14 महीने में अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से निकालेगा अमरीका

By: Feb 29th, 2020 6:33 pm

काबुल – तालिबान अगर आज दोहा में अगले कुछ घंटों के भीतर होने जा रहे समझौते का पालन करता है तो अमेरिका और उसके सहयोगी 14 महीने के भीतर अफगानिस्तान से अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लेंगे। अमेरिका और अफगानिस्तान ने अपने संयुक्त बयान में यह बात कही है। आपको बता दें कि आज दोहा में तालिबान के प्रतिनिधियों के समझौते पर सहमत होने की उम्मीद है। अमेरिका और अफगानिस्तान के संयुक्त घोषणापत्र में कहा गया है कि शनिवार को समझौते पर हस्ताक्षर होने के 135 दिन के भीतर शुरुआती तौर पर अमेरिका और उसके सहयोगी अपने 8,600 सैनिकों को वापस बुला लेंगे और आगे 14 महीने में सभी सैनिक लौट जाएंगे। गौरतलब है कि कतर के दोहा में शनिवार को हस्ताक्षर का गवाह बनने के लिए लगभग 30 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विदेश मंत्री और प्रतिनिधि पहुंचे हुए हैं। दोनों पक्षों के बीच 18 महीनों की वार्ता के बाद यह समझौता हो रहा है। जहां अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो दोहा में हस्ताक्षर प्रक्रिया में शामिल हो रहे हैं, वहीं अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर और नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग शनिवार को काबुल में मौजूद हैं।

ट्रंप ने देशवासियों से सेना वापस बुलाने का किया था वादा
साल 2016 के राष्‍ट्रपति चुनाव में डोनाल्‍ड ट्रंप ने वादा किया था कि वह सत्ता में आते ही अफगानिस्‍तान से अमेरिकी फौज को वापस बुला लेंगे। उन्हें इसका समर्थन भी मिला था। ट्रंप का मानना है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी फौज के रहने से कोई फायदा नहीं हुआ है। पिछले दिनों भारत दौरे पर आए ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका जल्द ही अफगानिस्तान से अपनी सेना को बुला लेगा। उन्होंने कहा कि जो काम 19 साल में नहीं हो पाया उसे वे कर रहे हैं। अफगानिस्तान से सेना बुलाने पर भारत की चिंता पर ट्रंप ने कहा था कि दिल्ली अपनी भूमिका को लेकर सजग है। उन्होंने कहा था कि दक्षिण एशिया में शांति बहाली को लेकर हुई बातचीत में इस मुद्दे पर भी बात हो चुकी है। वे इस मुद्दे को लेकर काफी सजग हैं। ट्रंप ने कहा था, ‘मुझे लगता है कि सीमा पर हिंसा की काफी कम घटनाएं हुई हैं। जो लोग हमेशा मेरे खिलाफ रहते हैं , वे भी इस वक्त समझ पा रहे हैं। 19 साल से जो चीजें नहीं हो पा रही थी, हम उसे कर पा रहे हैं।’ लोग इस बात से खुश हैं हम नतीजे हासिल करने में सफल रहे हैं। कई ऐसी सरकारें रहीं जो इस तरह की चीजें हासिल करना चाहती थीं, लेकिन ये हमने कर दिखाया है। हम पुलिस फोर्स नहीं हैं, कानून-व्यवस्था बहाली का काम वे खुद ही करेंगे। हम कह सकते हैं कि 19 साल बाद हम अपनी सेना को वापस बुलाना चाहते हैं। हमारी खुफिया तंत्र वहां रहेंगे, जो उनकी मदद करेंगे।

यूएस सेना की वापसी से भारत पर क्या होगा असर?
अफगानिस्तान में शांति और सुलह प्रक्रिया का भारत एक अहम पक्षकार भले ही है, लेकिन इससे भारत का संकट कई गुना बढ़ने वाला है। रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा ने कहा, ‘अफगानिस्‍तान की जनता चाहती है कि भारत उनके देश में बड़ी भूमिका निभाए लेकिन शांति समझौते के बाद भारत की मुश्किलें कई गुना बढ़ने वाली हैं। तालिबान के साथ पाकिस्‍तान के अच्‍छे संबंध हैं। इस डील के बाद पाकिस्‍तान अपने आतंकी शिविर अपने देश से हटाकर अफगानिस्‍तान भेज सकता है। साथ ही दुनिया को दिखा सकता है कि वह आ‍तंकियों को पोषण नहीं दे रहा है। इससे वह आसानी से एफएटीएफ की ग्रे लिस्‍ट से बाहर आ जाएगा। इसके अलावा तालिबानी आतंकी अफगानिस्‍तान में पूरी तरह से कब्‍जा करने के कश्‍मीर की ओर रुख कर सकते हैं।’


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