चमचागीरी इन दिनों

By: Jun 24th, 2020 12:05 am

image description

अशोक गौतम

ashokgautam001@Ugmail.com

उनके पास आज भी उनके बाप-दादाओं के बाप-दादाओं के वक्त वाला करामाती चमचा है। उनके बाप-दादाओं के बाप-दादाओं के बाप-दादाओं को यह करामाती चमचा अपने बाप-दादाओं की लंबी परंपरा से विरासत में मिला था। इसे जरा और साफ  शब्दों में कहें तो उनके पास खानदानी चमचा है या कि वे खानदानी चमचे हैं। कुछ भी समझ लीजिए अपने-अपने हिसाब से। कुछ बातें समझने की होती हैं, कुछ करने की। अगर समझने वाली बातों को कर दिया जाए और करने वाली बातों को केवल समझा जाए तो सब उल्टपुल्ट होने का सौ प्रतिशत खतरा बना रहता है। वे ही बताते हैं कि अपने समय में उनके लिजेंडरी बाप-दादा इस चमचे की कृपा से सोए-सोए भी चांदी लूटा करते थे, सोना कूटा करते थे। चमचा चांदी कूटने-लूटने का सबसे कमीना हथियार होता है। चमचागीरी से भगवान पर भी वार मजे से किया कर लीजिए। क्या मजाल जो वे अपने हाथ की गदा को रत्ती भर भी हिलाएं। चमचे के सामने जिसके होंठों पर युगों से हंसी न आई हो, वह भी मुस्कुराने के सिवाय और कुछ नहीं कर सकता। गीदड़ सींगी में वह सम्मोहन नहीं होता जो चमचे के चमचे में होता है। जिसे एक बार चमचागीरी की खाने की आदत पड़ जाए वह अपने हाथों को बेकार घोषित कर उन्हें कटवाने से भी नहीं हिचकिचाता। …पर अब जबसे उनके पास ये चमचा आया तो इस खानदानी चमचे को पता नहीं किसकी नजर लगी कि जो चमचा पुश्तों से चांदी बटोरवा कुटवा रहा था, आजकल वही उनसे ठीक ढंग की रोटी भी नहीं कुटवा पा रहा है। मुझे तो लगता है कि या तो उनको वह खानदानी चमचा सूट नहीं किया या फिर…इसलिए उनका इन दिनों बस यही रोना है कि वे चमचे वाले चमचे होने के बाद भी चांदी नहीं कूट पा रहे हैं। उनकी इसी चमचागीरी की पहाड़ सी परेशानी को देख मैंने उन्हें कई बार की तरह आज फिर समझाया,‘यार! माना तुम पुश्तैनी चमचे हो। या कि तुम्हारे पास पुश्तैनी चमचा है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। पर असल बात तो ये है कि अब डिमांड के हिसाब से इस चमचे का रंग फीका पड़ चुका है। ये उस समय का पीतल का चमचा है जब लोग सीपियों से अपने बच्चों को ईमानदारी की घुट्टी पिलाया करते थे। आज समय कहीं का कहीं पहुंच गया है, अपने से भी आगे। अब तो लोग सोने के चमचे से अपने बच्चों को लिम्का पिलाते हैं। बाप-दादाओं का पुश्तैनी धंधा नकली दवाओं के कारोबार में तो मदद करता रहा है, पर चमचागीरी के धंधे में नहीं। आंखें हैं तो खोलो, आज चमचागीरी के क्षेत्र में हर पल नए-नए बदलाव आ रहे हैं। जितनी तेजी से आज चमचागीरी का सेक्टर बदल रहा है, उतनी तेजी से तो टेक्नोलॅजी भी नहीं बदल रही। सुबह चमचगीरी के क्षेत्र में किए सफल प्रयोग शाम को आउट ऑफ  डेट साबित हो रहे हैं। इसलिए बाप-दादाओं के इस चमचे को रखो कबाड़ में और जो सच्ची को चांदी कूटना चाहते हो तो चकाचक चांदी का चमचा हो जाओ। रात को सोए-सोए भी अपने प्रभु की फेसबुक, व्हाट्सएप पर अंधाधुंध तारीफें करते रहो। आज किसी भी चांदी कूटने वाले को बाहर से ही सही, शुद्ध चांदी सा जरूर होना पड़ता है।’


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App