रिवालासर बैसाखी मेला
यूं तो हिमाचल प्रदेश में अनेक मंदिर हैं और यहां साल भर मेलों का दौर चला रहता है। उसी में से हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्घ धार्मिक तीर्थस्थल रिवालसर में मनाए जाने वाले बैसाखी मेले का विशेष महत्त्व है…
रिवालासर का बैसाखी मेला देश के उत्तरी हिस्से में काफी प्रसिद्ध है । मेले हमेशा से एकता का संदेश देते हैं और जब ऐसा मेला हो ,जो तीन धर्मों के संगम पर स्थित हो तो बात ही कुछ और होती है । रिवालसर में हिंदू, बौद्ध और सिख धर्म के लोग न केवल मिलजुल कर रहते हैं अपितु मेला भी मिलजुल कर मनाते हैं। वैसे तो इस झील को पद्म संभव झील भी कहते हैं, पर इस नाम से केवल बौद्ध धर्म के लोग ही पुकारते हैं। प्रसिद्ध नाम तो इस झील का रिवालसर ही है। झील के एक किनारे पर गुरुद्वारा है, जिस पर बैसाखी के दिन काफी सजावट होती है। हो भी क्यों न, दूर-दूर से सिख धर्मावलंबी अपने त्योहार को मनाने के लिए आते हैं और इस मेले के रंग को देखने के लिए अन्य धर्मों के लोगों की भीड़ भी जुटती है। झील के एक किनारे पर टाउनहाल से लेकर गुरुद्वारे तक काफी दुकानें लगी होती हैं। गुरुद्वारा रिवालसर जाने के लिए काफी सीढिय़ां चढऩी पड़ती हैं। यहां पर हर गुरुद्वारे की तरह रुकने की और लंगर की भी व्यवस्था है तथा यह काफी बड़े परिसर में बना हुआ है। वैसे तो हर साल बैसाखी मेला 13 अप्रैल से शुरू होता है,लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण सरकार ने मेलों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। बैसाखी मेले में हर बार सांस्कृतिक संध्या में अनेक कलाकार अपनी कला का जादू बिखेरते थे। बैसाखी मेले में क्षेत्र के दर्जनों देवी-देवता भी शिरकत करते हैं। मेले के दौरान यहां बहुत भारी भीड़ जुटती है।
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