जमातियों की करामात

By: Apr 7th, 2020 12:05 am

कर्म सिंह ठाकुर

लेखक, सुंदरनगर से हैं

देश में कोरोना संक्रमण के सबसे बड़ा खतरा बने निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज से जुड़े लोगों ने एक बार फिर पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया है। करोड़ों भारतीय 21 दिन के लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए अनेक प्रतिबंधों तथा आर्थिक मजबूरियों के कारण भी अपने घरों में कैद हुए हैं ताकि पूरी दुनिया में कोरोना के बढ़ते संक्रमण से सबक लेते हुए भारत के जनमानस को बचाया जा सके, लेकिन किसी एक समुदाय की गलती भारत को गर्त में ले जाती दिख रही है। गृह मंत्रालय की जानकारी के मुताबिक 21 मार्च तक हजरत निजामुद्दीन मरकज में लगभग 1746 लोग रहे थे। इनमें से 216 विदेशी और करीब 1530 भारतीय थे। इसके अतिरिक्त लगभग 824 विदेशी 21 मार्च को देश के विभिन्न हिस्सों में तबलीग गतिविधियां कर रहे थे। इनमें से तमिलनाडु के करीब 500, असम के करीब 216, यूपी के करीब 156, महाराष्ट्र के करीब 108, मध्यप्रदेश के करीब 107, बिहार के करीब 86, पश्चिम बंगाल के करीब 73, तेलंगाना के करीब 55, झारखंड के करीब 40, कर्नाटक के करीब 40, उत्तराखंड के करीब 30, हरियाणा के करीब 20, अंडमान निकोबार के करीब 21, राजस्थान के करीब 19, हिमाचल प्रदेश, केरल और ओडिशा के करीब 15-15, पंजाब के करीब नौ, जम्मू-कश्मीर के करीब सात और मेघालय के पांच लोग हैं।  इस घटना ने पूरे भारत में हड़कंप मचा दिया। भारत में  कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्तियों का आंकड़ा दो हजार को पार कर गया तथा 50 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।  पूरी दुनिया में 12 लाख से अधिक लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं। इस महामारी को रोकने के लिए भारत सरकार के प्रयासों की वैश्विक स्तर पर भी प्रशंसा हो रही थी, लेकिन इस घटना ने सच में ही मानव जाति को अंधकार में डाल दिया। कोई समुदाय इस वायरस को खुदा-अल्लाह या भगवान के सान्निध्य में आगे बढ़ाने का प्रयास करे, तो यह उस धर्म के लाखों-करोड़ों अनुयायियों को भी सोचने पर मजबूर कर देता है। जब पूरी दुनिया इस महामारी की चपेट में है, ऐसे में भी यदि धर्म की आड़ या प्रतिष्ठा में वायरस से बचने के उपायों को नजरअंदाज किया जाए, तो यह चिंतनीय विषय है। इस महामारी पर विजय प्राप्त करना टेढ़ी खीर साबित होगा। इस वायरस के कारण करोड़ों लोगों का जीवन संकट में पड़ा हुआ है। विशेष तौर पर भारत जैसे विकासशील देश में जहां स्वास्थ्य सेवाएं नाममात्र की हैं, ऐसे में इस महामारी पर परहेज ही एक बेहतर विकल्प हो सकता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बार-बार जनमानस से हाथ जोड़कर घर में रहने की ही विनती करते दिख रहे हैं। भारत विश्व के सबसे बड़े तथा सफलतम लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करता है। विदेशों में रह रहे भारतीय भी सोशल मीडिया के माध्यम से भारतीय जनमानस को यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि यदि भारत में यह महामारी फैल गई तो इस पर नियंत्रण पाना अति कठिन कार्य होगा, लेकिन धार्मिक अंधविश्वास तथा कट्टरता मानव जाति के विनाश के लिए उतारू है। नई दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के जलसे ने कोरोना वायरस के खिलाफ  भारत की लड़ाई को कमजोर बेशक कर दिया है, लेकिन बहुत से सच्चे इस्लामिक व्यक्तियों ने इस घटना को शर्मनाक बताया है तथा कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अल्लाह के दरबार से अमन-शांति व चैन की दरखास्त भी करते दिख रहे हैं। ऐसे सच्चे इस्लामिक व्यक्तियों को भारत कोटि-कोटि नमन करता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App