समझिए कैसे होता है शेयर बाजार का कामकाज-3

By: Jul 13th, 2020 12:04 am

अब तक हमने शेयर बाजार, उसके विभिन्न प्रतिभागी, प्राथमिक व द्वितीयक बाजार व इसके कारोबार के विषय में जाना है। आज बड़ी संस्थाओं के साथ छोटे निवेशक एवं व्यापारी शेयर बाजार में पूंजी लगाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। शेयर बाजार के माध्यम से भारत ही नहीं, अपितु विश्व भर में प्रति दिन करोड़ों-अरबों का लेन देन होता है।

लेखक : करुणेश देव

आइए जानते हैं शेयर बाजार में शेयरों की कीमत में उतार-चढ़ाव के प्रमुख कारण क्या हैं…

शेयर बाजार में एक प्रमुख और निर्णायक कारक मांग और आपूर्ति है। शेयर बाजार एक नियमित बाजार के समान है और किसी भी अन्य बाजार के सामान उसमें बेचे जा रहे उत्पादों की कीमत, उस उत्पाद की मांग और आपूर्ति से निर्धारित होती है। उदाहरण के लिए ग्रीष्मकाल में एसी की मांग अधिक हो जाती है। यदि सीमित उपलब्धता के कारण मांग आपूर्ति से अधिक बढ़ती है, तो कीमत बढ़ जाएगी। इसी प्रकार, सर्दियों के दौरान एसी की मांग न के बराबर होगी और हीटर या गीजर के लिए अधिक होगी। शेयर बाजार में भी मांग में वृद्धि मूल्य निर्धारित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। यदि किसी कारण से एक विशेष कंपनी के शेयर की मांग बढ़ जाती है, तो शेयर की कीमत बढ़ने लगती है, क्योंकि हर बिक्री अधिक बोली लगाने वालों को आकर्षित करती है। इससे शेयर खरीदने के लिए अधिक ऊंची बोली लगाना अनिवार्य हो जाता है। इससे शेयर की कीमत में वृद्धि होती है। वहीं, यदि किसी शेयर की मांग में गिरावट है, तो कम बोली लगाने वाले उसके मूल्य को कम करने के लिए आकर्षित होंगे। निवेश के दृष्टिकोण से आपको यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि मांग शेयर के मूल्य का प्राथमिक चालक है। जब मांग आपूर्ति से अधिक हो जाती है, तो कीमतें बढ़ जाती हैं और मांग कम और आपूर्ति अधिक तो कीमतें घटने लगती हैं। निवेशकों की किसी विशेष कंपनी में रुचि या बाजार की भावना मांग को बढ़ाने का कार्य करती है। इसलिए यह समझना आवश्यक है कि स्टॉक की कीमतें कैसे बदलती हैं।

  1. वैश्विक, भौगोलिक एवं घरेलू कारक : कुछ कंपनियां घरेलू मांग पर अधिक निर्भर हैं, जबकि अन्य वैश्विक मांग पर निर्भर हैं। कुछ सामानों के आयात पर आधारित हैं, जबकि अन्य निर्यात पर और इसलिए आर्थिक या आंतरिक रूप से परिदृश्य में किसी भी बदलाव का कंपनी पर असर के अनुसार ही उसके शेयर की कीमतों पर भी प्रभाव पड़ेगा। जैसा कि हमने देखा है कि किस प्रकार कोरोना वायरस के कारण कुछ व्यापार अत्यधिक प्रभावित होकर बंद होने के कगार पर आ गए हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ व्यापारों में बहुत मुनाफा हो रहा है। इन सब कारकों की परवाह किए बिना कोई कंपनी कैसे प्रदर्शन करती है, ये उसके निवेश में बढ़ोतरी या कमी का प्रमुख कारक बन सकती है।
  2. मुद्रास्फीति : मुद्रास्फीति व्यक्ति की व्यय शक्ति का सूचक है। मुद्रास्फीति का अर्थ है बढ़ती हुई मूल्य व्यवस्था या ऐसी अर्थव्यवस्था जहां वस्तुओं/सेवाओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी आय उनके जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए अपेक्षाकृत बढ़ती रहे। मुद्रास्फीति की दर में अचानक वृद्धि शेयर बाजारों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है, क्योंकि यह निवेशकों की खर्च करने की शक्ति को कम करता है।
  3. कंपनी अथवा उद्योग की विशेषताओं से संबंधितः कोई भी सकारात्मक या नकारात्मक कंपनी या उद्योग संबंधी कारक इसके शेयर की कीमत को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि वर्तमान लाभ और कमाई के बारे में कोई समाचार या घोषणा भविष्य की योजना, कंपनी द्वारा लाभांश की घोषणा, किसी नए उत्पाद का शुभारंभ, अन्य कंपनी से विलय या अधिग्रहण, कंपनी के प्रबंधन में बड़ा महत्त्वपूर्ण बदलाव, उस उद्योग से संबंधित कोई बड़ा निर्णय या समाचार।
  4. बजट की घोषणा या सरकार द्वारा कोई बदलाव : कई बार वार्षिक बजट के दौरान सरकार किसी विशेष उद्योग या उत्पाद के लिए कुछ विशेष पैकेज, सुविधा या कर अवकाश की घोषणा कर सकती है। एक बड़ा नीतिगत बदलाव हो सकता है, जो कुछ उद्योगों को सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। शेयर की कीमतों पर भी इनका समान प्रभाव हो सकता है। कई लोग इन घोषणाओं के आधार पर शेयर खरीद या बिक्री का फैसला करते हैं।

चलते-चलते

ज्ञान वृद्धि में निवेश सबसे अच्छा रिटर्न देता है। स्वस्थ रहिए, जागरूक रहिए व घर पर रहिए।

संपर्कः karuneshdev@rediffmail.com

नोट : यहां दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य से दी गई है। किसी भी निवेश से पहले उसकी पूरी जानकारी अवश्य लें।


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