प्रौद्योगिकी में साइबर क्राइम एक चुनौती: रविंद्र कुमार शर्मा, लेखक घुमारवीं से हैं

By: Jul 29th, 2020 12:06 am

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रविंद्र कुमार शर्मा

लेखक घुमारवीं से हैं

अपने पासवर्ड को नियमित अंतराल के बाद बदलते रहें। आवश्यकता से ज्यादा जानकारी किसी को न दें। सार्वजनिक कम्प्यूटर से ऑनलाइन बैंकिंग न करें। अपना निजी डाटा सुरक्षित रखें। काम करते समय यदि अचानक जाना पड़े तो अपने कम्प्यूटर से लॉगआउट अवश्य करें। साधारण जनता को जो इसका शिकार बनते हैं, उन्हें साइबर अपराध के बारे में जागरूक करना। इसलिए साइबर अपराधों के प्रति सबको अवगत करवाना पड़ेगा ताकि इस उभरते हुए रोग को रोका जा सके। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को कम्प्यूटर व इंटरनेट के इस्तेमाल के प्रति जागरूक करें तथा उन्हें सही व गलत में फर्क समझाएं और उनके इंटरनेट व्यवहार पर नियंत्रण लाएं…

दुनिया के हर क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का प्रयोग आज बहुत बढ़ गया है। अधिकतर लोगों के पास स्मार्ट फोन हैं, लेकिन प्रौद्योगिकी की जानकारी सबको नहीं है। नतीजा यह होता है कि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने वाले अपनी अज्ञानता के कारण अकसर परेशानी में पड़ जाते हैं। आजकल के जमाने में साइबर अपराध एक उभरता हुआ क्रियाकलाप बन गया है। इससे किसी एक को नहीं, अपितु किसी न किसी रूप में पूरे राष्ट्र की प्रगति में बाधा उत्पन्न होती है। सबसे पहले हमें यह जानने की आवश्यकता है कि आखिर साइबर अपराध है क्या? साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जिसमें कम्प्यूटर और नेटवर्क शामिल होते हैं। इन दोनों के माध्यम से किया गया कोई भी अपराध साइबर अपराध की श्रेणी में आता है! किसी की व्यक्तिगत जानकारी हासिल करना तथा उसका गलत इस्तेमाल करना भी एक तरह का साइबर अपराध है। हमारी दैनिक कार्यप्रणाली में साइबर स्पेस का दायरा बढ़ता जा रहा है। सरकारें, प्रशासन, शिक्षा, संचार, बैंकिंग, रेलवे, एयरलाइंस, स्टॉक मार्केट, हास्पिटल आदि के अलावा जनजीवन से जुड़ी लगभग सभी सेवाएं कम्प्यूटर नेटवर्क के साथ जुड़ी हैं और यह सभी सेवाएं पूरी तरह से इंटरनेट पर निर्भर होती हैं। यदि इनके नेटवर्क के साथ थोड़ी सी भी छेड़छाड़ हो जाए तो इसका परिणाम अत्यंत भयावह हो सकता है। अब तो आतंकवादी समूह भी साइबर तकनीक का इस्तेमाल कर अपने अलग-अलग गुटों से समन्वय स्थापित करने व पैसे के प्रबंधन के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।

अतः यह कहा जा सकता है कि जितनी उपयोगी प्रौद्योगिकी आदमी के लिए है, उसके गलत इस्तेमाल पर यह उससे भी ज्यादा घातक हो सकती है। देश की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मिसाइलों को भी नेटवर्क के साथ जोड़ा जाता है। यदि कोई इसका गलत इस्तेमाल करे तो परिणाम बहुत भयानक साबित हो सकते हैं। आमतौर पर साइबर अपराध दो तरह के होते हैं। कम्प्यूटर अपराध और दूसरे साइबर अपराध। कम्प्यूटर अपराधों में किसी की व्यक्तिगत जानकारी चोरी करना, किसी की जानकारी दूसरे को देना, जानकारी मिटाना ताकि उपयोगकर्ता को नुकसान हो, कम्प्यूटर के पुर्जों को चोरी करना और नष्ट करना व जानकारी में फेरबदल करना शामिल हैं, जबकि साइबर अपराध में स्पेम ई-मेल, साफ्टवेयर पिरेसी, हेकिंग, फर्जी बैंक कॉल, फिशिंग, सोशल नेटवर्क साइटों पर अफवाह फैलाना, वायरस डालना व साइबर बुलिंग शामिल हैं। अब अगर हम विस्तार से बात करें तो स्पेम ई-मेल कुछ ऐसे ई-मेल हैं जिनसे कम्प्यूटर को नुकसान पहुंचता है। ऐसे ई-मेल ज्यादातर अनजान स्रोत से आते हैं जिनको नहीं खोलना चाहिए। हैकिंग यानी किसी की गोपनीय निजी जानकारी के स्रोत पर नियंत्रण करना। जैसे उपयोगकर्ता का नाम या पासवर्ड और फिर उसमें बदलाव कर देना।

