हिमाचल में टीजीटी भर्ती पर संकट

By: Feb 29th, 2020 12:30 am

रूसा की खामियों से निपटने के लिए अभी तक नहीं निकला रास्ता, सब्जेक्ट कांबीनेशन न होने से रुकी प्रक्रिया

शिमला  – रूसा की खामियों को लेकर गठित इक्विलेंस कमेटी की रिपोर्ट न आने की वजह से शिक्षा विभाग की दिक्कतें बढ़ गई हैं। हैरानी की बात है कि अब प्रारंभिक शिक्षा विभाग में चार हजार से ज्यादा टीजीटी के पद भर पाना विभाग के लिए बड़ी परेशानी बन गया है। हमीरपुर सिलेक्शन बोर्ड ने दूसरी बार भी टीजीटी पदों को भरने के लिए दिया गया प्रोपोजल स्वीकार नहीं किया है। वजह यह कि जब तक रूसा को लेकर गठित की गई इक्विलेंस कमेटी अपनी रिपोर्ट जमा नहीं करवाती है, तब तक शिक्षकों के पदों पर भर्ती नहीं होगी। बता दें कि प्रदेश में विंटर स्कूलों में नया सत्र शुरू हो गया है। एक ओर सरकार ने अभी तक एसएमसी शिक्षकों को भी एक्सटेंशन नहीं दी है, दूसरी ओर टीजीटी के विभिन्न पदों पर होने वाली भर्तियों पर छाया यह संकट शिक्षा को प्रभावित कर रहा है। दरअसल प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने रूसा को लेकर गठित कमेटी को रूसा के सब्जेक्ट कांबीनेशन की दिक्कतें दूर करने को कहा था, ताकि कमीशन के माध्यम से शिक्षकों के पदों को भरने को कोई दिक्कतें न आएं। फिलहाल दो से तीन माह हो गए हैं। रूसा की इक्विलेंस कमेटी ने अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला है। रूसा के सब्जेक्ट कांबीनेशन न होने की वजह से राज्य के चार हजार से ज्यादा टीजीटी शिक्षक भर्ती पर रोक लग गई है। पहले कमीशन के आधार पर टीजीटी शिक्षकों की भर्ती रोकी गई थी, वहीं अब सब्जेक्ट कांबीनेशन को लेकर कोई भी समाधान न निकलने तक बैचवाइज भर्ती पर भी शिक्षा विभाग ने दो माह से रोक लगाई है। ऐसे में सरकार से मंजूरी मिलने के बाद भी चार हजार से ज्यादा टीजीटी शिक्षकों की भर्ती के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। बता दें कि सरकारी स्कूलों में रेगुलर शिक्षक भर्ती करने के लिए सरकार ने टीजीटी आर्ट्स के 684, टीजीटी नॉन मेडिकल के 359, टीजीटी मेडिकल के 261, शास्त्री के 1049, लैंग्वेज टीचर के 590, जेबीटी के 693 पदों को भरने की अनुमति राज्य सरकार ने पिछले माह पहले दे दी थी। शिक्षा विभाग के अनुसार आर एंड पी रूल्ज कहते हैं कि टीजीटी मेडिकल बनने के लिए ग्रेजुएशन में बायो व कैमेस्ट्री पढ़ना जरूरी है। उसी तरह नॉन मेडिकल में अभ्यर्थी को फिजिक्स, कैमेस्ट्री व मैथ्स तीनों ही विषय पढ़ना जरूरी है। अब रूसा सिस्टम जब से लागू हुआ है, तो छात्रों को च्वाइस बेस्ड सिस्टम दिया गया है, जिस वजह से वर्ष 2015 तक छात्रों ने साइंस, मैथ्स व आर्ट्स के मिक्सअप विषय पढ़ लिए।

2016 के बाद पढ़ रहे छात्रों को कोई टेंशन नहीं

प्रदेश विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक जेएस नेगी ने कहा कि 2015 तक रूसा के तहत पढ़ने वाले छात्र आर एंड पी रूल्ज को पूरा नहीं करते हैं, लेकिन 2016 में रूसा सब्जेक्ट कांबीनेशन में बदलाव किया गया था। इसके बाद से मेडिकल, आर्ट्स व नॉन मेडिकल के छात्रों को आर एंड पी रूल्ज के तहत सभी आवश्यक सब्जेक्ट पढ़ाए गए हैं।


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