सेब परागण को नहीं मिल रहीं मधुमक्खियां

By: Mar 30th, 2020 12:05 am

ठियोग –कोरोना वा यरस के कारण इस बार बाहरी राज्यों से सेब के परागण के लिए आने वाली मधुमक्खियां भी नहीं मिल पा रही हैं। इस कारण पॉलिनेशन को लेकर बागबान चिंतित हैं। इन दिनों निचले इलाकों में पिंक बड स्टेज शुरू हो चुकी है। ऐसे में सेब की अच्छी सेटिंग के फ्लावरिंग के दौरान परागण क्रिया का पूरा होना अति आवश्यक होता है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण मधुमक्खियों के बक्सों को बाहरी राज्यों से नहीं लाया जा रहा है। ये मधुमक्खी के बक्से हरियाणा से आते थे जिन्हें एक महीना बागीचे में रखने के पश्चात वापस भेज दिया जाता था, लेकिन इस बार बागबान परागण क्रिया को लेकर बेहद परेशान हैं। बागबानी विशेषज्ञ के अनुसार यदि बागीचों में पोलेनेटर कम है तो परागण प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती जिस कारण सेब की फसल पर असर पड़ता है। इसलिए बागबानी विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि यदि परागण प्रक्रिया को पूरा करना है तो मधुमखियों के बक्से ले जाकर बागीचों में लगाने से परागण प्रक्रिया को पूरा किया जा सकता है, लेकिन इस बार इस प्रक्रिया को पूरा कर पाना मुश्किल है। जिन बागीचों में पोलेनेटर कम मात्रा में लगाए गए हैं उन्हें जरूर मधुमक्खियां लगानी चाहिएं। बागबानी विशेषज्ञ की मानें तो सेब में फ्लावरिंग के बाद 48 घंटे तक तापमान सामान्य स्थिति में हो तो सेब की सेटिंग की अच्छी उम्मीद रहती है, लेकिन यदि इससे पहले तापमान में लगातार गिरावट आ जाए तो यह हानिकारक माना जाता है। ठियोग में बागबानी विभाग के विषय विशेषज्ञ मदन ठाकुर ने बताया कि सेब की अच्छी सेटिंग के लिए तापमान 15 डिग्री से अधिक होना चाहिए अन्यथा आसार कम बन पाते हैं। उन्होंने बताया कि इन दिनों निचले क्षेत्रों में सेब के पौधों में पिंक बड स्टेज शुरू हो चुकी है और ऐसे में तापमान में उतार चढाव सेब के लिए ठीक नहीं। उन्होंने बताया कि यदि दिन के समय बारिश होती है और रात में मौसम साफ  रहता है तो यह भी हानिकारक माना जाता है। क्योंकि रात के समय पाला गिरने से तापमान बेहद निचे गिर जाता है और इससे सेब की पंखुडि़यां सिकुड़ जाती हैं।

बागीचों में रात के समय करें धुआं

मौसम में हो रहे उतार चढ़ाव को लेकर बागबाना घरेलू नुस्खे भी अपनाते हैं। इन दिनों सभी सेब के बागीचों को ठंड से बचाने के लिए रात के समय बागीचों में धुएं आदि का प्रयोग कर सकते हैं। इससे धुएं की पौधों के उपर एक परत बन जाए और रात को गिरने वाले कोहरे का फूल पर असर न हो सके। हालांकि यह कुछ हद तक असर करता भी है।


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