माता ब्रह्मचूड़ी की महिमा

By: Mar 21st, 2020 12:21 am

हिमाचल प्रदेश में अनेकों सिद्धपीठ, शैवपीठ शक्तिपीठ स्थापित है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में माता भगवती का बाल रूप विराजता है। ऐसे ही सुरम्य हिमालय की बेहद ऊंचाई वाले भाग में माता ब्रह्मचूड़ी का बसेरा है। यह स्थान हिमाचल प्रदेश जिला कुल्लू के आनी उपमंडल से महज 13 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। समुद्रतल से करीब 16130 फुट की ऊंचाई पर अवस्थित इस सुरम्य दिव्य तपोस्थली के दर्शन आउटर सिराज सहित कई उच्चवर्ती चोटियों एवं आसपास के सभी स्थानों से हो जाते हैं। श्रीखंड कैलाश एवं किन्नर कैलाश, इंद्रासन, भृगु, तुंग सहित कई दिव्य तीर्थों के दर्शन होते हैं। इस स्थान से हिमाचल के 5 जिलों के ऊंचाई वाले शिखरों का प्रत्यक्ष दर्शन होता है। पांडव भी अज्ञातवास के समय इस दिव्य तपोस्थली पर दर्शन हेतु आए थे। यह दिव्य तपोस्थली जितनी सुंदर दूर से दिखाई पड़ती है, उतनी ही युगों पुरानी ऐतिहासिक कालगाथा के पन्नों को अपने आप मे समेटे हुए हैं। ब्रह्मखंड की इस शृंखला से कुल्लू मनाली का रोहतांग दर्रा, शिमला, मंडी, लाहौल-स्पिति और किन्नौर की पर्वत शृंखलाओं का प्रत्यक्ष अवलोकन होता है। माना जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव भी इस रमणीय दिव्य तपोस्थली का अवलोकन करने इस स्थान पर आए थे। इसी पर्वत शृंखला के ठीक नीचे की तरफ  पहाड़ की तराई में जब पांडवों को संध्या की वेला में आगे की तरफ अंधेरा दिखा, तो भीम ने मुष्टिका के प्रहार से पर्वत पर गुफा बना दी। जिसके प्रत्यक्ष प्रमाण आज भी युगों पुरानी यह ऐतिहासिक गुफा दे जाती है। यहां देवताओं के रथ भी जाते हैं, जब किसी देवता को शक्ति प्राप्त करनी होती है, तो इस स्थान की यात्रा की जाती है। आउटर सिराज के अधिपति शमश्री महादेव भी इस स्थान पर जाते हैं। ब्रह्मखंड की इस सुरम्य शृंखला में पाषाण निर्मित माता भगवती के अनगिनत दिव्य विग्रह स्थापित है। बर्फ  से लदे इस दुर्गम पर्वत शृंखला में जून से लेकर अगस्त तक यात्रा कर सकते हैं। आउटर सिराज के कई देवताओं की रथयात्रा नवंबर-दिसंबर को भी इस पर्वत शृंखला में शक्ति प्राप्ति हेतु जाती है।

— राज शर्मा, आनी, कुल्लू

 


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