! ऐसा न हो कि वरना तू अपने सबसे कीमती दोस्त से हाथ धो बैठे। सच कहूं तो मेरा दिमाग तो पहले ही बैठ चुका था, पर अब  दिल बैठा जा रहा है। ‘तो भाभी से क्षमा याचना मांगते अपना वो वाला प्रेम प्रसंग डाल दे। देखना, उस पर तो इतने लाइक्स मिलेंगे कि…. ‘वह बुरा तो नहीं मानेगी न?’ ‘इस उम्र में बुरा मान भी लेगी तो तेरा क्या पट लेगी? पति हो यार तो पति की तरह जीना सीखो। बुरे वाली इसमें बात है ही क्या? उन्हें पता चला जाएगा कि तुममें प्रेम के कीड़े नैसर्गिक थे।’ ‘ठीक है। पर कल को मुझे फेसबुक पर क्या डालना है, इस पर भी सोच लेना गुरु! आजकल पता नहीं मुझे फेसबुक पर डालने को कुछ नया क्यों नहीं दिख रहा? थैंक्स गुरु! आज का दिन निकलवाने के लिए…. जरूरत पड़ी तो कल फिर मिलते हैं…..‘ और उसने यों फोन काटा ज्यों अब मैं कौन तो वह कौन।


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