एथेरोस्कलेरोसिस के लक्षण और उपाय

By: May 23rd, 2020 12:18 am

इसके लक्षणों में सीने में दर्द, टांग और बांह में दर्द और शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द जहां की धमनी ब्लॉक हो चुकी हो। सांस लेने में दिक्कत, थकान, ब्लॉकेज के मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को प्रभावित करने पर उलझन होना, रक्त प्रवाह की कमी के कारण टांग की मांसपेशियों में कमजोरी आना शामिल है…

एथेरोस्कलेरोसिस में धमनियां सख्त या सिकुड़ जाती हैं। इसकी वजह से धमनियों में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध होता है। इसे एथरोस्कलेरोटिक कार्डियोवैस्कुलर डिजीज भी कहते हैं। इसके कारण हार्ट अटैक, स्ट्रोक और पेरिफेरल वैस्कुलर जैसी बीमारियों का खतरा रहता है। आइए जानते हैं एथेरोस्कलेरोसिस के लक्षणों, कारण एवं इलाज के बारे में।

एथेरोस्कलेरोसिस के लक्षण

ब्लॉकेज होने तक एथेरोस्कलेरोसिस के अधिकतर लक्षण दिखाई नहीं देते है। इसके लक्षणों में सीने में दर्द, टांग और बांह में दर्द और शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द जहां की धमनी ब्लॉक हो चुकी हो। सांस लेने में दिक्कत, थकान, ब्लॉकेज के मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को प्रभावित करने पर उलझन होना, रक्त प्रवाह की कमी के कारण टांग की मांसपेशियों में कमजोरी आना शामिल है। हार्ट अटैक और स्ट्रोक के लक्षणों को जानना भी जरूरी है। ये दोनों ही एथेरोस्कलेरोसिस के कारण होते हैं और इनमें तुरंत मेडिकल सहायता की जरूरत होती है। हार्ट अटैक के लक्षण हैं सीने में दर्द, कंधे, कमर, गर्दन, हाथ में दर्द, पेट में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, सिर चकराना, उल्टी या जी मतली। स्ट्रोक के लक्षण हैं, चेहरे या हाथ-पैरों में कमजोरी या सुन्नता, बोलने में दिक्कत होना, देखने में परेशानी होना, बेसुध होना और अचानक तेज सिरदर्द होना।

किसे होता है खतरा

अगर आपके परिवार में किसी सदस्य को यह स्वास्थ्य समस्या रही है, तो आपमें भी इसका खतरा बढ़  जाता है।

व्यायाम की कमी

नियमित व्यायाम दिल की सेहत के लिए अच्छा होता है। ये हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करता है और पूरे शरीर में रक्त एवं आक्सीजन के प्रवाह को बढ़ाता है। व्यायाम न करने से कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

हाई ब्लड प्रेशर

हाई बीपी से कुछ हिस्सों में रक्त वाहिकाएं कमजोर होकर क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। खून में कोलेस्ट्रॉल और अन्य तत्त्व समय के साथ धमनियों के लचीलेपन को कम कर सकते हैं।

एथेरोस्कलेरोसिस का इलाज

इसके इलाज में जीवनशैली में बदलाव कर फैट और कोलेस्ट्रॉल के सेवन को कम किया जाता है। हृदय और रक्त वाहिकाओं की सेहत में सुधार लाने के लिए एक्सरसाइज की जरूरत पड़ सकती है। गंभीर स्थिति होने पर डाक्टर दवा या सर्जरी की सलाह देते हैं। डाक्टर कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली बीटा ब्लॉकर्स या कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स या बीपी कम करने के लिए मूत्रवर्द्धक दवाएं या धमनियों को अवरुद्ध होने या खून के थक्के जमने से रोकने के लिए एंटीकोएगुलेंट दवाएं दे सकते हैं।


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