कोरोना पॉजिटिव और समाज: अजय पाराशर, लेखक, धर्मशाला से हैं

By: Jun 30th, 2020 12:06 am

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अजय पाराशर

लेखक, धर्मशाला से हैं

सरकारी अस्पताल के योग्य चिकित्सों ने जब पंडित जॉन अली की धर्मपत्नी के कोरोना पॉज़िटिव् होने का अंदेशा व्यक्त किया तो मानो सबको सांप सूंघ गया। थोड़ी देर पहले जिस अस्पताल में तिल रखने की जगह नहीं थी, वहां ऐसी वीरानगी छाई, जैसे श्मशानघाट में मुर्दे को श्रंद्धाजलि अर्पित करने के उपरांत चिता के पास केवल उसका बेटा ही बैठा रह जाता है। आनन-फानन में तमाम चिकित्सकों तथा स्टाफ ने स्पेशल मास्क के अभाव में अलीबावा के चालीस चोरों और मरजीना की तरह सामान्य मास्क से ही अपना मुंह ढकने में बेहतरी समझी।  पंडित जी के रिश्तेदार भी बिना बताए खिसक लिए। अभी तक जो परिचित चिकित्सक तथा कर्मचारी पंडित जी से हमदर्दी व्यक्त करते हुए नज़र आ रहे थे, उन सभी की कर्त्तव्यभावना ऐसे गायब हुई मानो जंगल में शेर को देखकर जानवर दुबक गए हों। पंडित जॉन अली लाइसेंस ब्रांच के मुलाज़िम थे। सो सरकारी अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी उनसे ब़खूबी वा़िक़फ थे। चार दिन पहले उनकी पत्नी को कंधों और टांगों में भयंकर दर्द हो रहा था। अस्पताल पहुंचने पर विशेषज्ञ डॉ. झटका ने ऐसे मुंह बनाया, जैसे उसने बीमारी ने उनके कान में आकर अपना नाम बोल दिया हो। उसने कहा कि उनकी पत्नी को भीषण गैसट्रिक हो गई है। उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती करना होगा। पर दूसरे दिन सुबह बुखार के साथ खांसी तथा दम घुटने की शिकायत करते ही मुख्य डॉक्टर ने ऐलान कर दिया कि वह कोरोना से पीडि़त है, बस पुष्टि के लिए परीक्षण करवाया जाना बा़की है। शहर के एक प्रमुख नेता पिछले दिन दुर्घटनाग्रस्त होकर अस्पताल में भर्ती हुए थे। उनकी मिज़ाजपुर्सी के लिए बड़े-बड़े डॉन, नेताओं, हुक्मरानों व़गैरह का जमावड़ा लगा हुआ था। पर जैसे ही उनके कक्ष में पंडित जी की धर्मपत्नी के कोरोना पीडि़त होने की खबर पहुंची, सबके चेहरे पर मुर्दनगी छा गई। सभी को ज़रूरी काम याद आने लगे। देखते-देखते कमरे में सन्नाटा पसर गया और बेचारे नेता जी अकेले रह गए। 24×7 के एक पत्रकार जो खबर सूंघते-सूंघते अस्पताल पहुंचे थे, ने स्कूप के चक्कर में तुरंत अपने चैनल में रनिंग स्ट्रिप चलवा दी। स्वास्थ्य मंत्री ने तुरंत बयान दागकर स्थिति नियंत्रण में होने की बात कह डाली। चैनल तथा अखबार वालों ने अस्पताल को ऐसे घेर लिया, जैसे बंदरों का गिरोह अकेले कुत्ते को धर दबोचता है। पूरे देश में धड़ाधड़ भांति-भांति के मास्क बिकने लगे। एक चैनल ने नामी फार्मास्यूटिकल कंपनी द्वारा घटिया मास्क बेचे जाने का भांडाफोड़ कर देश में तहलका मचा दिया। सभी धर्मों के संतों ने, अपनी दुकानदारी से ऊपर उठकर एकमत से मानवता के इस कदर गिरने पर, प्रस्ताव पारित कर चिंता व्यक्त की। विपक्ष ने सरकार को असफल बताते हुए उसकी भर्त्सना आरंभ कर दी। स्वास्थ्य विभाग ने मौका पाते ही विदेशों से अरबों रुपए की दवाइयों के ऑर्डर बुक कर दिए। कोरोना टैस्ट करवाने के लिए प्रयोगशालाओं के बाहर लंबी-लंबी कतारें सज गईं। पंडित जी की पत्नी के सैंपल के निगेटिव पाए जाने के बावज़ूद सारे देश में इस बीमारी पर जुगाली होती रही। पर मरीज़ की बीमारी और बढ़ती रही। उसकी हालत बिगड़ती देखकर उसे दूसरे शहर के बड़े अस्पताल में रैफर कर दिया। दो महीने बीत जाने के बाद भी उनकी पत्नी उस बड़े अस्पताल में ज़ेरे-ईलाज़ है। लेकिन अभी तक उसकी बीमारी और ईलाज़ का पता नहीं चल पाया है?


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