कोरोना के बीच आर्थिक उम्मीदें: डा. जयंतीलाल भंडारी, विख्यात अर्थशास्त्री

By: Jun 15th, 2020 12:07 am

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री

कोविड-19 के बाद की नई दुनिया में आगे बढ़ने के लिए जिन बुनियादी संसाधनों, तकनीकों और विशेषज्ञताओं की जरूरतें बताई जा रही हैं, उनके मद्देनजर भारतीय युवा और भारतीय पेशेवर चमकते हुए दिखाई दे रहे हैं। प्रसिद्ध कंसलटेंसी फर्म केपीएमजी के 2020 ग्लोबल टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री इनोवेशन सर्वे के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन इंटरनेट ऑफ  थिंग्स के क्षेत्र में नई खोजों और अनुसंधान के मामले में भारत दुनिया में चीन के साथ दूसरे नंबर पर है। यह बात महत्त्वपूर्ण है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत करीब 21 करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज से देश के उद्योग-कारोबार क्षेत्र को जो लाभ मिलेगा, उससे अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी…

यकीनन देश के समक्ष कोविड-19 की चुनौतियों और निराशाओं के बीच दुनिया की वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों, आर्थिक शोध संगठनों और बाजार अनुसंधान संगठनों की रिपोर्टों में एकमत से बताई जा रही आर्थिक उम्मीदों का सुकूनभरा परिदृश्य भी उभरते हुए दिखाई दे रहा है। इन रिपोर्टों में तीन बातें उभरकर सामने आ रही हैं। एक चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोविड-19 से चरमराती भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर शून्य तक जा सकती है। दो, आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर तेजी से बढ़ेगी और तीन, कोविड-19 के बाद भारत की नई पीढ़ी अवसरों को मुठ्ठियों में लेते हुए दिखाई देगी। गौरतलब है कि हाल ही में 10 जून को वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एस. एंड पी.) ने भारत की रेटिंग में पिछले वर्ष की तुलना में कोई बदलाव नहीं किया है। इसे सबसे निचले स्तर पर मानते हुए यह भी कहा कि समान आय स्तर वाले प्रतिस्पर्धी देशों के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में लग रही है। एस. एंड पी. ने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी देश की आर्थिक वृद्धि दर के लिए बड़ी चुनौती साबित हुई है, लेकिन चालू वित्त वर्ष में झटका खाने के बाद अगले वर्ष 2021-22 में केंद्र और राज्य दोनों की वित्तीय स्थिति में सुधार आएगा। उसने यह भी कहा कि आर्थिक सुधार के सरकार के हालिया उपायों का आगे जाकर लाभ होगा। एस.एंड पी. ने अपने अनुमान में कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में देश की अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत तक कमी आएगी, लेकिन 2021-22 में यह 8.5 प्रतिशत की दर से वृद्घि करेगी। इसी तरह रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में गहरे संकुचन के बाद देश की अर्थव्यवस्था के अगले वित्त वर्ष 2012-22 में 9.5 फीसदी की दर से वृद्धि करने का अनुमान है। इन रिपोर्टों के अलावा दुनिया के अधिकांश आर्थिक और वित्तीय संगठनों की रिपोर्टों में भी कहा जा रहा है कि कोविड-19 के कारण चालू वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की विकास दर में भारी कमी आएगी, लेकिन आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर बढ़ेगी। खासतौर से वर्ल्ड बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और एशियन डिवेलपमेंट बैंक जैसे वैश्विक संगठनों का कहना है कि आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड-19 की निराशाओं से निकलकर आगे बढ़ती हुई दिखाई देगी।

