मुझे इस देश में मास्क लगाकर आना पड़ा

By: Jul 5th, 2020 12:04 am

 व्यंग्य

मृदुला श्रीवास्तव, मो.-9418539595

अब तक आपने पढ़ा: कोरोना शमशानी भारत में घुस आए हैं। फटीचर टाइम्स के संपादक उनसे जानना चाहते हैं कि वह किस उद्देश्य से आए हैं और कब तक वापस जाएंगे। कोरोना शमशानी बताते हैं कि वह भारतीयों को नैतिक सबक सिखाने आए हैं। उनका कहना है कि भारतीयों ने नैतिकता को तिलांजलि दे दी है और प्रकृति का क्षरण कर रहे हैं। अब उससे आगे की कहानी पढ़ेंः

-गतांक से आगे…

‘हे वत्स, मैं आत्मा हूं। मैं न मरता हूं और न किसी को मारता हूं।  मैं तो अदना सा वायरस हूं, पर करम जलो तुम कौन से किसी वायरस से कम हो। तुम्हारी वजह से 16 मजदूर रेल की पटरी पर कट गए। मैंने कहा था क्या उन्हें वहां लेटने को। क्या एक को भी कोरोना था उनमें से? नहीं न? तो मेरा दोष कैसे हुआ। हे पार्थ! अपनी व्यवस्था और निर्णयों को दोष दो। हालांकि यह भी सच है कि मानव के हाथों एक दिन मुझे हारना ही है। मरना ही है क्योंकि सत्य की सदा जीत होती है। मैं जानता हूं सत्य मेरे पक्ष में नहीं है। मुझे खुशी है कि तुम सब मिलकर एक दिन मेरा और मेरी पत्नी कोविदाबानो का तर्पण इधरिच कर दोगे। पर सुनो वत्स! तुम जानते ही हो जब-जब इस धरती पर मानव धर्म की हानि होती है, तब-तब कोई न कोई महामारी संकट के रूप में इस धरती पर पैदा होती है। तुमने पेड़ काटे, ओजोन लेयर में छेद किया। नदी-नाले खाली कर दिए। प्रकृति को बर्बाद कर दिया। मात्र दो छुट्टी करने पर अपनी मेड के पैसे काटे। मजदूरों को उनके ही शहर में रोजगार नहीं दिया, तब तो मुझे आना ही था। सामाजिक और प्राकृतिक असंतुलन से ही ऐसी महामारियां जन्म लेती हैं। इसलिए दोष मुझे नहीं, अपने कर्मों को दो पार्थ! पर एक बात जरूर है। तुम्हारे यहां की एक लड़की ने गुरुग्राम से 1000 किलोमीटर तक साइकिल चलाकर अपने पिता को दरभंगा पहुंचा दिया। भई ये तो तुम भारतीयों की ही हिम्मत है। इसे सुनकर तो मेरे पैर भी कांपने लगे हैं। मुझे जाना ही पड़ेगा। …पर अभी नहीं। तो ये था जनाब मेरा स्टेटस।…हैलो हैलो।’ भटनागर जी आप कुछ बोलते क्यों नहीं? ‘अरे ये क्या मेरे तो मोबाइल की बैटरी ही कब की खत्म हो गई थी। और मैं बंद फोन पर ही बोलता रहा। चलो फोन रखता हूं, नीचे जाकर घूम आऊं। देखूं कितने लोगों ने मास्क लगाया हुआ है और कौन-कौन अपने हाथ साबुन-सेनेटाइजर से धो रहा है। जिस घर में ये सब हो रहा होगा, उस घर को छोड़ कर ही मुझे आगे बढ़ना पड़ेगा। पर पहले अपनी श्रीमती जी के लिए पोहा तो बना दूं। सोचते हुए कोरोना शमशानी कोविदाबानो के लिए पोहा बनाने रसोई की ओर बढ़ गए। उधर बालेंदु भटनागर जी की सांस घुट रही थी, वह समझ गए कि उन्हें कोरोना हो गया है। खबर गई भाड़ में। पहले 14 दिन का खुद का क्वारनटाइन करो। राइटअप छपता रहेगा। सोचते हुए वह पलंग पर लुढ़क गए। लॉकडाउन अभी भी अपने चरम पर था।

-समाप्त


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App