अब ऊना में भी बिकीं जाली डिग्रियां

By: Mar 19th, 2020 12:30 am

फर्जी डिग्री प्रकरण में ऊना का भी एक प्राइवेट संस्थान जांच के घेरे में

शिमला – हिमाचल के निजी शिक्षण संस्थानों में फर्जी डिग्री देने के मामलों पर अभी तक लगाम नहीं लग पाई है। अब जिला ऊना के निजी विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्रियां देने का नया खेल शुरू हुआ है। इसमें यह सामने आ रहा है कि बिना मान्यता के विश्वविद्यालय ने डिस्टेंस कोर्स, ईवनिंग क्लासेज, रिफ्रेशर कोर्स, ऑनलाइन कोर्स को फर्जी तरीके से चलाकर हजारों छात्रों को डिग्रियां बांटी हैं। ज्ञात रहे कि हिमाचल प्रदेश के अंदर डिस्टेंस कोर्स, रिफ्रेशर कोर्स, ऑनलाइन कोर्स, इन सर्विस ट्रेनिंग, रिफ्रेशर कोर्स करवाने की अनुमति केवल हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को ही है। इसके अतिरिक्त प्रदेश का कोई भी निजी विश्वविद्यालय अपनी मर्जी से इन कोर्स को नहीं करवा सकता। बावजूद इसके ऊना जिला के निजी शिक्षण संस्थान में यह कोर्सेज चलाए जा रहे हैं। इसी के साथ इस विश्वविद्यालय में ऐसे मामले भी सामने आए हैं। इसमें व्यक्ति एक समय पर विश्वविद्यालय में सह-परीक्षा नियंत्रक के पद पर कार्यरत भी है और उसी दौरान वही व्यक्ति उसी संस्थान से अपनी एमटेक की पढ़ाई भी कर रहा है और एक व्यक्ति असिस्टेंट एडमिस्ट्रेशन ऑफिसर के पद पर कार्यरत है और उसी समय वह अपनी एमबीए की डिग्री भी वहीं से कर रहा है। एक रेगुलर सेवाएं देने वाली महिला को भी एमबीए की फर्जी डिग्री संस्थान ने रेगुलर जॉब टाइम में दे दी। यानी सालों से शिक्षण संस्थान में यह खेल सरकार, आयोग नाक तले चल रहा था, लेकिन किसी को कानों कान खबर ही नहीं थी। ऐसे में अब दो निजी शिक्षण संस्थानों के बाद ऊना के निजी शिक्षण संस्थान का नाम भी फर्जी डिग्री देने पर आ रहा है। दरअसल यूजीसी ने भी शिक्षा नियामक आयोग के साथ ऊना के इस शिक्षण संस्थान की इस लापरवाही पर संपर्क किया है। वहीं आदेश दिए गए हैं कि फर्जी डिग्री देने के इस तरह के मामलों पर रोक लगाई जाए व दोषी निजी शिक्षण संस्थानों पर कार्रवाई अमल में लाई जाए। आरोप है कि ऊना के प्रसिद्ध निजी विश्वविद्यालय ने 2012 से लेकर 2017 के बीच काम कर रहे कर्मचारियों को डिग्रियां दे डालीं, जबकि इस दौरान वे उक्त संस्थान में विभिन्न पदों पर  रेगुलर सेवाएं दे रहे थे। शिक्षा नियामक आयोग में ऊना जिला के इस शिक्षण संस्थान की लिखित शिकायत आई है। इसके बाद शिक्षा नियामक आयोग ने संस्थान को जहां फटकार लगाई है, वहीं दस साल पुराना पूरा रिकार्ड मांगा है, जिसमें अभी तक कितने छात्रों को डिग्रियां दी गईर्ं, इसकी जानकारी भेजने को कहा गया है। हालांकि शिक्षा नियामक आयोग ने साफ कहा है कि इस शिक्षण संस्थान ने नियमों की धज्जियां उड़ाई हैं।

फर्जी मानी जाएंगी डिग्रियां!

कोई भी निजी विश्वविद्यालय रेगुलर कर्मियों को बिना परमिशन डिग्री नहीं  दे सकता। फिलहाल शिक्षा नियामक आयोग ने ऊना के निजी विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर जल्द रिपोर्ट भेजने को कहा है। वहीं, जिन भी छात्रों को डिस्टेंस मोड के तहत डिग्रियां दी गई है, उन्हें अवैध घोषित कर दिया है।

भोरंज में नकली उपनिदेशक ने धमकाया निजी स्कूल संचालक

भोरंज – उपमंडल भोरंज में एक प्राइवेट स्कूल को फर्जी उपनिदेशक बनकर धमकाने का मामला पेश आया है। इस दौरान फोन पर फर्जी उपनिदेशक बन स्कूल को अपने होर्डिंग हटाने के निर्देश दिए गए। ऐसा न करने पर स्कूल की मान्यता रद्द करने की भी धमकी दी गई। प्राइवेट स्कूल प्रबंधन ने जब मोबाइल नंबर की जांच की तो वह नंबर शिक्षा उपनिदेशक की बजाय एक ठेकेदार का निकला, जो कि खुद भी एक प्राइवेट स्कूल का मालिक है। प्राइवेट स्कूल मालिक ने इसकी रिपोर्ट शिक्षा उपनिदेशक व भोरंज पुलिस में भी करवा दी है।

30 मार्च तक ज्यूडिशियल रिमांड पर भेजी रजिस्ट्रार

सोलन – फर्जी डिग्री जारी करने के मामले में निजी यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार को बुधवार को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया। कोर्ट से उन्हें 30 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिए गए, जबकि चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन की अग्रिम जमानत याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हुई और इस पर 20 मार्च को फैसला होगा। हालांकि रजिस्ट्रार ने भी जमानत याचिका लगाई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद उसे 30 मार्च तक के लिए ज्यूडिशियल रिमांड पर भेजा है। वहीं, निजी  यूनिवर्सिटी में अभी भी एसआईटी जांच कर रही है। असिस्टेंट रजिस्ट्रार और डाटा ऑपरेटर को 27 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। फिलहाल इस मामले में कोई नई गिरफ्तारी नहीं हुई है। मामले की पुष्टि एसपी सोलन अभिषेक यादव ने की है।


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