इसी तरह दुनिया के बाजार अनुसंधान संगठनों की रिपोर्टों में भी भारत के लिए आर्थिक और कारोबारी उम्मीदों का परिदृश्य प्रस्तुत किया गया है। हाल ही में नौ जून को न्यूयार्क के मैनपॉवर ग्रुप के द्वारा प्रकाशित 44 देशों के रोजगार के वैश्विक सर्वेक्षण के मुताबिक कोविड-19 के बीच रोजगार के मामले में सकारात्मक परिवेश दिखाने वाले दुनिया के चार शीर्ष देशों में भारत भी शामिल है। भारत के अलावा केवल जापान, चीन और ताइवान में रोजगार को लेकर सकारात्मक परिदृश्य पाया गया है। यदि हम वैश्विक बाजार अनुसंधानों की कुछ और रिपोर्टों को देखें तो पाते हैं कि मैकेंजी एंड कंपनी के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट भारत के कोविड-19 कंज्यूमर सेंटिमेंट पल्स सर्वे में 57 फीसदी लोगों ने कहा कि वे कोरोना संकट के कारण अपनी आय और बचत में गिरावट के बाद भी आशावान हैं। 93 फीसदी लोगों ने कहा कि महज एक साल में उनका जीवन पहले जैसा हो जाएगा। लंदन स्थित ग्लोबल मार्केट रिसर्च और डेटा कंपनी यूगोव के सर्वे में शामिल अधिकांश लोगों ने माना कि कोरोना संकट में भारत के लिए कुछ न कुछ अच्छा भी छिपा हुआ है। वैश्विक स्तर पर किए गए बोस्टन कंसल्टेंसी ग्रुप के कोविड-19 सेंटिमेंट सर्वे के अनुसार भारत में 58 फीसदी युवाओं का मानना है कि एक साल के अंदर अर्थव्यवस्था के हालात बेहतर हो जाएंगे और उनका भविष्य अच्छा होगा। निःसंदेह भारत के लिए आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में आर्थिक उम्मीदों के कई कारण हैं। कोविड-19 के बाद की नई दुनिया में आगे बढ़ने के लिए जिन बुनियादी संसाधनों, तकनीकों और विशेषज्ञताओं की जरूरतें बताई जा रही हैं, उनके मद्देनजर भारतीय युवा और भारतीय पेशेवर चमकते हुए दिखाई दे रहे हैं। प्रसिद्ध कंसलटेंसी फर्म केपीएमजी के 2020 ग्लोबल टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री इनोवेशन सर्वे के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन इंटरनेट ऑफ  थिंग्स के क्षेत्र में नई खोजों और अनुसंधान के मामले में भारत दुनिया में चीन के साथ दूसरे नंबर पर है। यह बात महत्त्वपूर्ण है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत करीब 21 करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज से देश के उद्योग-कारोबार क्षेत्र को जो लाभ मिलेगा, उससे अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी। ऐसे में यह माना जा रहा है कि देश में प्रतिभाशाली नई पीढ़ी के द्वारा बढ़ते हुए नवाचार, डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्टार्टअप, रिसर्च एंड डिवेलपमेंट, आउटसोर्सिंग और कारोबार संबंधी अनुकूलताओं के कारण कोविड-19 के बाद दुनिया की शीर्ष फाइनेंस और कॉमर्स कंपनियां भारत की ओर तेजी से कदम बढ़ाते हुए दिखाई देंगी। इसी तरह देश में बढ़ते हुए आर्थिक सुधारों और मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति के कारण दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत की ओर तेजी से आकर्षित होंगी। इससे अर्थव्यवस्था में नए आर्थिक मौकों की चमकीली संभावनाएं आगे बढ़ेंगी। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोविड-19 के बाद देश की नई पीढ़ी और प्रोफेशनल्स के बल पर वैश्विक निवेश, वैश्विक कारोबार, वैश्विक उत्पादन और वैश्विक निर्यात की नई संभावनाएं आगे बढ़ेंगी। ऐसे में इन्हें मुठ्ठी में करने के लिए वर्तमान अनुकूलताओं के साथ-साथ कई और बातों पर भी ध्यान देना होगा। हमें अच्छी ऑनलाइन एजुकेशन की डगर पर आगे बढ़ना होगा। यद्यपि ऑनलाइन एजुकेशन देश में पिछले एक दशक से लगातार दिखाई दे रही है, लेकिन कोविड-19 के बीच लॉकडाउन के कारण स्कूल-कालेजों के बंद रहने से ऑनलाइन एजुकेशन तेजी से बढ़ गई है। खासतौर से पीएम ई-विद्या कार्यक्रम, डिजिटल, ऑनलाइन शिक्षा के लिए मल्टी-मोड एक्सेस बहुमाध्यम पहुंच सुनिश्चित करने से विद्यार्थियों व अध्यापकों, दोनों को लाभ मिल पाएगा। वन चैनल, वन क्लास के माध्यम से स्वयंप्रभा को और अधिक सशक्त बनाना होगा, जिसके अंतर्गत कक्षा एक से 12 तक प्रत्येक कक्षा हेतु एक समर्पित चैनल के साथ गुणवत्तापरक शिक्षा सामग्री प्रदान की जा सकेगी। हमें आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित किए गए आर्थिक सुधारों के शीघ्र क्रियान्वयन पर ध्यान देना होगा। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि नए आर्थिक पैकेजों में प्रोत्साहन से ज्यादा सुधारों पर जोर है। ये आर्थिक पैकेज विभिन्न क्षेत्रों में उदार कानूनों के जरिए साहसिक सुधार करते हुए भी दिखाई दे रहे हैं। नए पैकेज में आत्मनिर्भरता के साथ बगैर आत्मकेंद्रित हुए वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने की रणनीति भी दिखाई दे रही है। हम उम्मीद करें कि देश की नई पीढ़ी कोविड-19 के बाद की नई कार्यसंस्कृति का नेतृत्व करेगी।


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