ईश्वर से प्रार्थना

By: May 9th, 2020 12:14 am

स्वामी विवेकानंद

गतांक से आगे…

वह सोच रही थी कि क्या वह वाकई इतनी बुरी है कि स्वामी जी उसकी उपस्थिति में कमरे में नहीं बैठ सकते। उसका नारी सुलभ अभिमान जाग उठा। उसने वेदना भरे स्वर में भक्त सूरदास का भक्ति गीत गाया। उस नृत्यांगना  के मुंह से निकले यह स्वर स्वामी जी के हृदय को अंदर तक झकझोर गए। गायिका की वेदना से स्वामी जी बेचैन हो उठे। बाद में स्वामी जी ने उस गणिका से क्षमा याचना की। एक बार की बात है किसी महाशय ने दक्षिणेश्वर के महोत्सव में वेश्याओं के जाने की रोक लगाई थी, तब श्री विवेकानंद जी ने जवाब दिया था। वेश्याएं अगर दक्षिणेश्वर के तीर्थ पर न जा सकेंगी तो कहां जाएगी? पतितों के लिए प्रभु विशेष अनुग्रहवान है। पुण्यात्माओं के लिए उतने नहीं हैं। जो लोग देवालय में जाकर  यह सोचा करते हैं कि यह नीच जाति है, यह निर्धन है, यह छोटा आदमी है, इस प्रकार सोचते हैं, उनकी संख्या जितनी कम हो जाए समाज का उतना ही कल्याण होगा। जो लोग शरणागत जाति, लिंग और अवस्था व्यवसाय देखते हैं, वे श्री रामकृष्ण देव को क्या समझेंगे। मैं तो ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वेश्याएं आएं उनके चरणों पर शीश झुकाने के लिए, बल्कि एक भी भद्र पुरुष न आए तो न आए, वेश्याएं आएं, चोर डाकू आएं, शराबी आएं उनका दरवाजा हमेशा खुला है। 16 दिसंबर को स्वामी जी लंदन से सवार होकर चल दिए। सेवियार दंपति उनके साथ ही थे। श्री गुडविन ने नेपल्स में स्वामी जी के साथ मिलने के लिए साउथम्पटन से इटली के लिए यात्रा की थी। हवांतनिवारक वेदांत से दिग्विजय करने वाले आचार्य श्री के जीवन का एक महिमाशाली चरण पूरा हुआ। फ्रांस के बीच से होकर, आल्पस पर्वतमाला को लांघकर मिलान तथा पीसा नगरी के दर्शन करते हुए फ्लोरेनस पहुंचे। इटली में शिल्प और स्थापत्य के एक से एक बढ़े-चढ़े रूपों को देखकर वे एक उद्यान में टहल रहे थे कि अचानक शिकागो के श्रीमान व श्रीमती हेल से उनकी भेंट हुई। ये वही श्रीमीती हेल थीं, जिन्होंने शिकागो धर्मसभा से पहले स्वामी जी को अपना मेहमान बनाया था और उनकी सहायता की थी। ये महिला स्वामी जी से पुत्रवत स्नेह व प्रेम करती थीं। स्वामी जी जब कभी शिकागो जाते, तो उन्होंने स्वामी जी को कभी होटल में ठहरने नहीं दिया, बल्कि ये सम्मान सहित अपने यहां ठहराती थीं। फ्लोरेनस से स्वामी जी रवाना हो गए, उनके साथ सेवियार दंपत्ति थे ही, स्वामी से श्रीमती सेवियार ने अमरीका शिष्य, कुमारी मेक्लिओड से रोम नगर के अंग्रेज समाज में विख्यात कुमारी एलवर्ड्स का पता जान लिया था। कुमारी मैक्लिओड की भतीजी कुमारी एलबर्टा स्टार्गिस भी इन दिनों रोम में ही थी। वे कुछ दिनों के पश्चात ही स्वामी जी की शिष्याएं बन गई थीं।          -क्रमशः


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