सत्ता संचालन का उदाहरण : विकेश कुमार बडोला, लेखक, विचारक, ब्लॉगर

By: Jul 8th, 2020 12:06 am

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विकेश कुमार बडोला

लेखक, विचारक, ब्लॉगर

यह भारतीय रक्षा मंत्री की साधारण यात्रा नहीं थी। इस समयावधि में राजनाथ सिंह ने चीन को साधने-कसने के लिए रूस से अनेक ऐसे अनुबंध किए, जिनके अंतर्गत भारत को रूस से अत्याधुनिक सैन्य हथियार और हथियार विनिर्माण की तकनीक प्राप्त हो सकेगी। रूसी राष्ट्रपति पुतिन का 2036 तक सत्ता में बने रहने का संवैधानिक संशोधन दर्शाता है कि परंपरागत शासन-व्यवस्था तथा लोकतांत्रिक मान्यताएं न केवल इन देशों के लोगों की नजर में अस्वीकृत हुई या हो रही हैं, बल्कि अलोकतांत्रिक तरीके से शासन संचालन की इन देशों की राजनीतिक प्रवृत्ति व्यावहारिक रूप में अत्यंत सराहनीय रही। पुतिन के नेतृत्व में सत्ता संचालन की पुरातन पंगु परंपराओं के अंत से रूस विश्व के सम्मुख स्वयं के लिए एक उचित, उपयोगी व आदर्श राष्ट्र के रूप में उभरा है…

वैश्विक राजनीति बड़ी तेजी से बदलती रही है और अब भी अप्रत्याशित रूप में बदल रही है। रूस वैश्विक राजनीति में एक महत्त्वपूर्ण और प्रमुख भूमिका निभाता रहा है। सोवियत संघ के होते हुए भी और इसके विघटन के उपरांत भी विश्व में रूस का महत्त्व और उपयोगिता कम नहीं हुई। अभी व्लादिमीर पुतिन वहां के राष्ट्रपति हैं। वह सर्वप्रथम 2000 में रूस के प्रमुख नियुक्त हुए। उन्हें रूस की राजनीति के शीर्ष पद पर रहते हुए पूरे 20 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। वह  जनवरी 2019 में चौथी बार पांच वर्षीय कार्यकाल हेतु राष्ट्रपति का चुनाव जीते। इस विजय के साथ उनका कार्यकाल 2024 तक नियत था, परंतु इस बीच रूस में पुतिन को 2036 तक राष्ट्रपति बनाए रखने के लिए वहां के संवैधानिक गणतंत्र के संविधान में एक संशोधन हुआ। इस संशोधन के पक्ष में 78 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया है। इस प्रकार राष्ट्रपति पुतिन अब संघीय बहुमत के साथ 2036 तक राष्ट्रपति बने रहेंगे। इस समय उनकी आयु 68 वर्ष है और 2036 तक वह 84 वर्ष के हो जाएंगे। यह पहली बार होगा कि कोई रूसी राष्ट्रपति इतनी दीर्घावधि के लिए राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर विराजमान होगा। हालांकि रूस के 22 प्रतिशत लोगों की दृष्टि में यह एक विवादित संशोधन था, जिससे रूसी संविधान की उन परंपराओं का उल्लंघन होता है जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति को एक निश्चित अवधि तक ही सत्ता में बने रहने का अधिकार है, परंतु 2019 में पुतिन जब पुनः 2024 तक राष्ट्रपति चुने गए, तब भी उन्हें कुल मतों में से 76.67 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। अभी जबकि 2024 तक पहुंचने में पूरे चार वर्ष का समय है तो पुतिन को 2036 तक राष्ट्रपति बनाए रखने के लिए हुआ नव संविधान संशोधन रूस के लोगों की उस व्यावहारिक मानसिकता का परिचय देता है जिसमें उन्हें लगता है कि जो व्यक्ति उनके जीवन को वर्तमान समय के यथोचित मानदंड के अनुरूप सुखी-समृद्ध और स्वस्थ बनाए रखने की दिशा में कार्य कर रहा है तो क्यों न उसी को संविधान में संशोधन कर दीर्घावधि तक राष्ट्रीय सत्ता की बागडोर सौंप दी जाए।

