‘जल जीवन मिशन’ से महिला सशक्तिकरण

By: Mar 7th, 2020 12:05 am

कंचन शर्मा

लेखिका, शिमला से हैं

73वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  जल संकट का उल्लेख करते हुए ‘जल जीवन मिशन’ की उद्घोषणा  की व देश की जनता से इसे स्वच्छता अभियान की तरह राष्ट्रव्यापी अभियान बनाने और केंद्र व राज्य सरकारों को एक साथ मिलकर इस मिशन को सफल बनाने के लिए आह्वान किया जिसके लिए साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 2024 तक हर घर में नल के जरिए न केवल पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा है अपितु जल संरक्षण  की कवायद बढ़ाने व जल प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए भी देशवासियों व संबंधित विभागों को एकजुट होकर काम करने का आग्रह किया है…

पृथ्वी पर जीवन की सभ्यता बचाए रखने के लिए जल एक प्रमुख प्राकृतिक संसाधन है और जल के बाहुल्य की वजह से पृथ्वी को नीले ग्रह की संज्ञा भी दी गई है। धरती का लगभग तीन-चौथाई भाग जल से घिरा है, तब भी विश्व जल संकट की स्थिति से जूझ रहा है क्योंकि धरती पर मौजूद जल में लगभग 97 प्रतिशत पानी महासागरों, सागरों में विद्यमान है जो खारा होने के कारण पीने योग्य नहीं है। बचे 3 प्रतिशत  पानी में 2 प्रतिशत पानी ग्लेशियरों में बर्फ  के रूप में जमा है या फिर धरती के नीचे ग्राउंड वाटर के रूप में हमारी पहुंच से परे है। इस तरह पृथ्वी पर पीने योग्य पानी केवल एक प्रतिशत ही है जो नदियों, तालाबों, प्राकृतिक जल स्रोतों के रूप में जन जीवन के लिए उपलब्ध है जिसका उपयोग पीने, मनुष्य की दैनिक दिनचर्या, औद्योगिक विकास, खेती-बाड़ी आदि जीवनपयोगी सभी कार्यों के लिए किया जाता है।

इसमें भी एक बहुत बड़ा भाग प्रदूषित हो चुका है। जनसंख्या वृद्धि, जीने के बदले तौर तरीके, अंधाधुंध औद्योगिकीकरण, प्राकृतिक जल संसाधनों के प्रति बेरुखी, जलवायु परिवर्तन, कम वर्षा इस सबके कारण जल की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है जिसका सीधा असर महिला पर पड़ता है। प्राचीन समय से जब घरों में नल की व्यवस्था नहीं थी तो महिला ही घर से कोसों दूर स्थित प्राकृतिक जल स्रोतों से घड़ों में पानी भर कर लाती थी व  इस तरह से उनके जीवन का तीन-चौथाई भाग पानी भरने में ही निकल जाता था।

एक बहुत बड़ा वर्ग बेटियों को स्कूल भेजने की जगह पानी भरने के लिए भेजना ज्यादा जरूरी समझता था जो शायद उनकी मजबूरी या फिर बेटियों की शिक्षा के प्रति अनदेखी थी और कई क्षेत्रों में आज भी यही सिलसिला विद्यमान है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है जहां की 80 प्रतिशत आबादी गांवों में बसती है। यहां भी ध्यान देने योग्य यह बात है कि पशुपालन व खेती बाड़ी से जुड़े अधिकतर कार्य महिलाओं द्वारा ही संचालित किए जाते हैं। दूर-दूर से पानी की व्यवस्था हेतु बहू-बेटियां कई तरह की दुर्घटनाओं का शिकार तो होती ही हैं, साथ में सुनसान जगह पर प्राकृतिक स्रोत होने के कारण कई बार छेड़छाड़ व बलात्कार जैसी घटनाओं की शिकार भी होती हैं।

हर बहू-बेटी सुरक्षित हो, हर बेटी को शिक्षित होने के लिए पर्याप्त समय हो, हर महिला के सर्वांगीण विकास के लिए घर में ही जल की सुविधा हो, इसी के मद्देनजर भारत सरकार द्वारा ‘हर घर नल’ की मुहिम छेड़ी गई है। यही है ‘जल जीवन मिशन’। 73वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  जल संकट का उल्लेख करते हुए ‘जल जीवन मिशन’ की उद्घोषणा  की व देश की जनता से इसे स्वच्छता अभियान की तरह राष्ट्रव्यापी अभियान बनाने और केंद्र व राज्य सरकारों को एक साथ मिलकर इस मिशन को सफल बनाने के लिए आह्वान किया जिसके लिए साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 2024 तक हर घर में नल के जरिए न केवल पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा है अपितु जल संरक्षण  की कवायद बढ़ाने व जल प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए भी देशवासियों व संबंधित विभागों को एकजुट होकर काम करने का आग्रह किया है। खुशी की बात है कि हिमाचल प्रदेश सरकार इस मिशन के लिए मुस्तैदी से डट गई है व माननीय जल शक्ति मंत्री के नेतृत्व व मार्गदर्शन में जल शक्ति विभाग द्रुतगामी गति से इस मिशन को  पूर्ण करने के लिए कृत-संकल्प है तो यह घर में जल से महरूम हजारों  परिवारों व महिलाओं के लिए सुकून की बात होगी जो आज भी पानी की आपूर्ति के लिए दूर से पानी लाने के लिए विवश हैं।

यहां हर्ष का विषय यह भी है कि केंद्र सरकार की इस महत्त्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन की प्रगति में हिमाचल प्रदेश को देश में अव्वल आंका गया है जो कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य के लिए गौरव की बात है जहां की कठिन भौगोलिक व जलवायु की परिस्थितियों के हिसाब से अव्वल होने की दिशा में माननीय जल शक्ति मंत्री ठाकुर महेंद्र सिंह के मार्ग दर्शन व जल शक्ति विभाग की कार्यशैली की वजह से ही संभव हो पा रहा है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि हर घर नल आने की वजह से आमजन ने प्राकृतिक जल स्रोतों की भारी अनदेखी की है जिसका खामियाजा अंत में हम सबको ही भुगतना पड़ रहा है। इसलिए जल जीवन मिशन के तहत आमजन व खासकर महिलाओं को प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण और साफ-सफाई के बारे में जागरूक किया जा रहा है क्योंकि गर्मियों में पानी की किल्लत के समय यही प्राकृतिक स्रोत हमारी जलापूर्ति के लिए सहयोग देते हैं।

पानी की सुचारू व्यवस्था होने से हर महिला को आर्थिक स्वावलंबन के लिए पर्याप्त समय व अवसर होंगे जिससे महिला सशक्त होगी। जल की उपलब्धता न केवल  देश की करोड़ों महिलाओं की निजी स्वच्छता व स्वास्थ्य का साधन होगी बल्कि वह अपने परिवार व आसपास की स्वच्छता में भी योगदान दे पाएगी। इससे भी ऊपर महिलाएं जल की बचत व संरक्षण में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दे पाएंगी क्योंकि जल की किल्लत का उनसे सीधा संबंध रहता है।

इसी के मद्देनजर जल शक्ति विभाग इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को हर ब्लॉक में महिलाओं को जल जीवन मिशन की उपयोगिता, जल संरक्षण के महत्त्व व हमारी बावडि़यों की साफ -सफाई, वर्षा जल संग्रहण तथा जल से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करेगा जो निश्चित तौर पर महिला सशक्तिकरण में मील का पत्थर साबित होगा।

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।                                           -संपादक


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