कर्ज लेने वाले किसानों का अपने आप हो जाएगा बीमा

By: Jul 12th, 2020 12:06 am

हिमाचल में इंश्योरेंस की अंतिम तिथि 15 जुलाई, जयराम  सरकार के पास फार्मर्ज का भरोसा जीतने की चुनौती

हिमाचल में धान व मक्की की फसल का बीमा 15 जुलाई तक हो सकेगा। प्रदेश में यह योजना लाहुल व स्पीति और किन्नौर जिला को छोड़कर सभी जिलों के लिए है। जिलों को दो वर्गों में बांटा गया है। चंबा, हमीरपुर, कांगडा व ऊना वर्ग एक में शामिल हैं तथा वर्ग दो में बिलासपुर, मंडी, कुल्लू, शिमला, सोलन व सिरमौर शामिल हैं। कृषि मंत्री डा. रामलाल मारकंडा का दावा है कि कि प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना इस खरीफ मौसम में भी जारी रहेगी। वर्तमान खरीफ मौसम में ऋणी और गैर ऋणी किसानों द्वारा मक्की व धान की फसलों पर बीमा करवाने की अंतिम तिथि 15 जुलाई, निर्धारित की गई है।  यह योजना गैर ऋणी किसानों के लिए स्वैच्छिक है। योजना के अंतर्गत सभी ऋणी किसानों का वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्वतः ही बीमा कर दिया जाएगा। यदि कोई ऋणी किसान इस योजना का लाभ नहीं उठाना चाहते हैं तो वह इस बारे में अपना घोषणा पत्र संबंधित बैंक में वर्षभर कभी भी जमा करवा सकते हैं। यह घोषणा पत्र ऋणी किसान को संबंधित बैंक शाखा को संबंधित मौसम की ऋण लेने की अंतिम तिथियों से कम से कम सात दिन पूर्व तक देना होगा। प्रदेश सरकार ने इसकी अधिसूचना 24 जून, 2020 को जारी की है। बेशक मारकंडा कुछ भी कह रहे हों, लेकिन यह सच है कि आज भी हजारों किसानों को फसल बीमा योजना के बारे में पता नहीं है। किसानों तक योजना की जानकारी ही नहीं पहुंच पाती। किसान रमेश, श्याम, संजय बताते हैं कि उन्होंने योजना के बारे में सुना तो है, लेकिन बीमा कैसे करना है, इसके लिए क्या औपचारिकताएं करनी हैं, यह उन्हें पता नहीं है। बहरहाल मंत्री का दावा यह भी है कि मक्की व धान दोनों फसलों के सामान्य कवरेज पर राशि तीस हजार रुपए प्रति हेक्टेयर है। प्रीमियम की दर किसानों के लिए बीमित राशि के अनुसार दो प्रतिशत रखी गई है। .

रिपोर्ट शिमला ब्यूरो

भारतीय किसान संगठन ने नेगी को सौंपी कमान

बीबीएन—किसानों के लिए समर्पित भारतीय किसान संगठन की प्रदेश की कमान बरोटीवाला के अग्रणी किसान व सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल चंद नेगी को सौंपी गई है। भारतीय किसान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र यादव ने गोपाल चंद नेगी के नाम की घोषणा की। राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र यादव ने कहा कि पूरे भारत में किसानों की आवाज उठाने व बुलंद करने वाला यह देश का एकमात्र गैर राजनीतिक संगठन है।

सिरमौर के पहाड़ी इलाकों में क्यों महंगा है आलू

सब्जियों का राजा कहे जाने वाला आलू पिछले करीब पांच वर्षों की तुलना में इस समय अपने उच्चतम स्तर पर है। जिला सिरमौर के ऊपरी क्षेत्रों में आलू की नकदी फसल तैयार हो चुकी है। खेतों में आलू निकालने का दौर शुरू हो चुका है। इस वर्ष कई वर्षों के बाद आलू के दामों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है। जिला के नौहराधार, चौरास, देवामानल व लानाचेता में किसान हर वर्ष आलू की फसल का उत्पादन खेतों में बड़े पैमाने पर करते है, मगर किसानों ने इस वर्ष आलू की फसल को कम ही लगाया है, क्योंकि हर वर्ष कम दाम मिलने के चलते किसानों का आलू की फसल से मोह भंग हो चुका है। दूसरी तरह बाजार में आलू का बीज का भाव तेज होने के कारण भी किसानों ने यह फसल लगाना कम किया है। जानकारी के अनुसार जिला के इन क्षेत्रों में इस वर्ष मात्र 50 से 80 एकड़ में ही आलू की फसल को उगाया है, जबकि पहले यह आलू की फसल लगभग 150 से 200 एकड़ जमीन में आलू का उत्पादन हुआ करता था। इस समय मंडियों में आलू का भाव 20 से 25 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है।

