25 से ज्यादा दवाओं के निर्यात पर रोक

By: Mar 4th, 2020 12:30 am

चीन से एपीआई आपूर्ति ठप, संकट के बाद केंद्र ने लगाई पाबंदी

बीबीएन – केंद्र सरकार ने चीन से एपीआई आपूर्ति ठप पड़ने से उपजे संकट के बीच 25 से ज्यादा दवाइयों और फॉर्मूलेशंस के निर्यात पर तत्काल पाबंदी लगा दी है। सरकार ने यह कदम एहतियात के तौर पर उठाया है। दरअसल चीन में कोरोना वायरस के मामले सामने आने के बाद दवाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले रॉ मैटीरियल के आयात में जबरदस्त कमी आई है, जिसका असर दवाओं के उत्पादन पर पड़ा है। सरकार ने उन महत्त्वपूर्ण और जरूरी दवाइयों की पहचान की है, जिनका स्टॉक खत्म हो सकता है। इनमें एमॉक्सिसिलिन, मॉक्सिलॉक्सासिन, डॉक्सिसाइक्लीन जैसी एंटिबायोटिक और टीबी की दवा रिफेंपिसिन शामिल हैं। ये दवाएं तैयार करने के लिए कच्चा माल चीन से आता है, लेकिन कोरोना के कारण सप्लाई पर खतरा है। बता दें कि 54 से ज्यादा दवाओं का रिव्यू किया गया था, जिनमें से 32 बेहद जरूरी दवाएं हैं, इनमें से 15 नॉन क्रिटिकल कैटेगिरी में आती हैं। इसके अलावा आईसीएमआर को ऐसी दवाओं का रिव्यू करने को कहा गया था, जिनके एपीआई (एक्टिव फार्मा इनग्रेडिएंट) के लिए भारत पूरी तरह चीन पर निर्भर है, लेकिन चिंता की बात है कि समीक्षा में शामिल की गईं 32 दवाओं का कोई विकल्प नहीं है, जिससे परेशानी बढ़ने की आशंका बढ़ गई है।

पैरासिटामोल समेत इन पर लगा बैन

पैरासिटामोल, टिनिडेजॉल, मेट्रोनाइडेजॉल, एसायक्लोविर, विटामिन बी1, विटामिन बी6, विटामिन बी12, प्रोजेस्टेरॉन, क्लोरेमफेनिकॉल, अरिथ्रोमाइसिन सॉल्ट, निओमाइसिन, क्लिंडामाइसिन सॉल्ट, ऑर्निडेजॉल, फॉर्मूलेशन मेड ऑफ प्रोजेस्टेरॉन, फॉर्मूलेशन मेड ऑफ निओमाइसिन, फॉर्मूलेशन मेड ऑफ ऑर्निडेजॉल, फॉर्मूलेशन मेड ऑफ क्लोरेमफेनिकॉल, फॉर्मूलेशन मेड ऑफ अरिथ्रोमाइसिन सॉल्ट, फॉर्मूलेशन मेड ऑफ क्लिंडामाइसिन सॉल्ट, फॉर्मूलेशन मेड ऑफ विटामिन बी1, फॉर्मूलेशन मेड ऑफ विटामिन बी12, फॉर्मूलेशन मेड ऑफ विटामिन बी6, फॉर्मूलेशन मेड ऑफ मेट्रोनाइडेजॉल, फॉर्मूलेशन मेड ऑफ टिनिडेजॉल, फॉर्मूलेशन मेड ऑफ एसायक्लोविर, फॉर्मूलेशन मेड ऑफ पैरासिटामॉल।

चीन पर निर्भरता से बढ़ा संकट

एशिया का फार्मा हब कहे जाने वाले हिमाचल के दवा उद्योगों में भी एपीआई की कमी से उत्पादन पर खासा असर पड़ा है। बताते चलें कि देश की हर तीसरी दवा हिमाचल में बन रही है। हिमाचल में दवा उद्योगों के पास फिलहाल अतिरिक्त इन्वेंटरी है, अगले दो तीन हफ्ते से दिक्कत शुरू हो सकती है। अगर इस समय तक आपूर्ति बाधित रही, तो दवा बाजार के 70 फीसदी हिस्से पर इसका असर देखने को मिल सकता है। प्रदेश में फार्मा कंपनियों का सालाना कारोबार 30 हजार करोड़ से ज्यादा का हैं, जिसमें से 15 हजार करोड़ की दवाइयों का निर्यात किया जा रहा है। हिमाचल में करीब सात सौ दवा निर्माण इकाइयों सहित 200 से ज्यादा निर्यात उन्मुख इकाइयां उत्पादन में हैं। फार्मूलेशन आधारित यह उद्योग ज्यादातर बल्क ड्रग चाइना से मंगवाते हैं। फार्मास्यूटिकल एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018-19 में भारत से दवाओं का कुल एक्सपोर्ट 1900 करोड़ डॉलर था। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मांग के आधार पर डीपीटी और बीसीजी के लिए करीब 65 फीसदी दवाएं भारत में बनती हैं और खसरा के 90 फीसदी टीके भारत बनाता है, जेनेरिक दवाएं बनाने वाली दुनिया की शीर्ष 20 कंपनियों में आठ कंपनियां भारत की हैं।


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