मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना का औचित्य

By: Jul 20th, 2020 12:06 am

image description

कर्म सिंह ठाकुर

लेखक सुंदरनगर से हैं

हिमाचल सरकार ने प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार एवं रोजगार से जोड़ने के लिए यह योजना शुरू की है। यह योजना 18 से 45 वर्ष के उन युवाओं के लिए शुरू की है जो उद्योग, सर्विस सेक्टर, व्यापार स्थापित करना चाहते हैं। किसी भी कार्य को शुरू करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण पूंजी होती है। यदि इन युवाओं को सही मार्गदर्शन के साथ पूंजी की व्यवस्था हो जाए तो प्रदेश का युवा वर्ग नए आयाम स्थापित कर सकता है। देश के बहुत से युवाओं के पास योग्यता तो है, लेकिन पूंजी का अभाव है। ऐसे युवाओं के लिए सरकार ने इस योजना के माध्यम से सबसिडी पर लोन उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की है…

हिमाचल प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में करीब 8.34 लाख युवा रोजगार के लिए पंजीकृत हैं। हर वर्ष दो लाख युवा नौकरियां प्राप्त करने के लिए अपना पंजीकरण करवाते हैं। क्या इन युवाओं को सरकारी क्षेत्र में रोजगार मिल पाएगा? कोरोना जैसी महामारी ने जहां युवाओं का निजी क्षेत्र से भी रोजगार छीन लिया, तो क्या ऐसी परिस्थिति में हिमाचल प्रदेश सरकार इतनी बड़ी तादाद में सरकारी कार्यालयों में रजिस्टर्ड युवाओं को रोजगार दे पाएगी? इस प्रश्न का हल खोजने के लिए यदि पिछले एक दशक की सरकारों की कार्यप्रणाली पर नजर डाली जाए तो यह स्पष्ट जाहिर होता है कि प्रदेश सरकार भी युवाओं को सरकारी क्षेत्र के बजाय अपने घर-द्वार के समीप सरकारी तंत्र की सहायता से स्वरोजगार के मार्ग प्रशस्त करने के अनेक प्रयास करती दिखी है। प्रदेश सरकारों ने समय-समय पर निजी क्षेत्र के उद्योगों में भी 70 से 75 फीसदी रोजगार केवल हिमाचलियों को देने का प्रावधान किया है, लेकिन वर्तमान में तो निजी क्षेत्र में कार्यरत अनेक युवा अपने रोजगार को खोकर चारदीवारी में कैद होने को मजबूर हो गए हैं। विशेष तौर पर पर्यटन, होटल, टी स्टॉल, भोजनालय, ड्राइविंग इत्यादि व्यवसाय से जुड़े अधिकतर युवा बेरोजगारी की भयंकर मार झेल रहे हैं। ऐसे में हिमाचल प्रदेश सरकार की युवाओं के हितों को संरक्षित करने वाली मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना वरदान से कम नहीं है।

हिमाचल सरकार ने प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार एवं रोजगार से जोड़ने के लिए यह योजना शुरू की है। यह योजना 18 से 45 वर्ष के उन युवाओं के लिए शुरू की है जो उद्योग, सर्विस सेक्टर, व्यापार स्थापित करना चाहते हैं। किसी भी कार्य को शुरू करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण पूंजी होती है। यदि इन युवाओं को सही मार्गदर्शन के साथ पूंजी की व्यवस्था हो जाए तो प्रदेश का युवा वर्ग नए आयाम स्थापित कर सकता है। देश के बहुत से युवाओं के पास योग्यता तो है, लेकिन पूंजी का अभाव है। ऐसे युवाओं के लिए सरकार ने इस योजना के माध्यम से सबसिडी पर लोन उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की है। स्थानीय उद्यम को बढ़ावा देने और युवाओं को स्वरोजगार के साधन उपलब्ध करवाने की दृष्टि से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 25 मई 2018 को इस योजना की घोषणा की थी। इस योजना के तहत आरंभ में परियोजना लागत सीमा, जिसमें कार्यशील पूंजी 40 लाख रुपए थी, को वर्ष 2019-20 में बढ़ाकर 60 लाख रुपए किया गया है। चालू पूंजी निवेश में पूर्व निर्धारित सीमा के अनुसार योजना के तहत इकाइयों की स्थापना के लिए आवश्यक भवन और अन्य परिसंपत्तियां भी शामिल की गई हैं। सरकार निवेश-मशीनरी पर 25 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है, जबकि महिलाओं को 30 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है। चालू वित्त वर्ष के बजट में सरकार ने योजना के तहत 45 वर्ष तक की आयु की विधवाओं को 35 प्रतिशत अनुदान प्रदान करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत 1605 मामलों को स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसके तहत लाभार्थियों को 312 करोड़ रुपए के ऋण प्रदान किए जाएंगे। इस ऋण राशि पर 74.70 करोड़ रुपए का अनुदान प्रदान किया है। मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना और औद्योगिक निवेश नीति-2019 का लाभ उठाने के लिए सरकारी वेबसाइट पर लॉगइन करके आवेदन किया जा सकता है। आवेदन करने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है। कुछ ही दिनों में संबंधित अधिकारी आवेदनकर्ता से संपर्क साध कर उनके प्रपोजल को स्वीकृति प्रदान करके संबंधित बैंक को लेटर जारी करके आगे की प्रक्रिया के लिए प्रेषित करते हैं। उसके बाद उम्मीदवार को संबंधित बैंक में जाकर लोन अधिकारी से मुलाकात करके आगे का डॉक्यूमेंटेशन वर्क करना होता है। लेकिन बहुत से युवाओं को बैंकों की जटिल लोन की प्रक्रिया से गुजरने में अनेक समस्याओं का समाधान करना पड़ता है। बहुत से केस विभाग द्वारा स्वीकृत कर दिए जाते हैं, लेकिन बैंकों द्वारा युवाओं को अनेक चक्कर लगवाए जाते हैं। बैंक अधिकारियों की अक्कड़बाजी, फालतू कागजों की फॉर्मेलिटीज तथा लीगली बाइंडिंग युवाओं को इस योजना के लाभ से वंचित करती है। संबंधित विभाग के अधिकारियों को रिव्यू मीटिंग में बैंकों की इस त्रुटि को दूर करने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई महीने में ही 121 हिमाचलियों ने आत्महत्या की है। ज्यादातर मामलों में आत्महत्या करने वाले युवा ही थे। ऐसे परिप्रेक्ष्य में युवाओं को सचेत करने की जरूरत है। युवाओं के मार्गदर्शन तथा स्वरोजगार के नवीन साधनों के सृजन में सरकारी सहायता से संबंधित जानकारियों को पंचायत स्तर पर विभिन्न तरह के कैंपों के माध्यम से प्रेषित करना होगा। इससे युवाओं को स्वरोजगार चलाने में मदद मिल सकेगी।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App