रिपोर्टःनिजी संवाददाता,नौहराधार

40 डिग्री तपने वाले नालागढ़ में 100 पौधों का सेब बागीचा तैयार

कई मिथकों को तोड़ते हुए अब सेब की फसल गर्म इलाकों में भी तैयार होने लगी है। ताजा उदाहरण नालागढ़ से सामने आया है। नालागढ़ में प्रगतिशील बागबान  गोपाल शर्मा ने सेब के 100 पौधों का बागीचा तैयार कर हर किसी को दंग कर दिया है। गौर रहे कि नालागढ़ बेहद गर्म इलाकों में गिना जाता है,जहां का तापमान गर्मियों के दौरान 40 से 45 डिग्री तक रहता है। गोपाल नालागढ़ उपमंडल के तहत रामशहर के समीप घाट गांव के रहने वाले हैं। इस सीजन में वह अभी तक पांच पेटी सेब तोड़ चुके हैं। उन्होंने पांच साल में यह बागीचा तैयार किया है।

रिपोर्टः कार्यालय संवाददाता, नालागढ़

यूरिया को अभी इंतजार 13 तक आएगी सप्लाई

मंडी जिला समेत समूचे प्रदेश के लाखों किसानों को यूरिया खाद हासिल करने हेतु अभी सोमवार तक और इंतजार करना पड़ेगा। कंपनी से खरीदने और सहकारी सभाओं व निजी डिपो होल्डरों को खाद मुहैया करने का दायित्व उठाए हिमफैड के अधिकारियों ने भी अब इस मामले को लेकर अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। हिमफैड के मंडी स्थित एरिया मैनेजर कृष्ण कुमार भारद्वाज का कहना है कि नए एग्रीमेंट के आधार पर अब नंगल की एक कंपनी हिमाचल प्रदेश को यूरिया खाद मुहैया करवाएगी, लेकिन कोविड-19 के चलते संबंधित कंपनी के पास चल रहे मजदूरों के अभाव से खाद व अन्य सामग्री सप्लाई करने में दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा कि कंपनी ने हिमफैड के अधिकारियों को (13 जुलाई) तक यूरिया खाद उपलब्ध करवाने का भरोसा दिया है।

रिपोर्टः कार्यालय संवाददाता, गोहर

मंडी में आम के पांच नए कलेक्शन सेंटर

प्रदेश सरकार व बागवानी विभाग ने मंडी मध्यस्थता योजना के तहत मंडी जिला में आम की फसल के लिए प्रापण केंद्र (कलेक्शन सेंटर) की संख्या बढ़ा दी है। विभाग ने बागबानों के हित के लिए जिला में पांच नए कलेक्शन सेंटर खोल दिए हैं। इसके चलते मंडी जिला में कलेक्शन सेंटर की संख्या आठ हो गई है। इससे अब बागवानों को अपने उत्पाद को घर-द्वार के समीप के सेंटर में बेच सकेगा। बागवानी विभाग के केंद्रों से एचपीएमसी और हिमफेड फलों की खरीददारी निर्धारित दाम पर करेगा। इसमें बागवान आचारी आम, पक्के आम सेल कर सकते हैं।  विभाग के कलेक्शन सेंटर में आम के फलों का संग्रह 31 अगस्त तक किया जाएगा।

रिपोर्टः कार्यालय संवाददाता, मंडी

ये हैं नए केंद्र

मंडी जिला में बागवानी विभाग के आम की फसल के लिए तीन कलेक्शन सेंटर-मंडी, जड़ोल और सरकाघाट है,जबकि अब नए पांच कलेक्शन सेंटर खोले गए हैं। इसमें धर्मपुर, मढ़ी, रखोह, चोलथरा और सज्याओपिपलू शामिल है। इनमें बागवान 31 अगस्त तक आम की फसल को सेल कर सकते है।

मजदूरों का इंतजाम नहीं कर पाई जयराम सरकार, किन्नौर में कहीं बैठ न जाए बागबानों का भट्ठा

