कोरोना से लड़ाई: हिमाचल की तरकीब काम आई

By: Apr 15th, 2020 12:03 am

..महामारी से महामुकाबले के लिए हिमाचल की तैयारियां सबसे बेस्ट क्वारंटाइन सेंटर के साथ तमाम अस्पतालों को वक्त पर किया सतर्क

शिमला  – कोरोना वायरस पर पकड़ के लिए हिमाचल की तैयारियां बेस्ट रही हैं, जिसमें प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की पीठ भारत सरकार ने भी थपथपाई है, जिसमें सबसे पहले तीन अस्पतालों को कोविड-19 के लिए एक पूर्ण रूप से समर्पित अस्पताल बनाया गया है, जिसमें आईजीएमसी, टीएमसी और नेरचौक मेडिकल कालेज शामिल हैं। प्रदेश सरकार ने संदिग्ध लोगों के लिए क्वारंटाइन सेंटर बनाया था, जिसमें पूरी तैयारियों के साथ स्वास्थ्य स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई। इसमें शिमला से दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल, परिमहल, टांडा मेडिकल कालेज, नैरचौक मेडिकल कालेज, हमीरपुर मेडिकल कालेज के साथ अब सभी जिला अस्पातलों को इसमें शामिल किया गया है। प्रदेश सरकार ने पांच हजार पीपीई किट्स भी मंगवा दी हैं। जनता को जागरूक करने के लिए प्रदेश सरकार का यह भी एक अहम कदम सराहा गया है कि धार्मिक गुरु भी कोरोना से की जा रही लड़ाई में सामने आए। धार्मिक गुरु के साथ-साथ एनसीसी और एनएसएस को भी जनता को भी कोविड-19 के प्रति जागरूक करने के लिए कहा गया है। स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों में कई जगह ड्रोन के साथ कई अन्य आईटी माध्यमों का इस्तेमाल किया गया है। गौर हो कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से डाक्टरों की ओर से एक अहम कदम भी उठाया गया है, जिसमें स्वास्थ्य विभाग में आवश्यकतानुसार विभिन्न मेडिकल और पैरामेडिकल के पदों पर आउटसोर्स बेसिक पर  कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए नियुक्ति दी जाएगी। इसी बीच 33 मेडिकल ऑफिसर्स को नियुक्ति की दी गई है। स्वास्थ्य विभाग में सेवानिवृत्ति की समय अवधि मई तक बढ़ाई गई है।

92 वेंटिलेटर्स की भी व्यवस्था

राज्य स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक अभी तक हिमाचल के अस्पतालों में मात्र 92 वेंटिलेटर हैं, जबकि दस वेंटिलेटर का ऑर्डर भी केंद्र सरकार को दे दिए गए हैं। आईजीएमसी में 45 वेंटिलेटर हैं, जिसमें से 25 वेंटिलेटर कोरोना संक्रमण के संभावित मरीजों के लिए डेजिग्नेट कर दिया गया। टांडा मेडिकल कालेज में अभी 21 वेंटिलेटर हैं, जिसमें 16 पहले से ही चलित हैं और पांच नए वेंटिलेटर चालू किए जाने हैं। इसके अलावा राज्य के तीन जिले किन्नौर, लाहुल-स्पीति और सिरमौर के किसी भी अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं हैं, जबकि अन्य अस्पतालों में कुल 26 वेंटिलेटर हैं। यानी आईजीएमसी, टीएमसी और जिला के अस्पतालों को मिलाकर 92 वेंटिलेटर हिमाचल स्वास्थ्य विभाग के पास उपलब्ध है।

बीबीएन ने संभाला दवाई बनाने का जिम्मा

हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन सहित विभिन्न जीवनरक्षक दवाओं के सुचारू उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ क्षेत्र में फार्मा कंपनियों को हर संभव सहायता प्रदान करेगी। इसे लेकर कैडिला, डा. रेड्डीज, एल्कमिस्ट और टोरेंट जैसी प्रमुख फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ इस बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार फार्मा कंपनियों के लिए कर्मचारियों के सुचारू आवागमन के अलावा कच्चे माल और दवाओं की आपूर्ति को सुचारू बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है, जिसमें कंपनियों से दवाओं की ढुलाई के लिए पर्याप्त संख्या में ट्रक उपलब्ध करवाए जाएंगे।

