वैलिडिटी ले लो

By: Mar 9th, 2020 12:03 am

निर्मल असो

स्वतंत्र लेखक

बिना मान्यता के आजादी के कितने दशक गुजर गए, लेकिन अब लगता है कि खुद में चिन्ह पैदा किए जाएं। वैसे बिना चिन्हों के भी कभी जिंदगी चलती थी, लेकिन अब तो वैलिडिटी का जमाना है। जहां मिले ले लो। उस दिन बीच बाजार में रेहड़ी पर वैलिडिटी बेचता एक फलता-फूलता नेता मिल गया। उसके पास तरह-तरह की नागरिक वैलिडिटी थी। पूछने पर बताया कि उसके पास धर्म, जाति, राजनीति, ठेकेदारी व उम्मीदवारी से लेकर पत्रकारिता तक की वैलिडिटी है। मैंने पूछा सबसे फायदेमंद व लोंग टर्म की वैलिडिटी बताए, तो कहने लगा इस वक्त तो ‘हिंदू’ या हिंदुत्व की वैलिडिटी ही सबसे ऊपर व सबसे टिकाऊ है। फायदे भी अनेक हैं और एक ही वैलिडिटी में कई उत्पाद मुफ्त में हासिल हैं। मैंने ‘भारतीय’ होने की वैलिडिटी पूछी, तो कहने लगा कि आजकल यह प्राडक्ट लंबी अवधि में नहीं मिलता, बल्कि इसका अपना शेयर बाजार है। इसकी वैलिडिटी को प्रमाणित करना मुश्किल भी है, क्योंकि इसकी जांच परख का हक आजकल मंचों पर भी बंट जाता है। ‘दरअसल पहले मैं केवल ’भारतीय’ वैलिडिटी की ही रेहड़ी लगाता था, लेकिन जब से सामने दूसरा ठेला लगा है वह हर दिन केवल मेरे ग्राहकों से ही छीना-झपटी करता है। कुछ दिन पहले भारतीय वैलिडिटी हासिल करके भी जब एक ग्राहक ने ‘भारत माता की जय’ का नारा और वंदे मातरम नहीं गाया, तो ठेलेवाला मार-पीट पर उतर आया। मैंने किसी तरह उस भारतीय को बचाया और वह मेरी रेहड़ी की अंतिम भारतीयता थी। अब मैं सीख गया हूं कि केवल हिंदुओं को ही ‘हिंदुत्व’ की वैलिडिटी बेचूं, रेहड़ी पर एक कोने में अन्य धर्मों की वैलिडिटी भी रखी थी, लेकिन उसने बताया कि इनके खरीददार अब न के बराबर हैं। रेहड़ीवाले ने मुझे मेरे कपड़ों से पहचाना, फिर मुझे गौर से देखकर कहा कि तुम तो जनेऊधारी हिंदू हो इसलिए ‘हिंदुत्व’ की वैलिडिटी लोगे तो कई फ्री स्कीमों का लाभ मिल जाएगा। पहला यह कि हिंदुत्व की वैलिडिटी में फिलहाल रिचार्ज का कोई झंझट नहीं। इसके साथ मुफ्त में ‘देशभक्त’ होने का अहंकार मिलेगा जबकि सारे समाचार चैनल फ्री में मिल जाएंगे। मैं खुश हो रहा था कि देश की वैलिडिटी तो अब मेरे हाथ में थी। हिंदुत्व को मैं जीने लगा, तो सामने वालों को पसीना आने लगा। मैं खुद को अब अर्णव गोस्वामी, तो कभी अंजना ओम कश्यप समझने लगा हूं। यह वैलिडिटी का कमाल है कि मैं एक अचूक वोटबैंक का सिक्का बन गया। अब मेरा दाम है, अब मेरा ही काम है। मैं बोल सकता हूं। बोलता हूं तो सामने वाले का जीना हराम कर सकता हूं। वाह। क्या गजब का परिवर्तन मुझमें आया कि अब मैं ही देश और देश ही मैं बन गया। मैं जो कहूं वही सत्य है, इसलिए लकीरें खींच रहा हूं-सबसे लंबी और सबसे असरदार। देश में वैलिडिटी की एकमात्र रेहड़ी पर और क्या चाहिए जनाब- खरीद लो-खरीद लो, ताकि कोई देशद्रोही न बचे।


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