किन्नौर जिला में सेब और मटर की फसल पूरी तरह तैयार हो चुकी है। किसान-बागबानों को इस बार अच्छी कमाई की उम्मीद है,लेकिन उन्हें मजदूर नहीं मिल पा रहे। ज्यादातर नेपाली इस पर अपने देश से नहीं आए हैं। ऐसे में फसल के तुड़ान के साथ साथ इसे मंडियों तक ले जाने का संकट खड़ा हो गया है। यही हाल रहा,तो जिला में करोड़ों की आर्थिकी का भट्ठा बैठ जाएगा। दूसरी ओर इस मसले पर विपक्षी दल कांग्रेस ने जयराम सरकार को आड़े हाथ लिया है।  कांग्रेस सचिव सत्यजीत नेगी ने का कहना है कि मजदूरों का इंतजाम करने में भाजपा सरकार फेल रही है। भाजपा की सरकारें खेती और बागबानी का बेड़ा गरक करने पर उतारू हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा को अपनी किसान विरोधी नीतियों के लिए शर्म आनी चाहिए।

रिपोर्ट : दिव्य हिमाचल ब्यूरो, रिकांगपिओ

सेब सीजन के लिए सभी तैयारियां पूरी करे सरकार

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रदेश सरकार की अभी तक सेब व अन्य फलों के सीजन को लेकर की गई आधी अधूरी तैयारियों को लेकर  चिंता व्यक्त की है। पार्टी ने  मांग उठाई  है कि सेब व अन्य फलों के सीजन को देखते हुए इसकी तैयारियों के लिए समय रहते उचित कदम उठाए जाएं, ताकि आने वाले दिनों में बागवानों को मजदूरों, पैकेजिंग सामग्री, मालवाहक वाहनों  की कमी से न जूझना पड़े। राज्य में सेब व अन्य फलों का सीजन आर भ हो गया है और आगामी 10 से 15 दिनों में निचली व मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यह पूरा जोर पकड़ लेगा। पार्टी के राज्य सचिवमडल सदस्य संजय चौहान ने कहा है कि समय रहते सरकार ने कदम नहीं उठाए,तो बागबानी बर्बाद हो जाएगी।

रिपोर्ट : कार्यालय संवाददाता, शिमला

सेब में स्कैब, पतझड़ रोग के लिए ये करें

मानसून के आने से वातावरण में नमी की अधिकता हो जाती है जिसके उपरांत पौधों में रोगों का प्रकोप भी दिखाई देने लगता है। सेब में स्कैब की समस्या जो लगभग समाप्त समझी जा रही थी। पछले वर्ष से हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में इसका प्रकोप दिखाई दिया है। इस वर्ष स्कैब रोग की समस्या प्रदेश के कुल्लू, मंडी और शिमला के कुछ क्षेत्रों में आ रही है। इसलिए समय रहते रोग की बढ़वार को रोकने के लिए उपाय करना आवश्यक है। डा. वाईएस परमार औद्योनिकी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी ने सेब बागवानों को इन रोगों के प्रबंधन के लिए सलाह दी है। सेब के स्कैब रोग, असामयिक पतझड़ व अल्टरनेरिया धब्बा रोग को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए, निम्नलिखित सिफारिशें का पालन किया जाना चाहिए। प्रोपीनेब के स्प्रे  0.3 प्रतिशत (600 ग्राम / 200 लीटर पानी) या डोडिन 0.075प्रतिशत (150 ग्राम / 200 लीटर पानी) या मेटिरम 55 प्रतिशत+ पाइरक्लोस्ट्रोबिन 5प्रतिशत डब्ल्यूजी 0.150प्रतिशत (300 ग्राम /200 लीटर पानी) या टेबुकोनाज़ोल 8प्रतिशत + कप्तान 32 प्रतिशत एसजी/ 200 लीटर पानी)  ऐप्पल स्कैब के प्रबंधन के लिए सिफारिश की जाती है। मेटिरम 55प्रतिशत + पाइरक्लोस्ट्रॉबिन 5 प्रतिशत डब्ल्यूजी 0.150 प्रतिशत (300 ग्राम / 200 लीटर पानी) या फलक्सापाइरोकसाड + पाइरक्लोस्ट्रोबिन 500 एसजी 0.01 प्रतिशत (20एमएल / 200लीटर)  का असामयिक पतझड़ व अल्टरनेरिया धब्बा रोग के प्रबंधन के लिए अनुशंसित हैं।