घर-घर जाकर ढूंढे जा रहे मरीज

स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक्टिव केस फाइंडिग प्राजेक्ट शुरू किया था जिसमें आयुर्वेद विभाग के साथ आशा वर्कर ने काफी सहयोग दिया है, जिसमें 65 लाख लोगों की घर जाकर स्वास्थ्य जांच की जा चुकी है, जिसमें सर्दी-जुकाम के लोगों का रिकॉर्ड विभाग ने रखा है। हैल्थ सेफ्टी एंड रेगुलेशन डिपार्टमेंट की ओर से प्रदेश स्वास्थ्य च्वींगम बैन करने का भी अहम फैसला लिया गया है, जो कोरोना वायरस के सर्किल को तोड़ने के लिए एक अहम कदम उठाया गया है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पतालों के मेडिकल स्टाफ का अवकाश भी कैंसिल कर दिया है। इसके साथ ही टेस्ट के लिए स्पेशल वैन भी शुरू की गई है, जिसमें सिर्फ एक हाथ बाहर निकालने की जगह रखी गई है। प्रदेश में टेस्ट के लिए भी दो मेडिकल कालेज के साथ सीआरआई कसौली में भी टेस्ट किए जा रहे हैं।

अब ऐसे मरीजों के टेस्ट भी जरूरी

सरकारी, गैर सरकारी अस्पतालों व मेडिकल कालेजों में भर्ती सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस के मरीजो के कोरोना टेस्ट करवाना जरूरी किया गया है। हिमाचल में जितने भी फ्लू क्लीनिक्स बनाए गए हैं, सभी से कम से कम तीन से पांच सैंपल प्रतिदिन इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस के मरीजों के कोविड-19 के टेस्ट के लिए जाएंगे। सामुदायिक निगरानी बढ़ाने के लिए हरेक जिले को दो वाहन दिए गए हैं, जो कि प्रति दिन कम से कम एक ब्लॉक को कवर करेंगे और आठ से दस सैंपल कोविड-19 टेस्ट के लिए एकत्र करेंगे। हरेक सैंपल लेने के बाद वाहन को सेनेटाइज किया जाएगा। बाहर से आए हुए प्रवासियों को ध्यान में रखते हुए जिन्हें कि राज्य में विभिन्न राहत शिविरों में रखा गया है, उन्हें एक-दूसरे में स्तांतरित नहीं करने के आदेश दिए गए हैं।

12 अस्पतालों में कीमोथैरेपी शुरू

प्रदेश के 12 अस्पतालों में कीमोथैरेपी शुरू करने की सुविधा दी गई है। इससे पहले आईजीएमसी और टांडा में ही कीमोथैरेपी हो पाती थी। प्रदेश सरकार ने अब इस बाबत बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत कई जगह कीमोथैरेपी की सुविधा मिलेगी। इस सुविधा के लिए शामिल किए गए अस्पतालों में रीजनल अस्पताल बिलासपुर, मेडिकल कालेज चंबा, टांडा मेडिकल कालेज, जोनल अस्पताल धर्मशाला, खनेरी अस्पताल रामपुर, रीजनल अस्पताल कुल्लू, मंडी मेडिकल कालेज नेरचौक को इस सुविधा के लिए तय किया गया है। इसी तरह एमजीएमएचसी खनेरी को भी इसमें जगह मिली है। वहीं, नाहन मेडिकल कालेज, आरएच सोलन और ऊना को भी कीमोथैरेपी की सुविधा देने के लिए फाइनल किया गया है। जो अस्पताल तय किए गए हैं, वे अपने नजदीकी मेडिकल कालेज की गाइडलाइन के तहत ही कीमोथैरेपी कर पाएंगे। इसमें ट्रेंड डाक्टर काम करेंगे और कैंसर यूनिट उन पर नजर रखेगी। बहरहाल, इस सुविधा के मिलने से मरीजों को दूर जाने के चक्करों से छुटकारा मिल जाएगा।


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