यहां पतंजलि ऋषि ने की थी तपस्या

By: Feb 21st, 2020 12:20 am

पांवटा साहिब – घने जंगलों के बीच स्थित पातलियों के ऐतिहासिक स्वयं-भू पातालेश्वर महादेव मंदिर पांवटा के उन शिव मंदिरों में से एक है, जहां महाशिवरात्रि पर हर साल विशाल मेला आयोजित होता है। यहां पर महादेव का स्वयं-भू शिवलिंग है, जिसकी पूजा-अर्चना वैसे तो हर रोज होती है लेकिन हर सोमवार व महाशिवरात्रि के दिन तो यहां पर भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। जानकार बताते हैं कि पहले यहां पर घना जंगल होता था। बाद में यहां के लोगों ने जंगल में कई फुट लंबा व चौड़ा शिवलिंग देखा। इसके बाद यहां पर मंदिर का निर्माण करवाया गया है। इस प्राचीन और पवित्र स्थल में अब हजारों की संख्या में दूर-दूर से शिव भक्त पहुंचते हैं। इस स्थान की अलग-अलग मान्यता है। पहली मान्यता यह है कि यहां पर ऋषि पतंजलि ने भगवान शंकर की तपस्या की थी। उस समय यहां पर घना जंगल था। मान्यता है कि ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर यहां शिवलिंग के रूप में विराजमान हुए। पतंजलि नाम के कारण इसका नाम बाद में पातालेश्वर पड़ा है। एक और मान्यता यह है कि यहां पर पांडवों ने भी कुछ समय बिताया। इस दौरान उन्होंने यहां पर शिव शंकर की पूजा-अर्चना की जिस कारण बाद में यह जगह प्रसिद्ध हो गई। भक्त बताते हैं कि यहां पर स्थित स्वयं-भू शिवलिंग की ऊंचाई हर साल बढ़ती रहती है। पातलियों पंचायत और पातालेश्वर मंदिर समिति के प्रधान दाता राम चौहान और प्रचार मंत्री धर्मवीर राठौर ने बताया कि यहां पर पहले घना जंगल होता था। स्वयंभू शिवलिंग के कारण इस जगह का नाम धीरे-धीरे प्रसिद्ध हो गया। यहां पर मालवा कॉटन फैक्ट्री ने शुरू में योगदान देकर मंदिर का निर्माण करवाया। इसके बाद पातलेश्वर मंदिर समिति का गठन किया गया। समिति के प्रयासों के बाद सरकार व शिव भक्तों के सहयोग से यहां पर विशाल मंदिर का निर्माण करवाया गया है। जंगल के बीच स्थित इस मंदिर में महाशिवरात्रि पर विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस दौरान पूरे दो दिनों तक अटूट लंगर चलाया जाता है। इस बार यह महापर्व 21 फरवरी शुक्रवार से शुरू हो रहा है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App