रिपोर्टः निजी संवाददाता-नौणी

बरसात ने पकड़ा जोर, धान में आई नई जान, टमाटर को भी मिली संजीवनी

बरसात ने हिमाचल में अब जोर पकड़ लिया है। शुरू में बारिशें धीमी हो रही थीं, जिससे धान समेत बरसात में होने वाली नकदी फसलें मुरझाने को थीं, लेकिन अब आसमान से गिरती राहत की फुहारों ने धान में नई जान डाल दी है, वहीं टमाटर को भी यह टॉनिक का काम कर रही है। इस तरह लौकी, कद्दू, भिंडी, मिर्च व बैंगन की भी अच्छी पैदावार होने की आस बंध गई है। किसानों का कहना है कि बारिशें टाइम पर होती रहीं,तो फ्रांसबीन की फसल भी बेहतर होगी।

रिपोर्टः स्टाफ रिपोर्टर, कंडाघाट

टमाटर के तीन सौ क्रेट लेकर चलता बना राजस्थान का शातिर, बल्ह कठयाल में ठगी, चार धरे

बल्ह के कठयाल गांव से राजस्थान का शातिर टमाटर के 300 क्रेट लेकर चंपत हो गया है। इस हैरानी भरे मामले को लेकर किसान सभा अब मुखर हो गई है। किसान सभा ने  नायब तहसीलदार के जरिए  डीसी मंडी और बल्ह के एसडीएम को  ज्ञापन भेजा है। किसान सभा के अध्यक्ष परस राम ने बताया कि दो जुलाई को आरोपी  व्यापारी ने कठयाल गांव के रोहित से टमाटर के तीन सौ क्रेट खरीदे और जब रोहित पेमेंट लेने के लिए टमाटर के व्यापारी के पास होटल मे पहुंचा तो वह वहां से निकल चुका था। टमाटर की इस खेप की कीमत अढ़ाई लाख है। बार बार फोन करने के बाद हब आरोपी कारोबारी  पैसे लेने के लिए राजस्थान बुला रहा है। बहरहाल बल्ह थाना में भी शिकायत की गई है। उधर, पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को धर लिया है।

रिपोर्टः कार्यालय संवाददाता, नेरचौक

टमाटर ने चमकाए किसानों के चेहरे

धीरा— गर्मियों के दौरान हुई बेमौसमी बरसात ने यूं तो किसानों की बर्बाद होती फसल को लेकर नींद उड़ा दी थी, परंतु पन्नापर और कुरल मैं टमाटर की बंपर पैदावार ने क्षेत्र के टमाटर उत्पादक किसानों को उत्साहित कर दिया है और बंपर पर और टमाटर की बंपर पैदावार से  किसानों में खुशी की लहर देखी जा रही है। टमाटर की अच्छी पैदावार से किसानों को अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होने की उम्मीद है उम्मीद है। क्षेत्र के युवा एवं शिक्षित संदीप कुमार से जब बात की गई तो उन्होंने भी खुशी जताई।

चैकडैम बनाया पानी उठाया… और लहलहा उठी सब्जियां

कृषि विभाग की योजनाएं किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं। इन योजनाओं का फायदा लेकर किसान एक तरफ अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ कर रहे हैं। वहीं आसपास सहित कई क्षेत्रों में लोगों को ताजी व हरी सब्जियां सस्ते रेटों पर उपलब्ध करवा रहे हैं। ऐसा ही कर दिखाया है सपड़ोह पंचायत के लोहारड़ा गांव के पठानिया परिवार ने।  रघुनाथ पठानिया, जगरूप पठानिया, राकेश पठानिया, निर्मल पठानिया व संजीव पठानिया ने बताया कि कृषि विभाग के अधिकारियों के मार्ग दर्शन में उन्होंने वर्ष 2018-19 में कृषि विभाग की जल से कृषि को बल योजना के तहत करीब पांच लाख रुपए की लागत से चैक डैम का निर्माण करवाया और वाटर लिफ्टिंग के तहत सब्जियां लगाने का कार्य शुरू किया। उसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि योजना के तहत 2019-20 में करीब चार लाख रुपए की लागत से टैंक का निर्माण करवाया और करीब 80 कनाल भूमि पर में सब्जियों का उत्पादन शुरू किया, जिसमें टमाटर, कद्दू, घिया, बैंगन, तरबूज, भिंडी, तोरी, पंडोल व खीरा लगाए गए। अब इस योजना के सुखद परिणाम सामने आए हैं।

रिपोर्टः कार्यालय संवाददाता हमीरपुर

सीधे खेत से

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