आगामी डेढ़ दशक तक राष्ट्रपति चुने जाने पर पुतिन ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में उनके पक्ष में मतदान करने वाले लोगों का आभार प्रकट किया तो विरोध में मतदान करने वाले लोगों के अनुरूप राष्ट्रीय संप्रभुता और अखंडता को अधिक सुदृढ़ करने का वचन दिया। 2024 तक राष्ट्रपति चुनने के लिए हुए चुनाव की समयावधि में रूसी नागरिकों में इस बात के लिए व्यापक सहमति व स्वीकृति देखी गई थी कि पुतिन को आजीवन राष्ट्रपति बना दिया जाए। पुतिन की शासकीय कार्यप्रणाली व क्षमता का आकलन करते हुए रूसी निवासी इस तरह की मांग कर रहे थे। यदि 2036 तक पुतिन को राष्ट्रपति बनाए रखने के लिए विरोधियों-विपक्षियों की बाधा से संविधान में संशोधन हेतु अपेक्षित चुनाव नहीं कराया जाता अथवा रूसी संविधान या कानून द्वारा संविधान में ऐसा कोई संशोधन किए जाने की अनुमति नहीं मिलती तो भी पुतिन अपना विश्वसनीय उत्तराधिकारी तो सत्तारूढ़ करके ही पदमुक्त होते, इस बात की प्रबल संभावना थी। परंतु यह स्थिति नहीं आई और पुतिन बहुमत से आजीवन राष्ट्रपति चुन लिए गए। रूस विगत कई शताब्दियों से सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक परिवर्तन का द्योतक रहा है। सन् 1991 में सोवियत संघ के विघटन होने तक भी रूस विश्व का शक्तिशाली राष्ट्र था। द्वितीय विश्व युद्ध में रूस के पराक्रम ने विश्व को बुरी तरह चौंकाया था। अमरीका उसका मुख्य शत्रु बनकर उभरा था और तब ही से दोनों राष्ट्रों के मध्य शीत युद्ध जारी रहा है, जिससे दुनिया कई तरह प्रभावित होती रही है। इस समय रूस की जनसंख्या साढ़े चौदह करोड़ के लगभग है। यूरोपीय देशों में रूस ही है जिसकी जनसंख्या सर्वाधिक है। विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से रूस पांचवीं श्रेणी में है। बीसवीं शताब्दी में सोवियत रूस ने अत्यधिक महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकीय उपलब्धियां प्राप्त की थीं। इसी समयावधि में रूस ने विश्व का प्रथम मानव निर्मित उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया और अंतरिक्ष में प्रथम मानव को भेजा। 1993 से रूस में संघीय सेमी-प्रेसिडेंशियल गणराज्य का शासन है। रूस के प्रचुर खनिज और ऊर्जा संसाधन विश्व के अपनी तरह के सर्वाधिक बड़े संसाधन हैं, जिस कारण यह तेल एवं प्राकृतिक गैस के प्रमुख वैश्विक निर्माताओं में सम्मिलित है। रूस परमाणु अस्त्र-शस्त्रों से लेकर अनेक अन्य नाभिकीय शस्त्रों के विनिर्माण में हमेशा से अग्रणी राष्ट्रों में शामिल रहा है। कालांतर से रूस ने आधुनिक हथियारों की ऐसी-ऐसी उन्नत प्रणालियां विकसित की हैं कि वह स्वाभाविक रूप में हथियार विनिर्माता राष्ट्र के रूप में विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली राष्ट्र अमरीका का प्रतिद्वंद्वी बन बैठा। नब्बे के दशक के पहले से ही दुनिया का सामरिक शक्ति संतुलन-असंतुलन रूस और अमरीका की सामरिक-प्रतिस्पर्द्धाओं पर निर्भर रहता आया है। आज भी जब भारतभूमि लद्दाख में चीन का भारत से भूमि संबंधी विवाद चल रहा है तो अपनी सैन्य शक्ति में वृद्धि करने के उद्देश्य से भारत ने रूस से 21 मिग-29 खरीदने का अनुबंध किया है। भारत के साथ रूस के राजनीतिक, कूटनीतिक और सामरिक संबंध हमेशा से संतुलित रहे हैं, परंतु विगत छह वर्षों में रूस के साथ भारत के हर तरह के संबंधों को एक नया आयाम मिला है, जो कहीं न कहीं शत्रु राष्ट्रों चीन व पाकिस्तान पर सामरिक दबाव बनाने में भारत के लिए अति सहायक रहा है। हाल ही में भारत के रक्षा मंत्री ने रूस की यात्रा की थी। वह वहां द्वितीय विश्व युद्ध में रूसी सेना के विजय के 75वें सैन्य समारोह में उपस्थित हुए थे। यह भारतीय रक्षा मंत्री की साधारण यात्रा नहीं थी। इस समयावधि में राजनाथ सिंह ने चीन को साधने-कसने के लिए रूस से अनेक ऐसे अनुबंध किए, जिनके अंतर्गत भारत को रूस से अत्याधुनिक सैन्य हथियार और हथियार विनिर्माण की तकनीक प्राप्त हो सकेगी। रूसी राष्ट्रपति पुतिन का 2036 तक सत्ता में बने रहने का संवैधानिक संशोधन दर्शाता है कि परंपरागत शासन-व्यवस्था तथा लोकतांत्रिक मान्यताएं न केवल इन देशों के लोगों की नजर में अस्वीकृत हुई या हो रही हैं, बल्कि अलोकतांत्रिक तरीके से शासन संचालन की इन देशों की राजनीतिक प्रवृत्ति व्यावहारिक रूप में अत्यंत सराहनीय रही। पुतिन के नेतृत्व में सत्ता संचालन की पुरातन पंगु परंपराओं के अंत से रूस विश्व के सम्मुख स्वयं के लिए एक उचित, उपयोगी व आदर्श राष्ट्र के रूप में उभरा है।


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