बीसीजी का टीका भारत-ब्राजील के लिए बनेगा सुरक्षा कवच!

By: Apr 1st, 2020 12:02 am
अमरीकी अध्ययन से मिले संकेत

न्यूयार्क-क्या बीसीजी का टीका कोरोना वायरस से लड़ने में कारगर साबित हो सकता है? न्यूयार्क इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) की एक स्टडी में कुछ ऐसे ही संकेत दिए हैं । फिर ऐसी स्थिति में भारत के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है, क्योंकि भारत में 1962 से ही राष्ट्रीय टीबी प्रोग्राम की शुरुआत के बाद से जन्म के तुरंत बाद बच्चों को बीसीजी का टीका लगाया जाता है और यानी एक बहुसंख्यक आबादी को यह टीका लग चुका है। एक हैल्थ साइंसेज सर्वर में प्रकाशित स्टडी में दावा किया गया है कि बीसीजी टीके की वजह से कोविड-19 की मौत को कम करने में मदद मिलती है और जिन देशों में बीसीजी का टीका अपनाया गया है, वहां उन देशों में मौत का आंकड़ा कम रहेगा। स्टडी से जुड़े वैज्ञानिकों ने पाया की बीसीजी यानी बेसिलस कॉमेट गुएरिन के वैक्सिन से वायरल संक्रमण और सेप्सिस जैसी बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है। एनआईटी की डिपार्टमेंट ऑफ बायोमेडिकल साइंसेज ने एक स्टडी की है, जिसमें बीसीजी के टीके और उसके कोरोना वायरस के असर पर होने वाले प्रभाव का अध्ययन किया गया था। इसमें जिन देशों में बीसीजी का टीका लगवाया जाता है और जिन देशों में बीसीजी की पॉलिसी नहीं है, उनके बीच तुलनात्मक अध्ययन किया गया। यानी बीसीजी पॉलिसी वाले देशों जापान, ब्राजील की तुलना इटली, अमरीका, लेबनान और बेल्जियम से की गई, जहां बीसीजी का टीका नहीं लगावाया जाता। उल्लेखनीय है कि इस वक्त इटली में सबसे अधिक मौत हुई है तो संक्रमित देशों में अमरीका टॉप पर है। एनआईटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद आस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, जर्मनी और ब्रिटेन ने कहा है कि वे कोरोना के मरीजों की देखभाल कर रहे हैल्थ वर्कर्स पर बीसीजी के टीके का प्रयोग करेंगे यानी उन्हें यह टीका लगाया जाएगा।


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