भविष्य में प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली

By: Jul 15th, 2020 12:06 am

image description

सुनील वासुदेवा

लेखक शिमला से हैं

पुलिस व जनता में कुछ मामलों में कुछ गतिरोध पिछले समय में सामने आया है, इस दूरी को कम करने के लिए प्रयास करने की जरूरत पर बल दिया गया। पहले से प्रदेश में चल रही पुलिस की सामुदायिक योजनाओं को जनता के सहयोग से और प्रभावी तथा मजबूती प्रदान करने, प्रदेश में कानून के शासन को पूरा महत्त्व देने तथा इसके सख्ती से पालन करवाने, प्रदेश के गांवों में बीट प्रणाली लागू करने, प्रदेश पुलिस में महिला अधिकारियों की संख्या में बढ़ोतरी करने जैसे महत्त्वपूर्ण मसलों पर चर्चा की गई…

प्रदेश में पुलिस की भविष्य में भूमिका को लेकर हाल ही में शिमला में प्रदेश पुलिस से सेवानिवृत्त हुए आला अफसरों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया। पिछले दिनों प्रदेश में नए पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने पुलिस की कमान संभाली है। इस सम्मेलन को आयोजित करने के पीछे पुलिस प्रमुख की यह मंशा व सोच है कि प्रदेश में पिछले वर्षों में कार्य कर चुके सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशकों से प्रदेश की पुलिस कार्यप्रणाली के बारे में उनके अनुभव तथा उनसे गहन विचार-विमर्श करके भविष्य में किस प्रकार से प्रदेश पुलिस बल की कार्यप्रणाली में और कार्य करके सुधार लाया जा सकता है। प्रदेश पुलिस के इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी वर्तमान पुलिस प्रमुख ने सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशकों को निमंत्रित करके उनके अनुभवों को ध्यान में रखकर पुलिस बल की कार्यप्रणाली में और सुधार करने की इच्छा शक्ति दिखाई है। निःसंदेह पुलिस महानिदेशक का यह प्रयास भविष्य में पुलिस की प्रदेश में भूमिका तय करने में मददगार होगा। इस सम्मेलन में सेवानिवृत्त डीजीपी आरआर वर्मा, टीआर महाजन, अमरीक सिंह, आईडी भंडारी, एसआर मरड़ी ने भाग लिया, जबकि सीबीआई के पूर्व निदेशक अश्वनी कुमार, एके पुरी, कमल कुमार, अजीत नारायण व संजय कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपने-अपने सुझाव व विचार साझा किए।

पुलिस के सेवानिवृत्त आला अफसरों ने प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली व भविष्य में पुलिस की प्रदेश में भूमिका पर अपने सुझाव दिए। इस सम्मेलन में पुलिस के द्वारा पंजीकृत मुकदमों की जांच पर कई महत्त्वपूर्ण सुझाव सामने आए। इन सुझावों में बताया गया कि पुलिस को अब आधुनिक तकनीक तथा वैज्ञानिक तरीकों से मुकदमों में जांच करनी चाहिए ताकि अन्वेषण को और कारगर बनाया जा सके। इस सम्मेलन में पुलिस अन्वेषण के विषय में एक बहुत महत्त्वपूर्ण पहलू पर भी गौर किया गया। अधिकतर पुलिस के मुकदमे तकनीकी कारणों से न्यायालयों में टिक नहीं पाते तथा अपराधी आसानी से न्यायालय से बरी हो जाते हैं जिसका मुख्य कारण है कि जांच एजेंसियों और न्यायालय में फौजदारी मुकदमों की पैरवी करने वाले अभियोजन विभाग के अधिकारियों में पूरा समन्वय नहीं होता। इस सम्मेलन में जांच एजेंसियों और प्रदेश अभियोजन में और अधिक तालमेल व समन्वय स्थापित करने पर बल दिया गया ताकि इसमें अच्छे परिणाम सामने आ सकें। प्रदेश में अगर पुलिस व अभियोजन में आपसी तालमेल रहेगा तो सजा की प्रतिशतता भी बढ़ सकती है। इसके अलावा प्रदेश में आम जनता तथा पुलिस के मध्य आपसी सहयोग व समन्वय बढ़ाने के सुझाव भी दिए गए।

पुलिस व जनता में कुछ मामलों में कुछ गतिरोध पिछले समय में सामने आया है, इस दूरी को कम करने के लिए प्रयास करने की जरूरत पर बल दिया गया। पहले से प्रदेश में चल रही पुलिस की सामुदायिक योजनाओं को जनता के सहयोग से और प्रभावी तथा मजबूती प्रदान करने, प्रदेश में कानून के शासन को पूरा महत्त्व देने तथा इसके सख्ती से पालन करवाने, प्रदेश के गांवों में बीट प्रणाली लागू करने, प्रदेश पुलिस में महिला अधिकारियों की संख्या में बढ़ोतरी करने, प्रदेश में हर जिला में आपातकालीन समर्थन प्रणाली, प्रदेश पुलिस में भ्रष्टाचार उन्मूलन, सोशल मीडिया के माध्यम से पुलिस कार्यप्रणाली को और प्रभावी तरीके से लागू करने जैसे महत्त्वपूर्ण मसलों पर चर्चा की गई। प्रदेश पुलिस महानिदेशक का यह सार्थक प्रयास प्रदेश में पुलिस व्यवस्था तथा कार्यप्रणाली में भविष्य में कारगर सिद्ध हो सकता है। वहीं संजय कुंडू मुख्यमंत्री कार्यालय में भी कार्य कर चुके हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ उनका समन्वय है, जिसका लाभ उन्हें भविष्य में प्रदेश पुलिस बल में कई महत्त्वपूर्ण सुधार करने में सहायक हो सकता है। यह उचित समय है जब प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली में उचित सुधार करके उसे प्रभावी बनाया जा सकता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App