‘सांसों की सरकार’

By: Jul 5th, 2020 12:05 am

पुस्तक समीक्षा

व्यंग्य की धारा में बहती

सिरमौर जिला से संबद्ध हिमाचल के प्रसिद्ध लेखक दीनदयाल वर्मा का व्यंग्य संग्रह ‘सांसों की सरकार’ साहित्यिक बाजार में आ चुका है। साहित्यकार दीनदयाल वर्मा कहानी, कविता, नाटक, संस्मरण यानी सभी विधाओं में लिखते रहे हैं। उनकी रचनाएं हमेशा पाठकों को आनंदित करती हैं। कहते हैं जहां तर्क हथियार डाल देते हैं, वहां व्यंग्य बखूबी अपना काम कर जाता है। इस सच्चाई को मद्देनजर रखते हुए दीनदयाल वर्मा ने अपने व्यंग्य संग्रह की रचना की है। यह व्यंग्य संग्रह सामाजिक सरोकारों को समेटे है तथा अनेक गंभीर विषयों पर चुटीले अंदाज में टिप्पणी करता है। दैनिक जीवन के औसत अनुभवों से किस प्रकार हास्य की सर्जना हो सकती है, यह इस संकलन को पढ़कर समझा जा सकता है। लेखक के व्यंग्य में कहीं भी व्यवस्था की खिल्ली नहीं उड़ाई गई है, बल्कि लाभ और लोभ का एजेंडा लेकर चलने वालों की मनोवृत्ति का सूक्ष्म अंकन किया गया है। मोटे लोग, आपके आ जाने से, रॉयल एजेंसी जिंदाबाद, जाना एक कवि गोष्ठी में, आओ राजधानी बनाएं, जी हां, मेरा नगर महान, लिखवाएं चुनावी भाषण, सांसों की सरकार, आओ पुरस्कार लौटाएं, किस्सा प्रमोशन तथा कागज का कमाल जैसे व्यंग्य सामाजिक सरोकार रखते हैं। 83 पृष्ठों में 12 व्यंग्य इस संग्रह में समेटे गए हैं। रश्मि प्रकाशन, नाहन से प्रकाशित इस व्यंग्य संग्रह का मूल्य 420 रुपए रखा गया है। पाठकों को अंत तक बांधे रखने में यह संग्रह सफल साबित हुआ है। आशा है पाठकों को यह संग्रह पसंद आएगा।


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