फिशिंग यानी किसी के पास स्पेम ई-मेल भेजना ताकि वह अपनी निजी जानकारी दे और उस जानकारी से उसका नुकसान हो सके। यह ई-मेल आमतौर पर बहुत आकर्षक होते हैं तथा कोई भी व्यक्ति इनके झांसे में आ जाता है। वायरस फैलाना यानी अपराधी आपके कम्प्यूटर पर ई-मेल के माध्यम से या नेटवर्क के माध्यम से वायरस भेजते हैं जिससे कम्प्यूटर में सेव किए गए डाटा को नुकसान पहुंचता है। साइबर पिरेसी यानी इसमें साफ्टवेयर की नकल तैयार कर सस्ते दामों में बेचना भी शामिल है। इसी तरह अन्य अपराध भी हैं। साइबर अपराध से बचने के कुछ साधारण उपाय हैं ः हमेशा अपने कम्प्यूटर में एंटीवायरस का प्रयोग करें। अपनी आईडी और पासवर्ड को कम्प्यूटर में सेव न करें। किसी अनजान व्यक्ति द्वारा दिया गया ई-मेल न खोलें। अपने एटीएम कार्ड का नंबर व पिन नंबर या पासवर्ड किसी से भी सांझा न करें। आजकल फर्जी कॉल के माध्यम से एटीएम की जानकारी मांगी जाती है। ऐसे में अपने खाते से व एटीएम से संबंधित कोई जानकारी किसी को न दें। किसी अनजान लिंक पर क्लिक न करें, क्योंकि यह भयानक और आत्मघाती हो सकता है। सोशल साइट का इस्तेमाल करने के बाद लॉगआउट अवश्य करें। व्यक्तिगत जानकारी मांगने वालों से सावधान रहें। खास तौर पर बैंकों के डेबिट या क्रेडिट कार्ड से संबंधित जानकारी न दें। अपने पासवर्ड को नियमित अंतराल के बाद बदलते रहें। आवश्यकता से ज्यादा जानकारी किसी को न दें।

सार्वजनिक कम्प्यूटर से ऑनलाइन बैंकिंग न करें। अपना निजी डाटा सुरक्षित रखें। काम करते समय यदि अचानक जाना पड़े तो अपने कम्प्यूटर से लॉगआउट अवश्य करें। साधारण जनता को जो इसका शिकार बनते हैं, उन्हें साइबर अपराध के बारे में जागरूक करना। इसलिए साइबर अपराधों के प्रति सबको अवगत करवाना पड़ेगा ताकि इस उभरते हुए रोग को रोका जा सके। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को कम्प्यूटर व इंटरनेट के इस्तेमाल के प्रति जागरूक करें तथा उन्हें सही व गलत में फर्क समझाएं और उनके इंटरनेट व्यवहार पर नियंत्रण लाएं। स्कूल व कॉलेजों में साइबर अपराध सुरक्षा जैसे गंभीर विषयों पर जागरूकता फैलाएं। प्रौद्योगिकी प्रयोगकर्ता को साइबर अपराध के संपर्क में आने वाले जोखिमों की जानकारी अनिवार्य रूप से होनी चाहिए और होने वाले हमले के प्रभाव को कम करने के लिए सर्वोत्तम अभ्यास की भी आवश्यकता है। इसकी रोकथाम के लिए जनता को जागरूक एवं सतर्क रहना पड़ेगा तथा प्रभावी रूप से इसका सामना करना पड़ेगा।


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