बिना मास्क कैसे लड़ेंगे कोरोना से

By: Mar 19th, 2020 12:23 am

केएनएच में हैल्थ स्टाफ को न मास्क; न सेनेटाइज़र, करोड़ों क ा बजट, पर दावे खोखले

शिमला-फ्रंट वॉरियर के तौर पर कोरोना से लड़ रहे हिमाचल के कई अस्पतालों में डाक्टर्स और अन्य स्टाफ के पास मास्क ही नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों का बजट स्वास्थ्य क्षेत्र में रखने के बावजूद शिमला के कुछ अस्पताल ऐसे हैं जहां पर डाक्टर्स और स्टाफ के पास मास्क ही नहीं हैं, जिसमें सबसे ज्यादा हैरानी तो यह है कि राज्य स्तरीय कमला नेहरू अस्पताल में स्वास्थ्य स्टाफ के कई लोगों के पास मास्क ही नहीं हैं। इसमें कुछ डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ शामिल है। गौर हो कि पहले ही गर्भवती महिलाएं और शिशु डेंजर जोन में रहते हैं ऐसे में यदि वायरस पर पकड़ रखनी होगी तो स्वास्थ्य स्टाफ द्वारा वे सारे अहम इंतजाम किए जाएंगे, जो आवश्यक हैं। अभी शिमला के शिशु और महिला रोग अस्पताल में  मरीज़ों को तो दूर लेकिन सभी स्वास्थ्य स्टाफ को मास्क ही नहीं मिल रहे हैं। जानकारी के मुताबिक आईजीएमसी की ओर से केएनएच क ो जो मास्क दिए गए थे वे सभी स्टाफ के लिए काफी नहीं हैं। केमिस्ट के पास भी मास्क नहीं मिल रहे हैं, जो मिल रहे हैं उन्हें महंगे बेचे जाने की शिकायतें भी हैं। अब हैरानी यह है कि क्या अस्पताल प्रशासन के पास अपने डाक्टर्स और स्वास्थ्य स्टाफ को बचाने के लिए महज़ मास्क खरीदने का बजट ही नहीं है, इस पर सवाल उठने लगे हैं। अब राज़धानी के ही अस्प्तालों पर गौर करें तो शिमला के केएनएच से भी कई ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि वहां पर हैल्थ स्टाफ के लिए मास्क और सेनेटाइज़र बहुत कम हैं। वहीं रिपन में हैल्थ स्टाफ के लिए भले ही मास्क पूरे होने के दावे अस्पताल प्रशासन कर रहा है लेकिन अस्पताल में आने वाली आम जनता की यह शिकायत है कि उन्हें भी अस्पताल में मास्क उपलब्ध करवाने चाहिएं। हालांकि आईजीएमसी कमर कसे हुए है, लेकिन डेंटल कालेज शिमला में भी डाक्टर्स के लिए मास्क की कमी बताई जा रही है। इसके अलावा कैंसर अस्पताल में भी मास्क नहीं मिलने की शिकायतें आ रही हैं। अब इसे लेकर अस्पताल प्रशासन ने भी एक नया विकल्प चुन लिया है। यह उनकी मज़बूरी कहें या जरूरत लेकिन अब प्रदेश के अस्पतालों में मास्क की कमी के कारण प्रदेश के कुछ अस्पताल स्वयं कपड़ा खरीदकर दर्जी से मास्क बनवा रहे हैं, जिसमें डेंटल कालेज के  विशेषज्ञों का कहना है कि इस पर अब नया विकल्प खोजना जरूरी है क्योंकि मास्क की कमी अस्पतालों में देखी जा रही है। ये भी शिकायतें आ रही हैं कि कई सीएचसी और पीएचसी में भी हैल्थ स्टाफ के लिए मास्क नहीं मिल रहे हैं। मरीज़ों से सीधे संपर्क में आने के कारण स्वास्थ्य स्टाफ को ये मास्क भी काफी आवश्यक हैं। उधर, लोगों द्वारा प्रदेश के केमिस्टस से खरीदे जा रहे सेनेटाइज़र का रिकॉर्ड देखें तो प्रदेश में सप्ताह भर में पांच करोड़ रुपए के मास्क और सेनेटाइज़र की बिक्री हो चुकी है और ये सामान अब केमिस्ट के पास भी नहीं मिल रहा है।


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