स्कूलों में वाटर प्यूरिफायर लगाने पर रोक

By: Feb 14th, 2020 12:05 am

एनजीटी के एक फैसले के बाद हिमाचल सरकार ने रोके टेंडर

शिमला – नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पानी में टोटल डिजोल्वड कंटेंट (पूर्णतः घुले हुए ठोस पदार्थ) यानी टीडीएस की मात्रा 500 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) से कम पाए जाने वाले क्षेत्रों में वाटर प्यूरिफाई लगाने तथा इसकी बिक्री पर रोक लगाने के आदेश पारित किए हैं। एनजीटी के इस फैसले के तुरंत बाद प्रदेश की जयराम सरकार ने हिमाचल के 18 हजार स्कूलों में वाटर प्यूरिफायर स्थापित करने की टेंडर प्रक्रिया रोक दी है। शिक्षा विभाग ने पायलट प्रोजेक्ट के आधार प्रदेश के 300 स्कूलों में वाटर प्यूरिफायर स्थापित कर दिए हैं। मिडल स्टैंडर्ड तक के 16 हजार स्कूलों में वाटर प्यूरिफायर लगाने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसी कड़ी में दो हजार उच्च स्कूलों में भी इन्हें स्थापित करने के सरकार ने निर्देश दिए थे। हालांकि अब प्रदेश भर के 18 हजार स्कूलों में वाटर प्यूरिफायर लगाने की प्रक्रिया फिलहाल रुक गई है। दरअसल एनजीटी ने जून 2019 को अपने एक फैसले में कहा था कि पानी के टीडीएस की मात्रा 500 पीपीएम से ज्यादा होना जरूरी है। इससे कम मात्रा वाले एरिया में वाटर प्यूरिफायर न लगाया जाए और न ही इन उत्पादों को बेचने की अनुमति दी जाए। एनजीटी ने इन आदेशों की पालना के लिए पर्यावरण मंत्रालय को कडे़ निर्देश जारी किए थे। इसकी पालना न होने पर अब एनजीटी ने अपने ताजा आदेशों में केंद्रीय  पर्यावरण मंत्रालय को जमकर फटकार लगाई है। एनजीटी ने आदेशों की पालना करने पर पर्यावरण मंत्रालय के संबंधित अफसरों के वेतन पर रोक लगा दी है। एनजीटी ने अपने पारित आदेशों में कहा है कि जब तक पानी में टीडीएस की मात्रा 500 पीपीएम से कम पाए जाने वाले क्षेत्रों में वाटर प्यूरिफायर की बिक्री पर रोक नहीं लगती है, तब तक पर्यावरण मंत्रालय के अफसरों का वेतन भी रोका जाए। एनजीटी के इन आदेशों के बाद हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने एनजीटी के आदेशों के आधार पर प्रदेश भर के स्कूलों में वाटर प्यूरिफायर स्थापित करने की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी है। आगामी आदेशों के लिए शिक्षा विभाग ने इसकी फाइल सरकार को भेज दी है।

एनजीटी के फैसले के आधार पर प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने राज्य के स्कूलों में वाटर प्यूरिफायर लगाने की टेंडर प्रक्रिया रोक दी है। इसकी फाइल सरकार को भेजी है, क्योंकि शिक्षा विभाग के पास ऐसा कोई पैरामीटर नहीं है, जिससे पानी के डिजोल्वड कंटेंट का पता लगाया जा सके

रोहित जम्वाल,  निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App