आज तक फैली महामारियों का अवलोकन

By: Apr 6th, 2020 12:05 am

बीएस शैट्टी चेत

लेखक, मंडी से हैं

भारत ने 1990 के दशक से कई महामारियों के प्रकोप देखे हैं जैसे कि सार्स का प्रकोप, स्वाइन फ्लू का प्रकोप और कोरोना का प्रकोप, लेकिन इनमें कोई भी प्रकोप कोविड-19 जैसा व्यापक और घातक नहीं था। 1915-1926 के बीच इंसेफेलाइटिस लेटार्गिका नामक महामारी दुनिया भर के देशों में फैली थी। यह एक संक्रामक बीमारी थी, जिसका वायरस मानव की केंद्रीय तंत्रिका को प्रभावित करता था। इस महामारी का प्रभाव सबसे ज्यादा यूरोप में देखने को मिला था, लेकिन भारत में बहुत ही कम था…

जब किसी रोग का प्रकोप सामान्य की अपेक्षा बहुत अधिक होता तो उसे महामारी  कहते हैं। महामारी किसी एक स्थान, क्षेत्र या जनसंख्या के भू-भाग पर सीमित होती है। यदि कोई बीमारी दूसरे देशों और दूसरे महाद्वीपों में भी फैल जाए तो उसे पैनडेमिक  कहते हैं। अब कोरोना वायरस को पैनडेमिक यानी महामारी घोषित कर दिया गया है।

वर्तमान में फैले कोरोना वायरस ने हमारे देश और हिमाचल प्रदेश को झिंझोड़ कर रख दिया है। आज पूरा देश व प्रदेश इस महामारी की चपेट में आ गया है। हर इनसान एक-दूसरे से पूरी तरह कट सा गया है। ऐसा लगता है कि जिंदगी के पहिए थम से गए हैं और हम जहां थे वहीं  रुक गए हैं। आज यह बहुत जरूरी हो गया है कि हम सब सामाजिक दूरी को बनाए रखें, जिससे इस महामारी से बचा जा सके। फिर चाहे वह लॉकडाउन हो फिर कर्फ्यू हम सब को इसी दायरे में रहना होगा, तभी इस महामारी से बचा जा सकता है। यहां मैं अवलोकन कर रहा हूं आज तक फैली महामारियों का ।

भारत ने 1990 के दशक से कई महामारियों के प्रकोप देखे हैं जैसे कि सार्स का प्रकोप, स्वाइन फ्लू का प्रकोप और कोरोना का प्रकोप, लेकिन इनमें कोई भी प्रकोप कोविड-19 जैसा व्यापक और घातक नहीं था। 1915-1926 के बीच इंसेफेलाइटिस लेटार्गिका नामक महामारी दुनिया भर के देशों में फैली थी। यह एक संक्रामक बीमारी थी, जिसका वायरस मानव की केंद्रीय तंत्रिका को प्रभावित करता था। इस महामारी का प्रभाव सबसे ज्यादा यूरोप में देखने को मिला था, लेकिन भारत में बहुत ही कम था। अभी तक इस महामारी से लोगों ने निजात नहीं पाई थी, तभी 1918-1920 के बीच स्पेनिश प्लू ने दस्तक दी। यह प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुई घटना से फैला था। भारत में भी यह बीमारी सैनिकों के माध्यम से फैली थी। वर्ष 1968-69 में फ्लू एनफ्लूऐंजा महामारी ने दस्तक दी। यह सबसे पहले हांगकांग में फैली थी। भारत में भी यह महामारी फैली थी, परंतु समय रहते इस पर काबू पा लिया गया।

वर्ष 1974 में चेचक नामक महामारी भारत में फैली थी। यह महामारी वैरियोला मेजर या वेरोला माइनर के कारण फैली थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ही 60 प्रतिशत मामले पाए  गए थे। इस महामारी को रोकने के लिए भारत में राष्ट्रीय चेचक उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया था, लेकिन इसके परिणाम अच्छे नहीं निकले। तभी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को चिकित्सकीय सहायता देकर  मार्च 1977 में भारत को चेचक मुक्त का दिया।

वर्ष 1994 में भारत के सूरत में न्यूमोनिक प्लेग नामक वायरस फैला, इसके कारण लोगों ने सूरत से पलायन किया। जिसके कारण यह भारत के अन्य शहरों में भी फैला था । लेकिन समय रहते इस पर काबू पा लिया गया। वर्ष 2002-2004 में सार्स नामक गंभीर बीमारी फैली थी। यह एक गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम था, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलने लगा। यह महामारी वर्तमान में फैली कोविड-19 के ही समान थी, जिसे सार्स कोव का नाम दिया गया था। यह वायरस छींकने और खांसने से फैलता था।

वर्ष 2006 में डेंगू और चिकनगुनिया नाम की बीमारी फैली। यह बीमारी मच्छरों से फैली थी। इसने पूरे भारत में लोगों को प्रभावित किया था। यह दिल्ली में सबसे ज्यादा फैली थी। वर्ष 2009 में गुजरात राज्य से हेपेटाइटिस संक्रामक रोग फैला था। वर्ष 2014-15 में भारत के ओडिशा राज्य से पीलिया नामक बीमारी फैली थी। यह गंदा पानी पीने के कारण फैला था। इसी वर्ष स्वाइन फ्लू या इन्फलूएंजा वायरस फैला था। यह सबसे ज्यादा गुजरात, महाराष्ट्र ,राजस्थान, दिल्ली, तेलंगाना में फैला था। इससे लगभग 2000 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इसी तरह वर्ष 2017 में मच्छरों के काटने के कारण एन्सेप्लाइटिस नामक संक्रमण फैला जिसके कारण सबसे पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सैकड़ों बच्चों की जान गई थी। मई 2018 में केरल राज्य में निपाह नामक वायरस ने दस्तक दी थी ।

यह केरल राज्य से चमगादड़ से फैला था, लेकिन सुरक्षात्मक उपायों के कारण जून 2018 तक इस पर अंकुश लगा दिया गया।  कोरोना वायरस रोग कोविड-19 एक नई बीमारी है, जो 2019 में शुरू हुई थी। इसके संक्रमण के सामान्य संकेतों में श्वसन संबंधी लक्षण, बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ और सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं। अधिक गंभीर मामलों में, संक्रमण निमोनिया, गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम, गुर्दे की विफलता और यहां तक कि मृत्यु का कारण बन सकता है। अब तक इससे 192 देशों में सैकड़ों मौतें  हो चुकी हैं। इससे बचने का सबसे आसान तरीका सामाजिक दूरी है, जो भारत के सभी राज्यों में प्रभावी है जिसके कारगर परिणाम सामने आएंगे। घर पर ही रहें, भीड़ से दूर रहें, मास्क और सेनिटाइजर का प्रयोग करें और कोरोना वायरस से बचें।


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